पूर्वांचल उत्तर-मध्य भारत का एक भौगोलिक भूभाग क्षेत्र है, यह पूर्वी छोर पर स्थित है। मौजूदा समय में पूर्वांचल में कुल 26 से लेकर 29 जनपद आते हैं | वजह इसका कोई भौगिलिक सीमांकन नहीं है, अभी इसे राज्य बनाने की मांग चल ही रही है |
साल 2011 के पूर्व जब पृथक राज्य की मांग शुरू हुई पूर्वांचल से सिर्फ 16 जनपदों को जोड़ा गया था | पूर्वांचल उत्तर में नेपाल, पूर्व में बिहार, दक्षिण मे मध्य प्रदेश के बघेलखंड क्षेत्र और साथ ही पश्चिम में उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र से घिरा हुआ है।
पूर्वांचल को एक अलग राज्य बनाने के लिए लंबे समय से राजनीतिक मांग उठती रही है। पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा सहित कई संगठन बराबर आंदोलन करते रहते हैं | इसके जनमोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष हरवंश पूर्वांचली में पृथक राज्य के गठन को लेकर पांच जिलों की जन जागरण यात्रा भी निकाली थी | सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर तो इसे अपने राजनीतिक एजेंडे में रखे हुए हैं |
पूर्वांचल के जिले के नाम इस प्रकार हैं –वाराणसी ,जौनपुर ,गाजीपुर ,भदोही ,मिर्जापुर, प्रयागराज, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़ ,मऊ, बलरामपुर,अयोध्याय, अमेठी ,आंबेडकर नगर,महाराजगंज, बस्ती, गोंडा ,संत कबीर नगर ,सिद्धार्थनगर, बलिया, सोनभद्र,चंदौली,बहराइच ,श्रावस्ती नगर,सुल्तानपुर, प्रतापगढ़,कौशाम्बी हैं |
चन्दौली का पर्यटन स्थल |
वैसे मौजूदा समय में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व उत्तर प्रदेश विधानसभा में 117 विधायकों द्वारा होता है तो वहीं इस क्षेत्र से 23 लोकसभा सदस्य चुने जाते हैं,यह माना गया है| पूर्वांचल के जिलों का उल्लेख राजनीतिक हिसाब से ही उल्लेखित किया जाता हैं ,अभी कोई निश्चित सीमांकन नहीं है|
पूर्वांचल क्षेत्र, जिसे पूर्वी उत्तर प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है, राज्य के सांस्कृतिक और भौगोलिक क्षेत्रों में से एक है। यह उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित है और अपनी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत, विविध संस्कृति और पारंपरिक कलाओं के लिए जाना जाता है।
उत्तर प्रदेश का पूर्वाचल क्षेत्र में कुछ जिलों के ऐतिहासिक विरासतऔर धार्मिक महत्व के उल्लेख इस प्रकार हैं :-
बिंध्याचल मंदिर ,मिर्ज़ापुर |
गोरखपुर: गोरखनाथ मंदिर और इसके धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।
वाराणसी (काशी या बनारस के नाम से भी जाना जाता है): दुनिया के सबसे पुराने बसे शहरों में से एक और हिंदुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल।
आज़मगढ़: अपनी सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत के लिए प्रसिद्ध, और कई उल्लेखनीय व्यक्तित्वों का जन्मस्थान।
बलिया: अपने ऐतिहासिक महत्व और प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानियों की जन्मस्थली के रूप में जाना जाता है।
मऊ: अपने कृषि महत्व और औद्योगिक विकास के लिए पहचाना जाता है।
श्याम मंदिर देवरिया |
देवरिया: यह सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक स्थलों के लिए जाना जाता है।
ग़ाज़ीपुर: गंगा नदी के किनारे के घाटों और इसके ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
जौनपुर: अपने ऐतिहासिक स्मारकों और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है।
प्रवेश के भीतर अटाला मस्जिद ,जौनपुर |
संत रविदास नगर (भदोही): प्रसिद्ध कवि-संत रविदास के नाम पर और अपने कालीन उद्योग के लिए पहचाना जाता है।
सोनभद्र: अपने प्राकृतिक संसाधनों और औद्योगिक विकास के केंद्र के रूप में जाना जाता है।
सुल्तानपुर: ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण और अपने शैक्षणिक संस्थानों के लिए जाना जाता है।
अम्बेडकर नगर: इसका नाम डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के सम्मान में रखा गया है, और यह अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है।
अमेठी: अपने राजनीतिक महत्व और प्रमुख राजनीतिक हस्तियों के निर्वाचन क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।
फैजाबाद: अयोध्या का नाम बदला गया, यह भगवान राम की जन्मस्थली के रूप में हिंदुओं के लिए बहुत धार्मिक महत्व रखता है।
बस्ती: अपने धार्मिक स्थलों और ऐतिहासिक महत्व के लिए पहचाना जाता है।
कुशीनगर:महापरिनिर्वाण प्राप्त बुद्ध की छवि |
पूर्वांचल का क्षेत्र व्यापक और विविध है, और प्रत्येक जिले की अपनी अनूठी विशेषताएं, इतिहास और सांस्कृतिक विरासत है। यह उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने में अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ध्यान दें कि जुलाई 2023 के पूर्व कुछ जनपदों के नामों में बदलाव हुए है तो कुछ के एरिया क्षेत्रफल में भी मामूली बदलाव हुए हैं।राजनीतिक दलों व अन्य पूर्वांचल के शुभ चिंतकों ने जनपदों को लेकर अपने-अपने तरीके से पूर्वांचल का आकार भी बनाया और बदला है | अभी इसका कोई सरकारी सीमांकन नहीं हुआ है |