INDIA के 21 सांसद ने मणिपुर गवर्नर से की मुलाकात ,हिंसा पीड़ितों ने दुःख सुनाया, कार्रवाई की जरूरत

INDIA के 21 सांसद ने मणिपुर गवर्नर से की मुलाकात ,हिंसा पीड़ितों ने दुःख सुनाया, कार्रवाई की जरूरत

INDIA के 21 सांसद ने मणिपुर गवर्नर से मुलाकात की, कहा कि हिंसा पीड़ितों ने दुख सुनाया, कार्रवाई की जरूरत है। PM की चुप्पी से पता चलता है कि वह गंभीर नहीं है |

INDIA के 21 सांसद ने मणिपुर गवर्नर से की  मुलाकात ,हिंसा पीड़ितों ने दुःख  सुनाया, कार्रवाई की जरूरत

इम्फाल | इंडिया I.N.D.I.A. (विपक्षी गठबंधन) से 21 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल दो दिनों के मणिपुर दौरे पर है। दौरे के दूसरे दिन वे राजभवन में राज्य की गवर्नर अनुसुइया उइके से मुलाकात करने गए। शनिवार (29 जुलाई) को ये सांसद मणिपुर पहुंचे थे ।


सभी  21 सांसदों ने अपने हस्ताक्षर वाली एक चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने सरकार से कहा कि राज्य में हो रही हिंसा को रोकने के लिए राज्यपाल से मदद करें। विपक्षी सांसदों ने कहा कि प्रधानमंत्री की इस मामले पर चुप्पी दिखाती है कि वह इसमें गंभीर नहीं हैं।


NIDA के सदस्यों ने इंफाल, चुराचांदपुर और मोइरांग के रिलीफ कैंपों का दौरा किया है। वहां हम हिंसा का शिकार हुए लोगों से मिले। हम उनकी कहानियां, दुख और दुख सुनकर हैरान और दुखी होते हैं। दूसरे समुदायों से अलग होने पर वे गुस्सा हैं। इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।

इन समुदायों के नागरिकों और संपत्ति को बचाने में राज्य और केंद्र सरकार दोनों असफल रही हैं। क्योंकि अब तक 140 मौतें, 500 से अधिक कैजुअलिटी और 5000 से अधिक घरों में आग लग चुकी हैं 60 हजार से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।


पिछले कुछ दिनों में हुई गोलीबारी और आगजनी की घटनाओं से पता चलता है कि तीन महीने से चली आ रही हिंसा को सरकारी प्रयासों ने पूरी तरह से रोका नहीं है। रिलीफ कैंपों में स्थिति खराब है। बच्चों को खास देखभाल की जरूरत है। सब विषयों के विद्यार्थियों को भविष्य की अनिश्चितता का सामना करना पड़ा है। इसे देखना सबसे पहले सरकार की जिम्मेदारी है।


इंटरनेट पर तीन महीने से लगा बैन निराधार अफावाहों को बढ़ा रहा है। यह अविश्वास को बढ़ाता है। प्रधानमंत्री का चुप रहना बताता है कि वे मणिपुर में हुई हिंसा से निराश हैं। हम आपसे अपील करते हैं कि राज्य में शांति को पुनःस्थापित करने और न्याय की नींव को बचाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं। क्योंकि ये सबसे महत्वपूर्ण है


हम भी सरकार को बताना चाहते हैं कि राज्य में कानून व्यवस्था 89 दिनों से चरमराई हुई है और शांति और जनजीवन को फिर से सामान्य करने के लिए उसका हस्तक्षेप करना आवश्यक है।


मणिपुर जाने वाले डेलिगेशन में भाग लेने वाले 23  सांसदों के नाम



1: कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी

2: गौरव गोगोई, कांग्रेस अध्यक्ष

3. श्रीमती देव, टीएमसी

4.  महुआ माझी - JM

5-कनिमोझी-DMK

6: मोहम्मद फैजल, NCPA

7: जयंत चौधरी, वकील, एलएलडी

8: मनोज कुमार झा, RJD

9: एनके प्रेमचंद्रन (RSSP)

10: टी थिरुमावलन वीसीके

11: राजीव रंजन, जिसे ललन सिंह भी कहते हैं, जेडीयू

13: अनील प्रसाद हेगड़े—JDU

14 एए रहीम, CPIM

15: संतोष कुमार, सीपीआई

16. जावेद अली खान (SAP)

17: एटी मोहम्मद बशीर, आईयूएमएल

18. सुशील गुप्ता: तुम

19 अरविंद सावंत शिवसेना (उद्धव गुट) का सदस्य है

20: डी रविकुमार, एमके

21: श्रीमती देवी नेताम, कांग्रेस

22: सुरेश कांग्रेसी

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सांसद मनोज झा भी मणिपुर गए हैं। उनका कहना था कि वे गवर्नर को राज्य में शांति कायम करने की अपील करेंगे।


भारत के सांसद कल रिलीफ कैम्प गए



शनिवार को चुराचांदपुर में हिंसा पीड़ितों से सांसदों ने मुलाकात की। वे भी निर्वस्त्र घुमाई गई लड़की की मां से मिले। विरोधी सांसदों से मां ने अपने बेटे और पति के शव देखने की मांग की।


4 मई को थोंगबुल जिले में भीड़ ने तीन महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया। एक लड़की के भाई और पिता को मार डाला गया था। 19 जुलाई को मामले का वीडियो वायरल होने के बाद सात आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। केंद्रीय सरकार ने CBI को इस मामले की जांच सौंप दी है| 



