एडवोकेट शेख़ शाइनी रहमान की सामाजिक सेवा को देखते हुए केरल के राज्यपाल ने किया सम्मानित

एडवोकेट शेख़ शाइनी रहमान की सामाजिक सेवा को देखते हुए केरल के राज्यपाल ने किया सम्मानित

महिलाओं में जागरूकता अभियान चलाया। कचरे उठा रहे बच्चों को इकठ्ठा कर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश कर रहीं हैं। इस कार्य के लिए उन्हें केरल के गवर्नर ने स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया |

केरल के गवर्नर ने स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र देकर किया।सम्मानित  

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के चंदौली जनपद के सकलडीहा तहसील अंतर्गत डेढ़गावां निवासिनी एडवोकेट शेख़ शाइनी रहमान स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने के बाद से समाज में दबे कुचले लोगों के लिए काम करना शुरू दी। महिलाओं में जागरूकता अभियान चलाया। कचरे उठा रहे बच्चों को इकठ्ठा कर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश कर रहीं हैं। इस कार्य के लिए उन्हें केरल के गवर्नर ने स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया।


एडवोकेट शेख़ शाइनी रहमान स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने के बाद से समाज में दबे कुचले लोगों के लिए काम करना शुरू दी। वे कहती हैं मेरी वकालत न्याय पाने से वंचित लोगों  को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष के रूप में है। उत्पीड़न की शिकार महिलाओं की मदद ,पढ़ाई की मुख्यधारा से दूर बच्चों व उनके अभिभावकों को जागरुक करने और बिना दहेज़ के शादी करने के साथ ही बच्चियों के आत्मबल को मजबूत बनाने के लिए मैंने अभियान शुरू किया है। ऐसे मई अपनी जीवन शैली का एक हिस्सा बना लिया है ।

 एडवोकेट शेख़ शाइनी रहमान इस कार्य को लेकर गली मोहल्लों व गांवों में जाकर काम कर रही हैं, बच्चियों को इकठ्ठा कर उन्हें अपने आत्मबल को मजबूत बनाने और आत्मनिर्भर होने के लिए प्रेरित करती रहती हैं। वे वर्ष 2016 में ही हंसूराय वेलफेयर ट्रस्ट से जुड़ी और सामाजिक सरोकार के कामों में लग गईं।

ऐडवोकेट शेख शाइनी रहमान ने अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए भी लखनऊ से बच्चों का निःशुल्क पाठशाला शुरु किया। यहां अलीगंज सेक्टर डी और सीतापुर रोड प्रियदर्शिनी कॉलोनी के आस पास झुग्गी झोपड़ी बनाकर रह रहे बच्चों को इकट्ठा कर उनकी और उनके अभिभावकों की काउंसलिंग की ।   

कहती है कि वर्ष 2016 से 2018 के बीच लगभग दो दर्जन बच्चों को निःशुल्क पढ़ाकर मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया और साथ ही उनके अभिभावकों को जागरुक किया।  उन्होंने राम मनोहर लोहिया, अवध विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई शुरु की, इस पढ़ाई के साथ साथ सामाजिक सरोकार का भी काम करती रहीं।

 कहती है कि इन कामों को करते हुए कभी भी हिम्मत नहीं हारी और लगातार अपने उद्देश्यों के प्रति ईमानदारी पूर्वक लगी रही । कोरोना के समय ये अपने परिवार के साथ बनारस आकर रहने लगी । धीरे धीरे यहां भी महिलाओं के बीच में जाकर जागरुक करना शुरु किया। बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करने का ध्येय बने , वे इसमें सफल भी हुयी।  लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद वाराणसी कचहरी परिसर स्थित आशीर्वाद चेंबर से प्रैक्टिस शुरु की है। 

नई जिम्मेदारी में भी परेशान लोगों को न्याय दिलाना शुरु किया। लोहता थाना क्षेत्र की एक महिला को उनके परिवार के लालची लोगों ने बंधक बनाकर रखा था, उन लोगों से उक्त महिला को मुक्त कराया और उसे भी जीने का अधिकार दिलाया । वर्तमान समय में कचहरी के कामों से खाली होकर अपने आशीर्वाद चेंबर में ही निशुल्क पाठशाला शुरू कर स्कूल न जाने वाले गरीब परिवार के बच्चों की काउंसलिंग करके उन्हें पढ़ाई की मुख्यधारा से जोड़ने का काम शुरू कर दी है। ।इनके कार्यों को देखते हुए पिछले दिनों केरल के राज्यपाल ने स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया।

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