सरकारी अस्पतालों की बुरी स्थिति है | इसका उदाहरण बन चुका है सकलडीहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र। जहां इमरजेंसी ड्यूटी के रोस्टर में डॉक्टर का नाम नदारद है |
👉सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सकलडीहा पर इमरजेंसी में अपना उपचार नहीं करना चाहता कोई मरीज, असली वजह यही
सकलडीहा, चंदौली । यूपी के सरकारी अस्पतालों की बुरी स्थिति है। इसका उदाहरण है सकलडीहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का। जहां इमरजेंसी ड्यूटी के रोस्टर में डॉक्टरों का नाम नदारद है। वहीं फार्मासिस्ट और वार्ड बॉय को इमरजेंसी ड्यूटी के लिए आदेश दिया गया है।
जब इस विषय की जानकारी लेने के लिए सकलडीहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की पड़ताल की गयी तो वहां पर फार्मासिस्ट और वार्ड बॉय तो उपस्थित थे, परंतु डॉक्टर नहीं दिखे। इस सवाल पर फार्मासिस्ट राजकिशोर वर्मा कहते हैं कि डॉक्टर की ड्यूटी है , वे अभी कहीं गए हुए हैं। जबकि,पड़ताल में मौके पर डॉक्टर मौजूद नहीं थे।
वही जब आगे हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों की पड़ताल की गई तो एक भी मरीज हॉस्पिटल पर भर्ती नहीं पाए गए। पूरा बेड खाली पढ़ा था। जब ड्यूटी लगाने वाले अधिकारी इस प्रकार का रोस्टर बनाकर भेजेंगे तो डॉक्टरों की लापरवाही तो लाजमी है। शायद यही कारण है कि कोई भी मरीज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर इमरजेंसी में अपना उपचार नहीं करना चाहता है ।