उप्र बेसिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद ने बताया कि अब बेसिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा के करोड़ों स्टूडेंट्स को ही नहीं बल्कि लाखों शिक्षक-शिक्षिकाओं को भी टेबलेट से ऑनलाइन हाजिरी लगानी पड़ेगी।

शिक्षा महानिदेशक (डीजी) विजय किरन आनंद

हाइलाइट्स
👉विद्यालयों से गायब रहने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं को भागने का कोई चांस नहीं
👉पूरी सम्भावना है कि अगले साल से विद्यालयों में पहुंचने लगेगा सॉफ्टवेयर फिट टेबलेट
👉बच्चों को बेहतर पढ़ाई के लिए विद्यालयों में चलेगी स्मार्ट क्लासेज,तैयारियां व्यापक स्तर पर शुरू
👉बेसिक शिक्षा के बाद माध्यमिक शिक्षकों का भी मार्डन शिक्षण पद्धति की शीघ्र शुरू होने जा रही ट्रेनिंग
👉शिकायत है कि जौनपुर में परिषदीय विद्यालयों के 200 शिक्षक कई वर्षों से पढ़ाने नहीं जाते स्कूल
प्रयागराज ,पूर्वांचल । उप्र बेसिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा महानिदेशक (डीजी) विजय किरन आनंद ने शिक्षा में व्यापक स्तर पर सुधार और पारदर्शिता को लेकर बड़े स्तर पर प्लानिंग स्टार्ट कर दिया है। अब बेसिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा के करोड़ों स्टूडेंट्स को ही नहीं बल्कि लाखों शिक्षक-शिक्षिकाओं को भी टेबलेट से ऑनलाइन हाजिरी लगानी पड़ेगी।
इस मामले में टीचर्स वह कब स्कूल पहुंचे, प्रार्थना कब हुई, क्या पढ़ाई हो रही है, इतना ही नहीं क्या खाना बन रहा है और कब स्कूल बंद हो रहा है, स्मार्ट क्लासेज से पढ़ाई हो रही है या नहीं, इतना ही नही गुरुजी पढ़ाने स्वयं विद्यालय में आ रहे या ढाई हजार के मास्टर से पढ़वा रहे हैं, सहित अन्य पूरी डिटेल टेबलेट से मिनट टू मिनट डीजी के कार्यालय को देनी होगी।
इस व्यवस्था से विद्यालयों से गायब रहने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं को अब विद्यालय से भागने का कोई चांस नहीं मिलेगा बल्कि विद्यालयों में पूरे समय रहकर बच्चों को पढ़ाना पड़ेगा । इतना ही नहीं, बच्चों को बेहतर पढ़ाई के लिए विद्यालयों में स्मार्ट क्लासेज शुर होगी। इसकी सभी तैयारियां व्यापक स्तर पर शुरू है,जो शीघ्र पूरी होने वाली है।
प्रदेश के बेसिक शिक्षा एवं माध्यमिक शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद ने बताया कि बेसिक और माध्यमिक शिक्षा में टेबलेट से ऑनलाइन हाजिरी और पढ़ाई के लिए टेंडर हो गया है। पूरी सम्भावना है कि अगले माह नए साल जनवरी 2023 से विद्यालयों में टेबलेट पहुंचने लगेगा और उसमें इस तरह से सॉफ्टवेयर फिट किया जा रहा है जिसका पूरा कंट्रोल महानिदेशक ऑफिस लखनऊ से होगा जिससे सभी विद्यालयों, बच्चों और शिक्षकों पर नजर रखा जा सकेगा ।
उन्होंने बताया कि इस टेबलेट से फाइल चार्ट में पूरी डिटेल भरनी पड़ेगी। इससे जहां एक तरफ जो शिक्षक विद्यालय से गायब रहते थे, उनकी उपस्थिति अनिवार्य हो जाएगी वहीं दूसरी तरफ बच्चों या शिक्षकों की गलत संख्या को भी नहीं भरा जा सकेगा या दिखाया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा को और बेहतर बनाया जा रहा है। बेसिक शिक्षा के बाद माध्यमिक शिक्षकों का भी ट्रेनिंग शीघ्र शुरू होने जा रहा है। इसमें मार्डन शिक्षण पद्धति की जानकारी दी जाएगी और उसका लाभ बच्चों को मिलेगा।
शासन और बेसिक शिक्षा-माध्यमिक शिक्षा के महानिदेशक विजय किरन आनंद की सख्ती के बाद भी बड़ी संख्या में शिक्षक-शिक्षिकाएं जौनपुर, गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़, देवरिया, सिद्धार्थ नगर, बागपत, बांदा, महोबा सहित अन्य जिलों में शिक्षण के लिये स्कूल नहीं जाते हैं, बल्कि तीन से चार हजार रुपये में प्राइवेट लोगों को रखकर पढ़ाई करवा रहे हैं। इनमें सबसे पीसीएस, पीपीएस, आईएएस, आईपीएस, विधायक, सांसद और पूर्व मंत्री के परिजन हैं, जो कई वर्षो से विद्यालय पढ़ाने नहीं जाते हैं, जबकि ये लोग प्रति माह तनख्वाह भी उठा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार शासन में सबसे ज्यादा शिकायत जौनपुर जिले की है, जहां के बीएसए और खण्ड शिक्षाधिकारी सुजानगंज की मिलीभगत से परिषदीय विद्यालयों के 200 शिक्षक कई वर्ष से पढ़ाने नहीं जाते हैं, बल्कि उनके स्थान पर प्राइवेट लोग पढ़ाते हैं