समय बदला है तो, क्षत्रिय समाज को भी अपनी बुद्धि कौशल को पहचान कर ऐसे कार्य करने की जरूरत है, जो अपना पुराना दिन दिखाई दे |
महाराणा प्रताप सिंह की जयंती वक्ताओं ने कहा - इस समय का इतिहास नकली है, जो समाज को विघटन की राह पर ले जा रहा
अध्यक्षीय भाषण में लक्ष्मी नारायण सिंह ने कहा, " युवा पीढ़ी महाराणा प्रताप सिंह को पुनः समाज में वही दर्जा दिलाने का कार्य करेगा युवा पीढ़ी "
चंदौली । पुराने जमाने में तलवार से लड़ाइयां लड़ी जा रही थी । मगर समय बदला है तो क्षत्रिय समाज को भी अपनी बुद्धि कौशल को पहचान कर ऐसे कार्य करने की जरूरत है जो अपना पुराना दिन दिखाई दे। उक्त विचार क्षत्रिय महासभा के बैनर तले लक्ष्मी पैलेस जगदीशपुर में महाराणा प्रताप सिंह की जयंती पर बीएचयू कृषि विभाग में प्रोफेसर गुरु प्रसाद सिंह ने व्यक्त किए ।
उन्होंने राजपूत समाज को जगाने के उद्देश्य से रचनात्मक शैली का प्रयोग करते हुए आगे कहा कि आपके आदर्श राणा प्रताप जी को यह पता था कि चेतक यह एक पशु नहीं अपितु इस शरीर में देवी शक्ति का वास है। नहीं तो जिस चेतक का एक पैर हल्दीघाटी के युद्ध में कट गया था, उस समय चेतक महाराणा प्रताप जी को 5 किलोमीटर दौड़ कर ले गया और अपने अदृश्य शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए सामने 20 फीट नाले को जबरदस्त छलांग लगाकर पार कर गया। और वहीं गिर गया तो राणा प्रताप ने उसे चूमते हुए शाबाशी दी।
अकबर की सेना उस नाले को पार नहीं कर पाई, आज समाज में तलवार से नहीं बल्कि कलम की मार हो रही है। इसलिए, मैं आपसे कह रहा हूं कि बौद्धिक कार्य करके व्यापार और पूंजी बाजार और कलम पर अपना ध्यान देने की जरूरत है।
आगे उन्होंने कहा कि राणा प्रताप जी को भामाशाह ने भी इसी उद्देश्य से अपनी आर्थिक मदद किया था । अकबर का भी व्यापार मालवा हो कर जाएगा और अकबर अगर चित्तौड़ को जीत लेगा तो हमारा व्यापार बंद हो जाएगा इसलिए उसने राणा प्रताप जी को मदद दिया ।
उन्होंने आगे कहा कि राणा प्रताप जी आप के गौरव हैं, इसलिए आप लोग एक साथ होकर अपने पुराने गौरव को वापस ला सकते हैं । पहले के रजपूत 5 लोग एक साथ नहीं बैठ सकते थे ।मगर आज जनपद चंदौली में इतनी भारी संख्या में एक छत के नीचे बैठे हुए क्षत्रियों को देखकर मैं बहुत ही गदगद हूं। अब विश्वास होने लगा है कि अपना रक्त वंश अब टुकड़ों में नहीं बटेगा नहीं तो, फिर पुराना गौरव नहीं आ पाएगा।
महाराणा प्रताप सिंह की जयंती पर बोलते हुए फोटो-PNP |
उन्होंने विश्वामित्र को राष्ट्रीय धरोहर भी बताया । भगवान राम को भी अपना आदर्श बताया ।लेकिन देश सेवा के लिए राणा का गौरव सर्वोपरि है। हमारे देश में राणा प्रताप जी के पद चिन्हों पर राजपूत चले होते तो हम 300 वर्ष गुलाम नहीं होते।
आप लोग बताएं कि अगर मुगलों से राणा प्रताप जी कभी नहीं हारे। वामपंथी कहते हैं अकबर महान था, तो राणा प्रताप क्या थे ? जो देश भक्त , मातृ भक्त उसके इतिहास में महान नहीं पढ़ा जाता है। इतिहास को लिखने वालों की वामपंथी सोच से हम इतिहास से कट गए हैं ।
आप लोग अपने अपने बच्चों को इतिहास पढ़ाएं तो उसकी असली इतिहास पढ़ने की लालसा पूरी हो सकती है। इस समय का इतिहास नकली है जो समाज को विघटन की राह पर ले जा रहा है सच लिखने में निकम्मा पन झलकता है .
इस अवसर पर अध्यक्षीय भाषण में लक्ष्मी नारायण सिंह ने कि उम्र के जिस मुहाने पर हम खड़े हैं, मेरा प्रयास है कि आज की युवा पीढ़ी मेरी उम्र आते-आते महाराणा प्रताप सिंह को पुनः समाज में वही दर्जा दिलाने का कार्य करेगा। जिस तरह से चित्तौड़ में राणा प्रताप की पूजा होती है इतना ही नहीं हल्दीघाटी के युद्ध में जहां हुआ था वहां चेतक घोड़े का मंदिर भी बना है। इससे साफ जाहिर होता है की देश सेवा में कुर्बान होने वाले जीवों को इतिहास में सदैव स्थापित किया जाएगा।
इस अवसर पर शशिधर सिंह, वीरेंद्र प्रताप सिंह, प्रमोद सिंह, गोपाल सिंह, लोलार्क सिंह, योगेंद्र प्रताप सिंह, कौशल सिंह ,पुरुषोत्तम सिंह, संजय सिंह ,भगवानदास सिंह, विक्की सिंह आदि रहे। संचालन जीत नारायण सिंह ने किया। इससे पहले क्षत्रिय महासभा चंदौली ने बाइक रैली निकालकर पड़ाव पंडित दीनदयाल उपाध्याय के मूर्ति के यहां से चंदौली बाजार में भ्रमण कर के जयंती मनाई।