Bharat Mala Project : किसानों व दलितों की जमीनअधिग्रहण मामले में आईपीएफ नेता ने सत्तारूढ़ से लेकर विपक्षी जनप्रतिनिधियों को सवालों में घेरा

Bharat Mala Project : किसानों व दलितों की जमीनअधिग्रहण मामले में आईपीएफ नेता ने सत्तारूढ़ से लेकर विपक्षी जनप्रतिनिधियों को सवालों में घेरा

लोगों का पुर्नवासन की व्यवस्था किए बिना व पर्याप्त मुआवजा दिए जमीन का अधिग्रहण किसानों का उत्पीड़न ही कहा जायेगा ! आईपीएफ नेता ने सत्तारूढ़ से लेकर विपक्षी जनप्रतिनिधियों को सवालों से घेरा है |

Bharat Mala Project :  किसानों व दलितों की जमीनअधिग्रहण मामले में आईपीएफ नेता ने सत्तारूढ़ से लेकर विपक्षी जनप्रतिनिधियों को सवालों में घेरा

कहा -भारत माला परियोजना के लिए किसानों व दलित बस्ती की जमीन का अधिग्रहण गलत

 चंदौली | भारत माला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण पर सवाल उठाते हुए आईपीएफ नेता अजय राय ने कहा कि राजमार्ग के रास्ते आ रहें बस्ती के निवासियों का बिना पुनर्वास की व्यवस्था किए उनके जमीन का अधिग्रहण करना उनके साथ अन्याय हैं और मुआवजे की राशि भी भूमि अधिग्रहण के दायरे में आए किसानों के लिए अपर्याप्त हैं | इस मामले में सत्तारूढ़ जनप्रतिनिधियों से लेकर विपक्षी जनप्रतिनिधियों को भी इस पर विचार करना चाहिए | 

आज वे समाज सेवी तिलकधारी बिन्द और महेंद्र बिंद जिनका भी भुमि अधिग्रहण में आए जमीन हैं, उनको लेकर रेवंसा गांव का दौरा किया |  इस भारत माला परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण  होने  से रेवंसा ग्राम सभा के तीन दलित बस्ती पूरी  तरह से उजड़ जाएगी | भूमि अधिग्रहण के शिकार उस गांव दलित व यादव जाति ज्यादातर लोग हों रहें हैं वहां के निवासियों व भूमि-अधिग्रहण के शिकार लोगों का आरोप हैं कि चर्चित स्कूल की व कुछ बड़े लोगों जमीन का जानबूझकर अधिग्रहण नहीं किया गया हैं !सच्चाई जो भी हो लेकिन जमीन  व मकान की अधिग्रहण होने को लेकर वहां के निवासियों की रात की नींद गायब हैं | 
हर मकान पर नम्बर पड़ गया हैं और नोटिस भी मिल गया हैं | 


 चंदौली में राष्ट्रीय भारत माला परियोजना चरण 2 पैकेज 3   के तहत वाराणसी - रांची - कोलकाता एक्सप्रेस / हाइवे  4/6 लेन के निर्माण हेतु भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 की धारा -3(घ) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारत के आधारण के भाग -2 खण्ड - 3 उपखंड (2) में का० आ० 1624   ( अ) के तहत अप्रैल माह में ही हो गया और मुआवजा राशि भी तय हो गया हैं लेकिन अभी जब मुआवजा नहीं मिलने की समीक्षा किया तो 5 जनवरी 2024 को भुगतान नोटिस दिया गया ! रेवंसा के भूमि अधिग्रहण के चपेट में आए किसानों का कहना हैं यह मुआवजा सर्किल रेट से मिल रहा है जो बाजार रेंट से बहुत कम हैं |  

रेवंसा के तीन दलित बस्ती भूमि अधिग्रहण होने पर उजड़ जायेगा |  उनके पास जमीन का अपवाद में ही कुछ लोगों के पास कागज होंगा |  दलित बस्ती में प्रधानमंत्री आवास भी बना हैं |  उसकी मुआवजा मिलेगा कि नहीं और मिलेगा भी तो कितना! 3. 57  की दर से भुगतान की नोटिस दिखाते एक अराजी सं०866 से रकबा0.1820 हेक्टेयर भूमि व अराजी सं०793से रकबा 0.1540  हेक्टेयर भूमि कहा कि हम सब इस पैसे कहां जमीन खरीद करेंगे और बसेंगे कहां ?

इसी तरह से कई परिवार ने कहा कि हमारी जमीन इस परियोजना में चली जायेगी तो हम भूमिहीन हो जाएंगे |  सुभाष राम का केवल घर हैं ,विजय बहादुर राम के पास दस बिस्सा जमीन हैं ,प्रभावती देवी,गुलावचंद यादव ,बुल्लु यादव, सुदर्शन राम सहित सैकड़ों परिवार ने आकर भूमि अधिग्रहण से उत्पन्न समस्यायों को उठाया | 

Bharat Mala Project :  किसानों व दलितों की जमीनअधिग्रहण मामले में आईपीएफ नेता ने सत्तारूढ़ से लेकर विपक्षी जनप्रतिनिधियों को सवालों में घेरा

लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कालेज के अध्यक्ष ने भी कहा कि आखिर हम फरियाद किससे करें,  नेता आते-जाते हैं फोटो खिंचवाते हैं और बातें लम्बी लम्बी करते हैं ,   लेकिन होता कुछ नहीं हैं और वहां  के निवासियों ने चुनाव मुगलसराय से लड़ने वाले विपक्षी नेताओं को भी खुब खरी खोटी सुनाई  और सत्तारूढ़ दल को कहा कि वह तो हम सबको मारने पर तुली हैं यह मुआवजा ऊंट के मुंह में जीरा हैं | 

आईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय व कई बार जिला पंचायत सदस्य रहे तिलकधारी बिन्द ने कहा कि जाम और आवागमन को सुगम बनाने के नाम पर इस परियोजना में कई कम्पनियों का नाम हैं जिसमे  सरकार के खास में जूड़े  कम्पनी भी हैं | यह बस्ती गरीबों की हैं और पीडीडीयू नगर में रोजगार करते हैं अगर बिना समुचित पुनर्वास की व्यवस्था किए उजाड़ना / मकान/ जमीन का अधिग्रहण गलत हैं , उनके साथ अन्याय हैं |  सत्तारूढ़ जनप्रतिनिधियों से लेकर विपक्षी जनप्रतिनिधियों को भी इस पर विचार करना चाहिए | 

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