उम्र 55 साल, लेकिन संघर्ष बचपन जैसा, जानिए बेगुसराय की मीना के करोड़पति बनने की कहानी

उम्र 55 साल, लेकिन संघर्ष बचपन जैसा, जानिए बेगुसराय की मीना के करोड़पति बनने की कहानी

Success Story: 55 साल की मीना देवी ने बताया कि जब जेब में पैसे होने के बावजूद दुकानदारों ने केले नहीं दिए तो, उन्होंने खुद खेती के जरिए अपनी एक अलग पहचान बनाया | जानिए , बेगुसराय की मीना के करोड़पति बनने की कहानी !

उम्र 55 साल, लेकिन संघर्ष बचपन जैसा, जानिए बेगुसराय की मीना के करोड़पति बनने की कहानी

बेगूसराय |  आधुनिकता के इस दौर में कृषि के क्षेत्र में हो रहे प्रयोग किसानों के लिए समृद्धि के द्वार खोल रहे हैं. बेगूसराय के कई किसानों ने पारंपरिक खेती से नाता तोड़कर नकदी फसलों की ओर रुख कर लिया है। अब इसी कड़ी में बेगुसराय की महिलाएं भी जुड़ रही हैं और खेती के जरिए अपनी एक अलग पहचान बना रही हैं | आज हम एक ऐसे ही प्रगतिशील किसान के बारे में बात करने जा रहे हैं, जो खेती को नया आयाम देने का काम कर रहे हैं।

ये महिला कोई और नहीं बल्कि मीना देवी हैं,  केला उत्पादकों में उनका नाम अग्रिम पंक्ति में है। हालांकि उन्हें इस बात का मलाल जरूर है कि जानकारी के अभाव में वे बागवानी योजना का लाभ नहीं उठा पाये| इसके बाद भी मीना देवी ने हार नहीं मानी और बिना किसी की मदद लिए खेती करना शुरू कर दिया | 

उन्होंने 55 साल की उम्र में केले उगाना शुरू किया
जिला मुख्यालय से 33 किलोमीटर दूर गढ़पुरा प्रखंड की 55 वर्षीय मीना देवी केले की खेती कर रही हैं. इनमें यह पंक्ति चरितार्थ होती है: 'आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है।' हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब उन्हें केले की ज़रूरत थी तब उन्हें केले नहीं मिल सके।

त्योहार के दौरान ऑर्डर देने के बाद भी दुकानदारों ने केले देने से इनकार कर दिया. इसके बाद उन्होंने खुद केले की बागवानी करने का फैसला किया। इसलिए उन्होंने साहूकारों से कर्ज लिया और जी-9 प्रजाति का टिश्यू कल्चर केला भागलपुर ले आये |  अब पिछले 4 वर्षों में तीन बीघे में केले की खेती हो रही है |

उम्र 55 साल, लेकिन संघर्ष बचपन जैसा, जानिए बेगुसराय की मीना के करोड़पति बनने की कहानी


3 बीघे से 4 लाख तक की कमाई
55 वर्षीय मीना देवी केले की बागवानी की देखभाल खुद करती हैं। वह हाथ में हंसिया लेकर केले के पेड़ के तने को खुद ही काटती है और खेत से बाहर ले जाती है. वे इस काम में पूरा दिन बिता देते हैं। जिन लोगों को पार्टियों के लिए केले की जरूरत होती है वे उन्हें अपने बगीचे से सस्ते दाम पर उपलब्ध कराते हैं। वे इस काम को समाज सेवा मानते हैं. मीना देवी केले की बागवानी से भी 4 लाख रुपये तक कमा लेती हैं| 

अगर वे बागवानी योजना का लाभ लेते तो उन्हें पांच लाख रुपये तक की आय हो सकती थी, लेकिन योजना के बारे में कोई जानकारी नहीं है. जबकि जिला उद्यान विभाग का कहना है कि इन किसानों की मदद के लिए प्रत्येक प्रखंड में प्रखंड उद्यान पदाधिकारी की नियुक्ति की गयी है| ऐसे में अब देखना होगा कि इन किसानों को योजना का लाभ कैसे मिलता है और गढ़पुरा प्रखंड उद्यान पदाधिकारी पर क्या कार्रवाई हो पाती है| 


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