ये है राजनीति: छोड़ दी बिहार प्रशासनिक सेवा की नौकरी, बीजेपी से उसे ही नहीं मिला टिकट !

ये है राजनीति: छोड़ दी बिहार प्रशासनिक सेवा की नौकरी, बीजेपी से उसे ही नहीं मिला टिकट !

यह कहानी है बिहार के उस सरकारी अफसर की जिसने बीजेपी से यूपी में विधान सभा का चुनाव लड़ने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी , मगर उसे पार्टी ने टिकट नहीं दिया |

बक्सर /गाजीपुर। बिहार के बक्‍सर में बीडीओ रहे मनोज राय मूलत: गाजीपुर जिले के जोग गांव के रहने वाले हैं। इनकी शिक्षा बनारस हिंदू विश्‍वविद्यालय से हुई। ये विवि की शिक्षा के दौरान राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ और भाजपा से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे। राजनीति से उनका पुराना लगाव रहा। 

इसके बाद यूपी में बीजेपी के बड़े नेताओं से संकेत मिलते ही बिहार के प्रशासनिक सेवा की नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इनकी सोच थी की वे यूपी के गाजीपुर की मोहम्‍मदाबाद सीट से चुनाव लड़ेंगे और वे तैयारी में भी जुट गए।  बिहार की नौकरी में वे अंतिम समय में  छपरा के मशरक में पदस्‍थापित रहते हुए उन्‍होंने होने इस्‍तीफा दिया था. इस्‍तीफा स्‍वीकृत होने से पहले ही वे इस तैयारी में जुट गए थे।

..  हुआ वही जो अक्सर राजनीति में होता है 

 फिलहाल उनकी बहन प्रियंका राय बक्‍सर में बतौर अंचल अधिकारी पद पर नियुक्त हैं। इस परिवार का बक्‍सर से नजदीकी रिश्‍ता होने की वजह से यहां के लोगों की दिलचस्पी बढ़ गयी थी कि, देखिये उन्‍हें कहां से टिकट मिलता है और किस पार्टी से ?, लेकिन अंत में हुआ वही जो अक्सर राजनीति में होता है। सच तो यह है की मनोज राय मोहम्‍मदाबाद सीट पर भाजपा से टिकट चाहते थे। 

यह इलाका मुख्‍तार अंसारी के प्रभाव वाला रहा है। फिलहाल यहां अलका राय भाजपा की विधायक हैं और भाजपा ने इस बार भी उन्‍हीं को टिकट दिया है। अलका राय के पति कृष्‍णानंद राय भी भाजपा के विधायक थे, जिनकी हत्‍या विधायकी कार्यकाल के दौरान ही कर दी गई थी । इस हत्‍याकांड में मुख्‍तार के नाम की चर्चा सामने आई थी। बताते  है कि उनकी हत्‍या में आटोमेटिक हथियारों  उपयोग किया गया था। इसके बाद से ही एक वर्ग विशेष में अलका राय के प्रति संवेदना बन गई। आखिर में बिहार प्रशासनिक सेवा की नौकरी से इस्तीफा देने वाले मनोज राय को टिकट नहीं मिला। मनोज राय को टिकट नहीं मिलने से उनके सहयोगी निराश हैं। 

अब मनोज राय क्या करेंगे ?  

यूपी के मोहम्मदाबाद सीट से अपने को भाजपा का प्रबल दावेदार मान बैठे मनोज राय कहते हैं कि भले ही वह टिकट के दावेदार थे लेकिन पार्टी का निर्णय उन्हें स्वीकार है। आगे कहते हैं कि इस बार भाजपा की लड़ाई सपा या बसपा से नहीं है। यह लड़ाई अवसरवादियों से है।

 ऐसे में पार्टी के भीतर किसी भी व्यक्ति से जरा सी भी चूक हुई तो यूपी में शुरु हुआ विकास रूक जायेगा, साथ ही कानून व्यवस्था बह बिगड़ जाएगी। ऐसे में जनता हमें माफ नहीं करेगी। इसके लिए जरूरी है कि आपसी मतभेद भुलाकर पार्टी को जिताया जाए। वे कहते हैं कि पांच साल तक संघर्ष करेंगे। जनता के बीच जाएंगे तथा फिर अगले विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए दावेदारी करेंगे।