मैत्री भाव को नष्ट कर रही हिन्दुत्व की राजनीति, मणिपुर हिंसा में गृह मंत्री अमित शाह की भूमिका की हो जांच

मैत्री भाव को नष्ट कर रही हिन्दुत्व की राजनीति, मणिपुर हिंसा में गृह मंत्री अमित शाह की भूमिका की हो जांच

आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने निरंतर बढ़ रही मणिपुर की हिंसा पर पुनः अपनी चिंता व्यक्त की है और हर हाल में मिजोरम में यह हिंसा न फैले इसकी अपील उत्तर पूर्व की लोकतांत्रिक शक्तियों से की है। 


मैत्री भाव को नष्ट कर रही हिन्दुत्व की राजनीति, मणिपुर हिंसा में गृह मंत्री अमित शाह की भूमिका की हो जांच

🔷प्रदेशव्यापी आवहान पर राष्ट्रपति को आइपीएफ ने भेजा अनुरोध पत्र

🔷घटना को शर्मनाक बताते हुए काली पट्टी बांह पर बांधकर विरोध जताया 

नौगढ़ ,चन्दौली |आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने निरंतर बढ़ रही मणिपुर की हिंसा पर पुनः अपनी चिंता व्यक्त की है और हर हाल में मिजोरम में यह हिंसा न फैले इसकी अपील उत्तर पूर्व की लोकतांत्रिक शक्तियों से की है। मणिपुर में जारी हिंसा के लिए सदियों से मैत्री भाव में रहने वाले लोगों की सद्भावना नष्ट करने वाली हिन्दुत्व की राजनीति को आइपीएफ ने जिम्मेदार माना है। 

दरअसल भाजपा की अगुवाई में चल रही केन्द्र और राज्य की सरकार हिन्दुत्व की राजनीति को परवान चढ़ाने में लगी है। जिसका मुख्य उद्देश्य दूसरे धार्मिक विश्वास में लगे हुए लोगों के धार्मिक स्थलों को तोड़ना और उन्हें सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से दोयम दर्जे का नागरिक बना देना है। इसी वजह से मणिपुर में 200 से अधिक चर्च जला दिए गए, अफवाहें फैलाई गई, लोगों की हत्याएं हुई, महिलाओं को निवस्त्र करके घुमाया गया और जला दिया गया।

 इसलिए जरूरत है राष्ट्रपति भारत गणराज्य मणिपुर में शांति और न्याय स्थापित करने के लिए हस्तक्षेप करें। जाहिरा तौर पर मणिपुर में जारी हिंसा में वहां के मुख्यमंत्री और केन्द्र सरकार के गृह मंत्री की भूमिका की जांच हो और दोषी लोगों को दण्डित किया जाए। इस आशय का अनुरोध पत्र आज प्रदेशव्यापी आवहान पर उपजिलाधिकारी नौगढ़ के माध्यम से राष्ट्रपति महोदया को आइपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय के नेतृत्व में मिलकर अनुरोध पत्र दिया! 

 अनुरोध पत्र में कहा गया कि मणिपुर की घटना पर लम्बे समय तक मौन रहने वाले सवाल पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी आश्चर्य नहीं पैदा करती। ऐसे मामलों में चुप रहना ही उनकी राजनीति रही है, गुजरात इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। मणिपुर पर संसद में बहस तक नहीं होने दी जा रही है ताकि यह सरकार वहां जातीय धुव्रीकरण करती रहे और 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी स्थिति को मजबूत करे। 

ऐसी स्थिति में जब संसद में भी बहस की इजाजत नहीं है तब संविधान के गरिमामयी जीवन की गारंटी करने वाली संस्थाओं को आगे आना होगा और मणिपुर में हिंसक वारदात करने वालों को दण्ड़ित करना होगा। यह वाजिब ही है कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सीधे हस्तक्षेप करके अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। इसलिए राष्ट्रपति मणिपुर में शांति और न्याय के लिए हस्तक्षेप करें।

 कार्यक्रम में  आईपीएफ नौगढ़ प्रभारी रहीमुदीन, मजदूर किसान मंच जिला संयोजक रामेश्वर प्रसाद, नंदलाल यादव, मुकेश, सहित दर्जन लोग शामिल रहें!


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