मायावती ने कहा कि पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव अकेले अपने दम पर लड़ेगी | पार्टी को खर्चीले तामझाम और नुमाइशी कार्यक्रमों से दूर रहकर आम लोगों से जुड़ने की सलाह दी है।
👉 कहा - भाजपा की संकीर्ण जातिवादी और सांप्रदायिक नीतियों से पूरी जनता त्रस्त
👉 जबरदस्त महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, द्वेषपूर्ण राजनीति
👉 कांग्रेस और भाजपा दोनों की नीतियां बहुत अलग
👉कार्यकर्ताओं को पूरे तन-मन-धन से लोकसभा चुनाव में भाग लेने का आह्वान
लखनऊ | बुधवार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने कहा कि पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में अकेले अपने दम पर लड़ेगी. उन्होंने पार्टी को खर्चीले तामझाम और नुमाइशी कार्यक्रमों से दूर रहकर आम लोगों से जुड़ने की सलाह दी है।
यहां, उन्होंने प्रदेश के वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारियों, प्रभारियों और अन्य जिम्मेदार लोगों से बैठक कर पिछली बैठक में दिये गये निर्देशों की रिपोर्ट ली। बैठक में गहन विचार-विमर्श के बाद, उन्होंने पूरे तन-मन-धन से लोकसभा चुनाव में भाग लेने का आह्वान किया।
राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में चुनाव के ठीक बाद होने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए, उन्होंने पार्टी उम्मीदवारों के चयन में बहुत सावधानी बरतने के निर्देश दिए। उनका कहना था कि प्रदेश में बसपा को गठबंधन से कम फायदा हुआ है और अधिक नुकसान हुआ है क्योंकि बसपा के वोट अन्य दलों को मिले हैं।
दूसरी पार्टियों को हमारे उम्मीदवार के पक्ष में वोट देने की कोई इच्छा या क्षमता नहीं है। इससे पार्टी के लोगों का आत्मविश्वास प्रभावित होता है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
यदि चुनावों की बात की जाए तो सब लोग एकमत हैं कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की संकीर्ण जातिवादी और सांप्रदायिक नीतियों से पूरी जनता त्रस्त है, और इसी कारण पार्टी का जनाधार कमजोर हो गया है और यह क्रम जारी रहेगा। इसलिए उत्तर प्रदेश का चुनाव एकतरफा नहीं होगा, बल्कि दिलचस्प होगा और देश की राजनीति को बदल देगा।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि आम लोग भयभीत हैं, जबरदस्त महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, द्वेषपूर्ण राजनीति और देश का खराब माहौल। कांग्रेस और भाजपा दोनों की नीतियां बहुत अलग हैं। कुल मिलाकर, सत्ताधारी दल और विपक्षी दल का गठबंधन लोकसभा चुनाव में जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन दोनों के दावे सत्ता में रहने के बावजूद झूठ बोल रहे हैं। दोनों की नीतियों और कार्यशैलियों से देश के गरीब, पिछड़े, दलित और मजदूरों का हित कम और अहित अधिक हुआ है।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि बसपा समाज से भी वर्गों को जोड़कर आगे बढ़ाने का प्रयास करती है, लेकिन अधिकांश लोग उन्हें तोड़कर कमजोर करने की संकीर्ण राजनीति में व्यस्त हैं, इसलिए इनसे सुरक्षित दूरी बनाना चाहिए।
बसपा अध्यक्ष ने पार्टी में महत्वपूर्ण परिवर्तन करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश का बड़ा और राजनीतिक महत्वपूर्ण राज्य है, इसलिए राजनीतिक परिस्थितियां तेजी से बदलती हैं। इसलिए, चुनावों में अच्छे परिणामों को सुनिश्चित करने के लिए पार्टी में कुछ बदलाव लगातार करने होते हैं. अपनी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी और निष्ठा से निभायें और पार्टी के हित को सर्वोपरि मानें।