आईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने कहा कि नीट परीक्षा 2024 में छात्रों व अभिभावकों द्वारा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पर धांधली के गंभीर आरोप लगाए गये हैं।
नये सिरे से संशोधित परीक्षा परिणाम घोषित किया जाये - अजय राय
पूर्वांचल न्यूज़ प्रिंट / चंदौली | नीट परीक्षा 2024 में धांधली का मुद्दा उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में समयबद्ध जांच और नये सिरे संशोधित परीक्षा परिणाम घोषित करने की मांग की है | आईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने कहा कि नीट परीक्षा 2024 में छात्रों व अभिभावकों द्वारा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) पर धांधली के गंभीर आरोप लगाए गये हैं।
67 अभ्यर्थियों ने 720 में 720 अंक लाकर आल इंडिया रैंक प्रथम हासिल किया है। इसके अलावा भी ग्रेस मार्क्स देने, कम मार्क्स हासिल करने वाले अभ्यर्थियों को अधिक मार्क्स वाले अभ्यर्थियों के सापेक्ष उच्च रैंक, हरियाणा के एक ही परीक्षा केंद्र में 6 छात्रों का आल इंडिया में प्रथम रैंक हासिल करने जैसे तमाम गंभीर आरोपों का एनटीए व केंद्र सरकार की ओर संतोषजनक स्पष्टीकरण से नहीं आया है।
बल्कि एनटीए द्वारा पेपर लीक, धांधली और परीक्षा परिणाम में अनियमितता के आरोपों को ही नकार दिया है। जबकि पेपर लीक, धांधली और परीक्षा परिणाम में अनियमितता/विसंगतियों के स्पष्ट प्रमाण हैं। यह भी मांग की गई कि जब तक जांच पूरी न हो तब तक 4 जून को घोषित परीक्षा परिणाम स्थगित रखा जाए। उन्होंने कहा कि पारदर्शी चयन प्रक्रिया के लिए सरकार द्वारा समुचित कदम उठाए नहीं जा रहे हैं जिससे मेधावी व पात्र चयन से वंचित हो जाते हैं और उन्हें घोर मानसिक यंत्रणा से गुजरना पड़ता है।आज रोजगार का संकट बेहद चिंताजनक है।
अग्निवीर, एनटीपीसी व पेपर लीक जैसे सवालों पर हुए आंदोलनों में युवाओं की व्यापक स्तर पर भागीदारी रही। इसलिए चुनाव के बाद रोजगार को प्रमुख मुद्दा बनाना होगा क्योंकि अभी तक केंद्र सरकार की मौजूदा वैश्विक कारपोरेट पूंजी हितैषी नीतियां जिसकी विशिष्टता ही रोजगारविहीन विकास है, बेरोज़गारी की समस्या की मुख्य वजह है। इससे संपत्ति के केंद्रीयकरण में भी रही हैं काफी बड़े पुंजिपतियो की सम्पत्ति अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हुई है।
आज एक फीसद अमीरों के पास 40 फीसद और 10 फीसद उच्च वर्ग के पास 65 फीसद संपत्ति है। वहीं 10 फीसद उच्च वर्ग का जीएसटी व पेट्रोलियम उत्पादों से प्राप्त टैक्स की आय में महज 2.4 फीसद योगदान है। संविधान में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी नीति निर्देशक तत्वों और अनुच्छेद 21 में वर्णित जीवन के अधिकार की व्याख्या में कहा है कि नागरिकों की गरिमापूर्ण आजीविका को सुनिश्चित करने का दायित्व राज्य व सरकार का है।
आज बहुतायत आबादी के अपमानजनक/तिरस्कृत जिंदगी का मुख्य स्रोत बेरोज़गारी की समस्या है। ऐसे में हमारी मांग है कि रोजगार को मौलिक अधिकार बनाया जाए। हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। सभी नागरिकों को गरिमापूर्ण आजीविका सुनिश्चित हो और जब तक ऐसा न हो तब तक जीविकोपार्जन लायक बेरोज़गारी भत्ता दिया जाए।
राज्यों व केंद्र सरकार और सार्वजनिक क्षेत्रों में रिक्त एक करोड़ से ज्यादा पदों पर समयबद्ध पारदर्शी भर्ती और अग्निवीर समेत सरकारी विभागों में नियमित प्रकृति के कामों में संविदा व्यवस्था खत्म हो। चयन प्रक्रिया में निष्पक्ष व पारदर्शी बनाया जाए और पेपर लीक करने वालों पर कठोर कार्रवाई हो |
रेलवे, पोर्ट, एअरपोर्ट, बैंक, बीमा, शिक्षा-स्वास्थ्य, बिजली, कोयला जैसे आम जनता के जीवन के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निजीकरण पर रोक लगाई जाए।संसाधनों के लिए उच्च अमीरों व कारपोरेट्स पर संपत्ति व उत्तराधिकार कर लगाया जाए।
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