यूपी की बड़ी खबर : केजीएमयू में दलित-पिछड़े वर्ग के प्रोफेसर को कुलपति बनने का कभी नहीं मिला मौका, PM मोदी को लिखा पत्र

यूपी की बड़ी खबर : केजीएमयू में दलित-पिछड़े वर्ग के प्रोफेसर को कुलपति बनने का कभी नहीं मिला मौका, PM मोदी को लिखा पत्र

प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति चिकित्सा शिक्षक एसोसिएशन ने कहा कि किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में अगले कुलपति के रूप में किसी दलित या पिछड़े वर्ग के प्रोफेसर को नियुक्त करना चाहिए।


लखनऊ। प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति चिकित्सा शिक्षक एसोसिएशन ने कहा कि किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में अगले कुलपति के रूप में किसी दलित या पिछड़े वर्ग के प्रोफेसर को नियुक्त करना चाहिए।

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति चिकित्सा शिक्षक एसोसिएशन ने कहा कि किंग जार्ज मेडिकल कालेज की स्थापना 1905 में हुई थी और सन् 2002 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय का दर्जा दिया। यह बताना बहुत मुश्किल है कि भारत की स्वतंत्रता से पहले तक इस संस्थान के सभी कुलपति और प्रधानाचार्य सामान्य वर्ग से चुने गये थे, लेकिन किसी पिछड़े या दलित प्रोफेसर को संस्थान का मुखिया नहीं बनाया गया, जो वंचित वर्ग के साथ अन्याय था। 

दरअसल में ,विश्वविद्यालय की स्थापना होने के बाद चुने गए ग्यारह कुलपतियों में से अभी तक दलित-पिछड़े समुदाय से कोई नहीं रहा  | अब तक विश्वविद्यालय में कम से कम पांच कुलपति होने चाहिए था। दलितों और पिछड़ों को केंद्र और राज्य सरकारअब तक  की सभी चयन समितियों और पदों पर प्रतिनिधित्व मिलता है, लेकिन कुलपति चुनाव में उनके समाज का प्रतिनिधित्व नहीं होने के कारण वे हाशिए पर रहते हैं।

पत्र में यह भी अपील की गई है कि किसी दलित या पिछड़े वर्ग के प्रोफेसर को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ के अगले कुलपति के रूप में नियुक्त किया जाए।


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