CBI ने FIR दर्ज करने के बाद जांच शुरू की



इस बीच, CBI ने शनिवार (29 जुलाई) को मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने के मामले में FIR दर्ज कर जांच शुरू की। 27 जुलाई को, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी जाएगी। साथ ही उन्होंने हलफनामा दायर कर मामले की सुनवाई मणिपुर से स्थानांतरित करने की मांग भी की थी।


राजनीतिक फोरम का पत्र: हम साथ नहीं रह पाएंगे



इंडीजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने मणिपुर में विपक्षी संगठन इंडियन नेशनल डेवपलपमेंट इन्क्लूसिव अलायंस (NDIA) के दल को पत्र लिखा है। इसमें जातीय हिंसा का तीन महीने का इतिहास बताया गया है। राज्य के सैन्यागार से हजारों बंदूकें लूट ली गई हैं। राज्य के इकलौते हाईवे को बंद कर दिया गया है, जिससे चूराचांदपुर, देश के सबसे बड़े जिले, को आवश्यक सामान की कमी हो गई है।


मैतेई और ट्राइबल्स शारीरिक रूप से अलग हैं। यद्यपि काफी हिंसा हो चुकी है, दोनों फिर से एक साथ रहने की संभावना कम है। हमारी केंद्रीय सरकार से अपील है कि संविधान के तहत हमें स्वतंत्र शासन दें।ये पत्र आज ही ट्राइबल फोरम ने लिखा है। इसमें कहा गया है कि राज्य की स्थिति निरंतर बिगड़ रही है।


मोदी आने पर उन्हें एक कंपनी मिलेगी— गौरव  गोगोई



I.N.D.I.A. के सांसदों की एक और टीम चुराचांदपुर के डॉन बॉस्को स्कूल में बनाए गए रिलीफ कैंप में पहुंची। यहां कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि स्थानीय लोग कभी भी उन लोगों को माफ नहीं करना चाहते, जिन्होंने उन्हें इस हालात में डाला। उन्होंने अपनी जिंदगी को सामान्य करने के लिए अभी बहुत कुछ करना होगा।


केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए गोगोई ने कहा कि सरकार कहती है कि मणिपुर में हालात सामान्य हैं, लेकिन लोग फिर कैंपों में क्यों रह रहे हैं? लोग अपने घर क्यों नहीं लौटना चाहते? यह स्पष्ट है कि जनता सरकार पर भरोसा नहीं करती।गोगोई ने यह भी कहा कि INDIA का प्रतिनिधिमंडल उन्हें कंपनी (साथ) देगा अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर आते हैं।


मणिपुर में अब तक 150 से अधिक लोगों की मौत




मणिपुर में हिंसा में अब तक 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 3-5 मई 59 लोग, 27-29 मई 28 लोग और 13 जून 9 लोग शामिल थे। 16 जुलाई से 27 जुलाई तक कोई हिंसा नहीं हुई, लेकिन पिछले दो दिनों में झड़प की घटनाएं बढ़ी हैं। मणिपुर के 16 जिलों में सबसे अधिक हिंसा इंफाल, चुराचांदपुर और कांगपोकपी में होती है। 



 जानिए मणिपुर हिंसा का असल कारण



मणिपुर में लगभग 38 लाख लोग रहते हैं। यहां कुकी, नगा और मैतेई तीन प्रमुख जाति हैं। ज्यादातर मैतेई हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई हैं। ST वर्ग में शामिल हैं। करीब 50% लोग इनमें रहते हैं। इंफाल घाटी के मैतेई लोग राज्य के लगभग 10% क्षेत्र में रहते हैं। करीब 34% लोग नगा-कुकी हैं। ये लोग राज्य के करीब 90 प्रतिशत क्षेत्रों में रहते हैं।



विवाद कैसे शुरू हुआ?




मैतेई समुदाय भी जनजाति का दर्जा चाहता है। समुदाय ने मणिपुर हाईकोर्ट में इसकी मांग की। समुदाय ने कहा कि मणिपुर का भारत में 1949 में विलय हुआ था। उन्हें पहले जनजाति का दर्जा दिया गया था। बाद में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में रखा जाए।

मैतेई का दावा क्या है?


मैतेई लोगों का मानना है कि कुकी को सालों पहले उनके शासक ने म्यांमार से युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। तब से वे स्थायी निवासी बन गए। रोजगार के लिए इन लोगों ने जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर में ड्रग्स तस्करी की जगह बन गई है। यह सब आम तौर पर हो रहा है। नगा लोगों से लड़ने के लिए उन्होंने एक आर्मी ग्रुप बनाया।


नगा कुकी के खिलाफ क्यों हैं: मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के खिलाफ बाकी दो जनजाति हैं। इनका दावा है कि मैतेई बहुल इंफाल घाटी में राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीटें पहले से ही हैं। मैतेई को ST वर्ग में आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का वितरण होगा।


क्या सियासी समीकरण हैं ? 



मणिपुर में 60 विधायकों में से 40 मैतेई और 20 नगा-कुकी हैं। 12 CM में से अब तक दो ही जाति से हैं। इधर , केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने विपक्षी सांसदों के मणिपुर दौरे को दिखावा बताया। अनुराग ठाकुर का कहना है कि ये लोग पॉलिटिकल टूरिज्म की ओर बढ़ रहे हैं। ये सांसद पहले की सरकारों के कार्यकाल में मणिपुर की दुर्दशा पर कुछ भी नहीं बोलते थे।


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