शहीद उधमसिंह की शहादत दिवस पर संयुक्त किसान मोर्चा ने मोदी सरकार पर एमएसपी गारंटी कानून बनाने में वादाखिलाफी का आरोप लगाया |

वादाखिलाफी के विरोध में किसानों का रोष
👉 चकिया के गांधी पार्क में किसान संगठनों ने दिया धरना, तहसीलदार द्वारा राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन
चकिया, चंदौली। संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आह्वान पर शहीद उधमसिंह की शहादत दिवस पर संयुक्त किसान मोर्चा मोदी सरकार पर एमएसपी गारंटी कानून बनाने में वादाखिलाफी का आरोप लगाया। इसके खिलाफ चकिया गांधी पार्क में किसान संगठनों ने दिया धरना दिया। राष्ट्रपति महोदया के नाम सम्बोधित एक ज्ञापन तहसीलदार को दिया गया।
सभा में वक्ताओं ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा एमएसपी पर गठित कमेटी को तत्काल भंग करते हुए जनपक्षीय एवं किसान हितैषी कमेटी के गठन किये जाने की मांग करते हए कहा कि एमएसपी की गारंटी का कानून बनाए जाए ! धरने के कहा से कहा कि क्रांतिकारी उधमसिंह की शहादत दिवस पर आज इस ज्ञापन के जरिए केन्द्र सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में किसानों का रोष पहुँचाना चाहते हैं।
कहा कि जबसे संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के आश्वासन पर भरोसा कर दिल्ली बार्डर से अपने मोर्चे उठाने का ऐलान किया था। उसके बाद से सरकार अपने वादों से लगातार मुकर ही नहीं रही है, बल्कि आन्दोलन में शामिल किसानों के खिलाफ शत्रु जैसा व्यवहार करते हुए नित नए किसान विरोधी फैसले कर जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रही है।
इसीलिए पूरे देश के किसानों ने 31 जनवरी, 2022 को विश्वासघात दिवस मनाया था और हर जिले से राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के नाम ज्ञापन भेजा गया था। हमें बहुत अफसोस है कि ज्ञापन से अब तक सात महीने बीत गए लेकिन किसानों की कोई सुनवाई नहीं। मानसून सत्र से पहले केन्द्र सरकार ने एमएसपी पर किसान विरोधी और अर्थहीन कमेटी की घोषणा की।
सरकार द्वारा गठित इस कमेटी से किसानों के एक बार फिर धोखा हुआ है, जिसके प्रति नाराजगी है कि कमेटी के अध्यक्ष पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल हैं। जिन्होंने तीनों किसान विरोधी कानून बनाए। उनके साथ नीति आयोग के सदस्य रमेशचन्द्र भी हैं, जो तीनों कानूनों के मुख्य पैरोकार रहे हैं। कमेटी में संयुक्त किसान मोर्चा के केवल तीन सदस्यों को रखे जाने का प्रावधान बनाकर एक बार फिर आंदोलन कर रहे किसानों के साथ विश्वासघात किया गया है।
मोदी सरकार एमएसपी गारंटी कानून बनाने में कर रही वादाखिलाफी |
कमेटी में शामिल किसान नेताओं के नाम पर किसान विरोधी कानूनों के पक्ष में खुलकर बोलने वालों और किसान आंदोलन के खिलाफ जहर उगलने का काम करने वालों को शामिल किया गया है। उसमें एमएसपी पर कानून बनाने का जिक्र तक नहीं है।
इन्हीं तथ्यों की रोशनी में संयुक्त किसान मोर्चा ने इस कमेटी में शामिल होने से मना कर दिया। अब देश के किसानों को देश के नए मुखिया यानी आपसे उम्मीद है कि आप केन्द्र सरकार को निर्देशित करेंगी कि : -
किसान विरोधी कमेटी को भंग कर एक जनपक्षीय और किसान पक्षधर कमेटी का गठन करें। जिसमें खेती किसानी को बचाने के लिए संघर्षरत किसानों का प्रतिनिधित्व हो। साथ ही सभी कृषि उत्पादों पर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर व्यापक लागत का डेढ़ गुना यानी C2+50% न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून बनाकर सरकार अपना वायदा पूरा करे।
सभा व धरना में अखिल भारतीय किसान सभा जिला अध्यक्ष परमानन्द कुशवाहा, किसान नेता शम्भू नाथ यादव, उत्तर प्रदेश किसान सभा के नेता शुकदेव मिश्रा, मजदूर किसान मंच के जिला प्रभारी अजय राय, लालचंद यादव, रामनिवास पाण्डेय, शिवमुरत राम, भृगु नाथ विश्वकर्मा, जयनाथ, सिपाही चौहान, नरोत्तम चौहान, सिराजुल हक सहित कई लोग शामिल रहें।