... अभी तौलना आसमान बाकी है

... अभी तौलना आसमान बाकी है

"अनिरुद्ध सिंह आंसू पोछते हुए ह्रदय की गहराइयों में बसी कुंवारी कन्या के हाथ पीले करने का ख्वाब पूरा होते ही जब लंबी गहरी सांसे ली, तब आत्मीयता का बोध चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था |"

...बाबुल की दुआएं लेती जा , Photo-PNP

चंदौली । सामाजिक समरसता की मिसाल बनें जनपद चंदौली में सकलडीहा क्षेत्र के सीओ अनिरुद्ध सिंह आंसू पोछते हुए ह्रदय की गहराइयों में बसी कुंवारी कन्याओं के हाथ पीले करने का ख्वाब पूरा होते ही जब लंबी गहरी सांसे ली तब आत्मीयता का बोध चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था। 

सामाजिक समरसता की मिसाल बनें जनपद चंदौली में सकलडीहा सीओ 

 उनके जीवन की महत्वपूर्ण तारीख 23 अप्रैल थी। आवाजापुर गांव की यादव परिवार की लड़की जिसे सीओ सकलडीहा ने गोद ले रखा था। सकलडीहा के चतुर्भुजपुर( बरठी) का दूल्हा बनें को आशीर्वाद देने के लिए जनपद के पुलिस अधीक्षक के साथ सभी सर्किल के सीओ तथा जनपद के सभी दरोगा और  महिला सिपाही अपनी बहन की शादी को ऐतिहासिक शादी कराने में जुटे हुए थे।  


सकलडीहा के आवाजापुर में नव दंपति को एसपी अंकुर अग्रवाल संग आशीर्वाद देते पुलिसकर्मी

शादी में आये सभी मेहमानों को गर्व की अनुभूति कराते हुए खाकी वर्दी ने किसी भी आम जनमानस को एहसास ही नहीं होने दिया कि इस शादी में उच्च अधिकारी पुलिस आए हुए हैं। सभी बाराती और घराती शादी की रस्मों को अच्छी तरह से निर्वाह करते क्षेत्राधिकारी सकलडीहा को अपलक आंखों से देखते रह गए।

  उपस्थित लोगों के हृदय पर सशक्त हस्ताक्षर बन चुके एक पुलिस अधिकारी के रूप में नहीं एक शहंशाह के रूप में तारीफ के पुल बांधेते दिखे। एक उदारण बन चूक सीओ सकलडीहा के रास्ते पर कितनों ने ऐसे चलने की करने की प्रतिज्ञा भी कर ली। 

शादी कार्यक्रम के संपन्न होते ही जब उनसे पूछ गया  कि आपने समरसता की मिसाल कायम कर दी, आगे क्या इरादा है। उन्होंने तपाक से सधे हुए अंदाज में जवाब दिया 

" अभी असली मंजिल मिलना बाकी है, 
 अभी तो इरादों का इंतिहान बाकी है। 

अभी तो तौली है मुट्ठी भर जमीन,
अभी तौलना आसमान बाकी है।।" 

कहते हुए गंभीर हो जाते हैं। चेहरे पर एक सकून के साथ प्रतिज्ञा का भाव लिए फिर कहते हैं कि - "भगवान ने मुझे बहन नहीं दिया, तो बड़ा तकलीफ महसूस होता था।"  मेरे बड़े बुजुर्गों ने मुझसे कहा कि - 

अन्नू तुम पुलिस हो ऐसा करो कि जहां तुम्हारी पोस्टिंग हो, वहीं पर गरीब परिवार की बेटियों को अपनी बहन मानकर अपनी सगी बहन का दुख दर्द मिटा सकते हो, मगर निश्चल प्रेम से ताकि अपनी सगी भी बेगाना लगे ऐसा। यह विचार सुनकर मैं कुछ कर गुजरने को बेताब हो गया। अपने पुलिस के साथियों से जब अपने हृदय के भाव बताएं तो सभी ने मेरा साथ निभाने में सहयोग कर अपनी सैलरी से करने को कहा।  

मेहमानों व पत्रकारों के साथ शादी सामारोह में सीओ सकलडीहा, फोटो-PNP  

'उस दिन मुझे एहसास हुआ कि 'लाख गहरा हो सागर तो, क्या प्यार से कुछ भी गहरा नहीं ' यही सच है शादी के तिलक से लेकर संपन्न होते कार्यक्रम तक मुझे कोई थकान नहीं है, यह तो जीवन की एक चुनौती के रूप में है। अब देखिए समाज में गैरों को अपना बनाने की होड़ लग जाएगी। वाह! ऐसा विचार दार्शनिक अंदाज में उस जांबाज ऑफिसर के मुंह से सुनकर उपस्थित समाज में भाईचारा का ज्ञान बांटने वाले समाजसेवी बगले झांकने लगे। ऐसी शानदार शादी अच्छे घरों के लोग भी नहीं करा पाएंगे।

वह शादी जो आवाजापुर खेल ग्राउंड में संपन्न हुई , समाज में कौतूहल का विषय बन जिसने जीने का तरीका ही बदल दिया ।   

जिसका सार है... 

 बेगानों की मदद करना सीखिए फायदे के बगैर
 मिलना च जुलना सीखिए मतलब के बगैर 
 जिंदगी जीना सीखिए दिखावे के बगैर
 मुस्कुराना सीखिए सेल्फी के बगैर.....तो जिंदगी अपनी और दूसरे की संवारने में काफी सरल हो जाएगी।Purvanchal News Print की यह खबर आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं। खबर टॉपिक को अपना सुझाव दें।