ईद-उल-अजहा: नमाज से पहले नहीं कर सकेंगे कुर्बानी, सोशल मीडिया पर शेयर न करें फोटो-वीडियो, जानें निर्देश

ईद-उल-अजहा: नमाज से पहले नहीं कर सकेंगे कुर्बानी, सोशल मीडिया पर शेयर न करें फोटो-वीडियो, जानें निर्देश

ईद-उल-अजहा: ईद-उल-अजहा का त्योहार 17 जून को मनाया जाएगा. दारुल उलूम निज़ामिया फरंगी महल ने साफ कर दिया है कि नमाज से पहले कोई कुर्बानी नहीं दी जा सकेगी.

ईद-उल-अजहा: नमाज से पहले नहीं कर सकेंगे कुर्बानी, सोशल मीडिया पर शेयर न करें फोटो-वीडियो, जानें निर्देश
बकरीद 17 जून को मनाई जाएगी. - फोटो: सोशल नेटवर्क

पूर्वांचल न्यूज़ प्रिंट / लखनऊ  | मुसलमानों ने शनिवार को दारुल उलूम निज़ामिया फरंगी महल की ईद-उल-अज़हा हेल्पलाइन की मदद लेकर अपनी आशंकाओं को दूर किया। हेल्पलाइन पर एक सवाल पूछा गया कि अगर कोई व्यक्ति पहले कुर्बानी दे दे, फिर ईद-उल-अजहा की नमाज अदा करे तो क्या होगा? दारुल उलूम निज़ामिया फरंगी महल के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली की अध्यक्षता में उलेमा के पैनल ने सवालों के जवाब दिए। उलमा ने कहा कि फिर से एक और जानवर की कुर्बानी देनी होगी।

हेल्पलाइन पर पूछा गया कि बच्चे के वयस्क होने या मरने के बाद अकीक़ा करना कैसा होता है? उलमा ने जवाब दिया कि यह वयस्कता तक पहुंचने के बाद मान्य है, लेकिन मृत्यु के बाद अक़ीक़ा मान्य नहीं है। इसी तरह सवाल पूछा गया कि जिस व्यक्ति पर क़ुर्बानी अनिवार्य नहीं है वह अपने बाल और नाखून न कटाए तो क्या उसे इसका सवाब मिलेगा? उलमा ने कहा, नहीं, यह सिर्फ कुर्बानी करने वालों के लिए खास है।
घोषणा

फोटो और वीडियो शेयर न करें
 इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने ईद उल अजहा के सिलसिले में यहां एक जारी बयान में  मुसलमानों से हमेशा की तरह केवल उन्हीं जानवरों की कुर्बानी करने को कहा है जिनके लिए कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं लगा हुआ है. मौलाना ने यह भी अपील की कि कुर्बानी के पल की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर कत्तई शेयर न किए जाएं.

ईद-उल-अजहा: नमाज से पहले नहीं कर सकेंगे कुर्बानी, सोशल मीडिया पर शेयर न करें फोटो-वीडियो, जानें निर्देश



मौलाना खालिद रशीद ने कहा कि कुर्बानी करना कोई रस्म नहीं बल्कि खुदा की पसंदीदा इबादत है। ये हज़रत इब्राहीम अलै. और हज़रत इस्माइल अलै. यह सुन्नत है. सभी साहिबे निसाब मुसलमानों को कानूनी दायरे में रहकर कुर्बानी करनी होगी। 

उन्होंने कहा कि ईद-उल-अजहा की नमाज केवल ईदगाहों और मस्जिदों के अंदर ही पढ़ी जानी चाहिए और सड़कों पर नहीं पढ़ी जानी चाहिए। मौलाना ने कहा कि कुर्बानी खुले स्थानों या सड़कों, गलियों और सार्वजनिक स्थानों के किनारे नहीं की जाती है। पशुओं के अपशिष्ट को नगर निगम के कूड़ेदान में ही डालें। बलि किए गए जानवरों का खून नालियों में न बहाएं। भगवान के नाम पर जानवरों की खालें दान में दें। मांस का एक तिहाई भाग गरीबों में बाँट दो।

इन नंबरों पर सवाल पूछे जा सकते हैं
कुर्बानी, हज, उमरा और अन्य पूजा-संबंधी प्रश्न कुर्बानी हेल्पलाइन फोन नंबर और वेबसाइट के माध्यम से 19 जून तक दोपहर 2 बजे से शाम 4 बजे तक पूछे जा सकते हैं।

नंबर: 9335929670, 7007705774, 9415102947, 9140427677
वेबसाइट- www.farangimahal.in और ईमेल, imamkrasheed@gmail.com


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