भूमिहीन मुसहरों को मुख्य मंत्री आवास योजना देने की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए आईपीएफ नेता अजय राय ने कहा कि नौगढ़ में 466 चिन्हित परिवारों में अधिकांश को अब तक लाभ नहीं मिला |
नौगढ़ , चंदौली | भाजपा सरकार के द्वारा मुसहरों को मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत आवासों का आवंटन करने की बात करना केवल हवा -हवाई है और यह जमीनी हकीकत से परे हैं क्योंकि ज्यादातर मुसहर या तो वन में निवास करते हैं या तो सरकारी जमीन पर वसें है | उनको वनाधिकार कानून के तहत या ग्राम सभा की जमीन पर उक्त जमीन का पट्टा नहीं दिया गया | तबतक सरकार की आवास व शौचालय योजना केवल कागजी खानापूर्ति बनती नजर आ रही है |
उक्त बाते आदिवासियों व मुसहरों के वनाधिकार की लड़ाई हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ रहें आईपीएफ संगठन के नेता अजय राय ने कहा कि नौगढ़ के मुसहरों के लिए नौगढ़ प्रशासन कहता हैं पहला चरण में कि तहसील क्षेत्र के कुल 20 गांवों में मुसहर जाति के 278 परिवारों को मुख्यमंत्री मुसहर आवास से लाभान्वित किए जाने की कवायद तेज है। तहसील प्रशासन की ओर से 1.365 हेक्टेयर ग्राम समाज की जमीन चिह्नित की गई है। भूमि आवंटन की प्रक्रिया चल रहा है और साथ ही लाभार्थियों को भूमि हस्तांतरित करने की उम्मीद है।
कुल दावा है कि 25 गांवों में भूमिहीन मुसहर जाति के कुल 466 परिवारों को मुख्यमंत्री आवास योजना से लाभान्वित किया गया है। इसमें जरहर गांव में 53, जलजलवा में 39, सरहसताल गांव में 25, ठठवां में 10 व बरबसपुर गांव में 61 परिवारों को ग्राम समाज की भूमि प्रति परिवार 50 वर्ग मीटर दे दी गई है। आवास निर्माण के लिए उनके बैंक खातों में शासन की ओर से निर्धारित धनराशि भी भेज दी गई है।तहसील के शेष 20 गांवों के 278 परिवारों को भी लाभान्वित किए जाने के लिए भूमि आवंटन की प्रक्रिया चल रही है।
कहा गया कि तहसील क्षेत्र के देवखत, सेमर साधोपुर, बैरगाढ, चमेर, जयमोहनी पोस्ता, धनकुवांरीकलां आदि गांवों के लाभार्थियों को ग्राम समाज की भूमि आवंटित की जाएगी। लेकिन हुआ क्या कई जगह मुसहरों के खाते में पैसा की प्रथम किस्त भेजने के बाद रिकवरी की नोटिस दिया ! जंगल विभाग के अड़चन के बाद आवास बनना मुश्किल था और प्रशासन ने ग्राम पंचायत की सरकारी जमीन का पट्टा देने में असफल रहा वहीं कुछ जगह के मुसहर जंहा बसें थे उनको उसी जगह आवास चाहिए यह मांग थी |
वहीं हाल चकिया तहसील के मुसहरों का भी है | कौडिहार,ढोढ़नपुर, पुरानाडीह,वैरा,वनभिषमपुर,पथरहिया,मझराती,वैराठ,सहित तमाम वनवासी बस्तियों में अभी कच्चे घर ही दिखाई देते हैं | वहीं तमाम गाँव में आवास व शौचालय वन विभाग की जमीन पर बनाने के नाम पर वनवासियों पर वन विभाग ने गम्भीर धाराओं में मुकदमा भी करा दिया गया है ।
जबकि इनका वनाधिकार कानून के तहत अभी तक दावे का निस्तारण नहीं हुआ हैं। गरीब असहाय व मुसहर जाति के लोग किसी प्रकार से झोपड़ी आदि लगाकर अपना जीवन यापन करने को विवश हैं। मुख्यमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। अधिकारियों के उदासीनता व वन विभाग की हठधर्मिता के कारण वनवासी आज भी झोपड़ी में रहने को विवश है | भाजपा सरकार का दवा है कि हर मुसहरों को आवास दे दिया हैं मगर इस सच्चाई में जमीन आसमान का अंतर साफ दिख रहा है |