आल इण्डिया एनपीएस एम्प्लॉय फेडरेशन के अध्यक्ष डा. मंजीत सिंह पटेल ने बताया कि पुरानी पेंशन में GPF के नाम से मिनिमम 7% अंशदान लिया जाता था, जिसे कर्मचारी अपनी मर्जी से बेसिक सेलरी के बराबर करवा सकता था।
पूर्वांचल न्यूज़ प्रिंट / आगरा से विशेष संवाददाता अनुप कर्णवाल । आल इण्डिया एनपीएस एम्प्लॉय फेडरेशन के अध्यक्ष डा. मंजीत सिंह पटेल ने बताया कि पुरानी पेंशन में GPF के नाम से मिनिमम 7% अंशदान लिया जाता था, जिसे कर्मचारी अपनी मर्जी से बेसिक सेलरी के बराबर करवा सकता था।
इस हिस्से पर सरकार ब्याज की गारंटी देती थी। इस पैसे को कर्मचारी अपनी सुविधानुसार निकाल सकता था। सेवानिवृत्ति पर यह पूरा पैसा उसको एकमुश्त मिल जाता था। सेवानिवृत्ति पर उसे अंतिम सेलरी का 50% पेंशन के रूप में अलग से हर महीने मिलता था। डीए और पे कमीशन का लाभ भी उसको मिलता था।
अब जो व्यवस्था NPS में की गई है उसमें GPF की तरह ही लेकिन 10% की कटौती की जाती है। सरकार भी अपनी तरफ से 10% के मुकाबले 14% का अंशदान करती है जिसको
एलआईसी, यूटीआई और एसबीआई शेयर मार्केट में निवेश करते हैं। इस पैसे पर ब्याज की कोई गारंटी नहीं दी गई है। सेवानिवृत्ति पर जितना भी कॉर्पस इकट्ठा हो जाता है, उसका 60% फंड के रूप में कर्मचारी को दे दिया जाता है और 40% फंड का, उसको पेंशन के लिए एन्यूटी के रूप में लगाना पड़ता है। अब समस्या ये है कि जिन कर्मचारियों का रिटायरमेंट 25, 30 साल की नौकरी के बाद होगा उन्हें तो ठीक ठाक पेंशन मिल सकती है। मगर जिनका रिटायरमेंट 15, 20 साल की नौकरी में ही हो रहा है उनके लिए एनपीएस व्यवस्था अभिशाप बन गई है, क्योंकि इतनी नौकरी में कॉर्पस बहुत कम बनता है और उसके 40% पर पेंशन तो और भी कम बनती है। जिसके कारण खासकर राज्यों में लोगों को 2000 से 3000 ₹ की मात्र पेंशनें मिल रही हैं। विरोध का यही प्रमुख कारण भी है।
पुरानी पेंशन व्यवस्था में किसी की पेंशन 9000₹ से कम नहीं हो सकती थी। पेंशन कम बनने पर उसको मिनिमम 9000₹ के साथ DA दिया जाता था। जिससे उनकी ओल्ड एज सोशल इनकम सिक्योरिटी की गारंटी कवर रहती थी।
रिटायरमेंट पर कर्मचारियों को कुल कॉर्पस का को 60% फंड दिया जाता था, अब उसकी जरूरत ही न रहेगी बल्कि कर्मचारियों को केवल उनका ही अंशदान वापस मिलेगा। डा. पटेल ने कहा कि ऐसा करने से सरकार के फंड में 45.83% की अतिरिक्त बढ़त होगी जिसे पेंशन फंड/एन्नूटी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
दूसरा यह कि कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद 50% पेंशन कैसे दी जाय? यह भी ज्यादा मुश्किल काम नहीं है। एनपीएस में हम देखते हैं कि सरकार हर महीने 14% अतिरिक्त सेलरी का अंशदान करती है। 30 वर्षों की नौकरी के दरम्यान हम पाते हैं कि यह अंशदान लगभग 11% रिटर्न के आधार पर इतना हो जाता है कि उससे ही OPS के बराबर पेंशन दी जा सकती है।
यानी अगर सरकार अपने अंशदान से OPS के बराबर पेंशन देने की व्यवस्था कर दे तो यह कॉर्पस उसके पास ही वापस आ जाएगा। जबकि NPS में दोनों अंशदान अंततः कर्मचारी और उसके परिवार को चले जाते हैं। इस तरह हम पाएंगे कि जो पैसा सरकार किसी कर्मचारी की पेंशन के लिए पूरी नौकरी के दरम्यान कंट्रीब्यूट करती है वो रिटायरमेंट पर सरकार को ही एकमुश्त वापस मिल सकता है। यह प्रक्रिया एक ऐसे साइकिल का निर्माण करेगी जिससे एक परमानेंट पेंशन फंड तैयार हो जाएगा।