आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच सिविक सेंटर में हुई मारपीट , हाथापाई के कारण सदन को स्थगित होने से दिल्ली को मेयर कब मिलेगा? गेंद उपराज्यपाल के पाले में चला गया है।

अब दिल्ली को मेयर कब तक ? उपराज्यपाल के पाले में गेंद , सदन की बैठक की तारीख करेंगे घोषित

नयी दिल्ली। दिल्ली निगम (MCD) की शुक्रवार को हुई सदन की पहली बैठक में हंगामा होने की वजह मेयर का चुनाव टल गया । ऐसा आम आदमी पार्टी (AAP) और भाजपा (BJP) के बीच सिविक सेंटर में हुई मारपीट और हाथापाई के कारण हुआ। सदन को स्थगित कर दिया गया। दिल्ली को मेयर कब मिलेगा। अब इस खेल का गेंद उपराज्यपाल के पाले में चला गया है।
बैठक की अगली तारीख की घोषणा एलजी पर निर्भर
अब सदन की बैठक की अगली तारीख की घोषणा उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के ऊपर निर्भर है। इसके बाद ही तय होगा कि दिल्ली को मेयर मिल कब पाएगा। पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने बताया कि 10 मनोनीत सदस्यों में से चार ने शपथने ले ली है। अब सदन की अगली बैठक की तिथि एलजी को तय है । तब तक विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार कार्य करते रहेंगे। लेकिन ,चुनाव पूरा होने तक पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ही बनी रहेंगी।
हंगामे की असली वजह यह
सिविक सेंटर में मेयर के चुनाव की प्रक्रिया सुबह साढ़े 11 बजे से शुरू हुई थी। आप पार्टी +की तरफ से सदन में दल के नेता मुकेश गोयल ने पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा द्वारा मनोनीत सदस्यों को पहले शपथ दिलाने पर आपत्ति जता दी। इसके बाद आप और भाजपा के पार्षद पीठासीन अधिकारी के आसन तक पहुंच हंगामा शुरू दिए । इस हंगामे के बीच चार मनोनीत सदस्यों विनोद सहरावत, लक्ष्मण आर्य, मुकेश मान और सुनीत चौहान ने शपथ ले ली।
इस दौरान दोनों दलों के पार्षद एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दिए । देखते - देखते कुछ देर बाद ही आपस में धक्का-मुक्की शुरू हो गई और नौबत हाथापाई तक पहुंच गई। एक आप पार्षद ने कुर्सी व मेज उठाकर भाजपा पार्षद को मारने की भी कोशिश किया । जिससे पूरा माहौल गरमा गया। आप का कहना है कि पहले निर्वाचित सदस्यों की शपथ दिलाई जानी चाहिए थी। आरोप लगाया गया कि भाजपा मनोनीत सदस्यों को पहले शपथ दिलाकर सदन में मतदान करने के फ़िराक में है,और अपना वोट संख्या भी बढ़ाना चाहती है।
क्या कहता है नियम
दिल्ली नगर निगम के पूर्व मुख्य विधि अधिकारी अनिल गुप्ता के बताते हैं कि दिल्ली म्यूनिसिपल कारपोरेशन (डीएमसी) एक्ट के अनुच्छेद 32 के अनुसार, निर्वाचित और मनोनीत पार्षदों को निगम सदन में शपथ दिलाई जानी चाहिए। एक्ट में यह स्पष्ट नहीं है कि किसे पहले शपथ दिलाई जाए। यह पीठासीन अधिकारी के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है कि वह किसे पहले और किसे बाद में शपथ दिलाए। मनोनीत सदस्यों को भी निगम सदन में ही शपथ दिलाना अनिवार्य होता है। यदि वे शपथ नहीं लेते हैं तो वे वार्ड समिति के चुनाव में भी मतदान से वंचित हो सकते हैं।
आपको बता दें कि 7 दिसंबर को एमसीडी चुनाव के नतीजे घोषित किये गए थे। आम आदमी पार्टी134 सीटें और बीजेपी ने 104 सीटें जीती थीं। जबकि कांग्रेस को 9, जबकि अन्य को 3 सीटें मिली थीं। बाद में मुंडका से निर्दलीय पार्षद गजेंद्र दराल भाजपा में शामिल हो गए।महापौर के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में 250 निर्वाचित पार्षद हैं। इसमें सात लोकसभा और दिल्ली के तीन राज्यसभा सांसद और 14 विधायक शामिल हैं। वहीं दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष ने सदन के लिए आप के 13 और भाजपा के एक सदस्य को मनोनीत कर चुके हैं ।महापौर के चुनावों में कुल वोट 274 हैं। इसमें संख्या का खेल आप के पक्ष में है, क्योंकि भाजपा के 113 के मुकाबले 150 वोट हैं। कांग्रेस पार्षदों के नौ वोट हैं वहीं दो निर्दलीय भी हैं।यह तय है कि दिल्ली बीजेपी के मेयर और डिप्टी मेयर पदों पर जीत हासिल करने की संभावना नहीं है, लेकिन वह महत्वपूर्ण स्थायी समिति के सदस्यों के तीन पदों को जीतने की कोशिश करना चाहती है । जबकि स्थायी समिति में 18 सदस्य होते हैं, जिनमें से 12 जोन से और छह सदन से चुने जाते हैं।