पूर्वांचल पर सूखे की काली साया, फसल लहलहाने की जगह मुरझाने लगी

पूर्वांचल पर सूखे की काली साया, फसल लहलहाने की जगह मुरझाने लगी

पूर्वांचल के महराजगंज जनपद में धान की रोपाई करने वाले किसान बेबस हैं | वजह, पर्याप्त बारिश का होना है | स्थिति यह है कि धान की फसल बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है | फसलें खेतों में लहलहाने की जगह मुरझाने लगी हैं | 

फसल सूखने से किसान परेशान , फोटो- PNP  


महराजगंज। पूर्वांचल के महराजगंज जनपद में धान की रोपाई करने वाले किसान बेबस हैं। वजह, पर्याप्त बारिश का होना है। स्थिति यह है कि धान की फसल बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है। फसलें खेतों में लहलहाने की जगह मुरझाने लगी हैं। 

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फसलों में कई प्रकार के रोग लगने से किसानों के खिलखिलाने वाले चेहरे भी धान की पत्तियों की तरह पीले पड़ने लगे हैं। यह किसी एक जिले में नहीं पूरे पूर्वांचल की हो गयी है। आलम यह है कि पूर्वांचल पर सूखे की काली साया साफ दिखाई देने लगी है। पछुआ हवा और तेज धूप ने फसलों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है। सम्भावित नुकसान से किसानों के दिन और रात की नींद गायब हो गई है।

01 लाख 65 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई : महाराजगंज जिले में धान की कुल खेती 01 लाख 65 हजार हेक्टेयर हुई है। किसानों की संख्या भी लाखों में है। बरसात न होने से इन्हें सिंचाई के लिए अतिरिक्त धन खर्च कराना पड़ रहा है और इसकी लागत लगातार बढ़ती जा रही है। इससे ये बेबस किसान अपनी लागत निकल पाने के लिए भी तरसते नजर आ रहे हैं।

 हर सप्ताह दो से तीन सिंचाई को हैं विवश :  किसानों की हालत यह है कि हर सप्ताह इन्हें बोरिंग से दो से तीन सिंचाई करनी पड़ रही है, बावजूद इसके धान की फसल मुरझा रही है। धूप और पुरुवा हवाओं ने फसल को रोग ग्रस्त बनाते जा रहे हैं , इससे किसानों को दवा छिड़काव का अतिरिक्त बोझ भी उठाना पड़ रहा है। वजह, पछुआ हवा और तेज धूप  ने खेत की नमी को कम करना शुरू कर दिया है।

नहरों में टेल तक नहीं पहुंच रहा पानी : इधर, कुछ ही नहरों में टेल तक पानी पहुंच रहा है। इससे नहर के नजदीक के किसानों को तो इसका लाभ मिल पा रहा है। शेष किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। टेल तक पानी नहीं पहुंचने से लगभग 80 प्रतिशत किसानों की फसलें बर्बादी की कगार पर पहुंच चुकी हैं

अब फसल को लेकर केवल 40 प्रतिशत ही उम्मीद बाकी : परतावल तथा फरेंदा क्षेत्र के किसानों का कहना है कि अब फसल को लेकर केवल 40 प्रतिशत ही उम्मीद बाकी है। बारिश हुई तो धान की उपज 50 प्रतिशत तक मिल सकती है। शायद, लागत निकल जाए। अगर भादों माह भी बरसात ने साथ नहीं दिया तो धान होने की संभावना क्षीण है। उधर, निचलौल क्षेत्र के किसानों का कहना है कि बारिश कम होने से फसलों में खैरा रोग दिखने लगा है। शीथ ब्लाइट अर्थात अकारण पौधों का गलना और उसमें धब्बे दिखाई देने की शिकायतें भी हैं। इतना ही नहीं, किसानों को झुलसा रोग होने की आशंका भी सता रही है, हालांकि अभी इसका प्रभाव कहीं कहीं ही देखने को मिल रहा है।

59 प्रतिशत कम हुई है बारिश : जिला कृषि अधिकारी -- जिला कृषि अधिकारी वीरेंद्र कुमार भी इसे स्वीकार कर रहे हैं। इनका कहना है कि महाराजगंज जिले में इस साल 59 प्रतिशत बरसात कम हुई है। लगभग 271.10 एमएम ही बारिश हुई है। इस समय तक 660 एमएम बारिश हो जानी चाहिए थी। फिलहाल धान की फसल के बचाव के तरीके पर किसानों को सलाह दी जा रही है। रोगों की रोकथाम के लिए किसानों को दवा भी मुहैया करायी जा रही है।


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