सरकार द्वारा वर्ष 2004 में पुरानी पेंशन व्यवस्था को त्यागकर नेशनल पेंशन सिस्टम को अमल में लाया गया। जिसे पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों में अलग अलग समय पर लागू कर लिया गया था।
आईआरएमओपीएस की संगोष्ठी में मुखर हुए कर्मचारी
पूर्वांचल न्यूज़ प्रिंट / आगरा से विशेष संवाददाता अनुप कर्णवाल । सरकार द्वारा वर्ष 2004 में पुरानी पेंशन व्यवस्था को त्यागकर नेशनल पेंशन सिस्टम को अमल में लाया गया। जिसे पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों में अलग अलग समय पर लागू कर लिया गया था। यह बातें शनिवार को आईआरएमओपीएस के अध्यक्ष और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुशांत पांडा ने आगरा कैंट स्थित रेलवे कम्युनिटी हॉल में भारतीय रेलवे पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन के तहत आयोजित संगोष्ठी में कहीं।
श्री पांडा ने कहा कि पिछले सात आठ सालों से इस व्यवस्था के खिलाफ राज्यों और केंद्र में बड़े बड़े आंदोलन चल रहे हैं। कुछ राज्यों ने जैसे सिक्किम, नागालैंड, पंजाब ने इस मसले पर कमेटियां गठित की हैं और कुछ राज्यों ने जैसे हिमाचल, झारखंड, राजस्थान आदि ने ओल्ड पेंशन को फिर से लागू करने के आदेश जारी किए हैं, जो अभी अधूरे हैं। यूनिफाइड पेंशन स्कीम के तहत सरकार ने एनपीएस के एन को उलट कर यू करने भर का काम किया है।
श्री पांडा ने कहा कि कुछ दिनों पहले यूपीएस आया तो कुछ संगठन इस बिना समझे जश्न मनाने में जुट गए थे। 2016 के बाद लोग एनपीएस के प्रति मुखर हुए और आज आंदोलन का महासेतु तैयार हो गया है।
उन्होंने कर्मचारियों से एनपीएस और यूपीएस की खामियां गिनाते हुए ओल्ड पेंशन स्कीम के लागू होने तक आंदोलन को जारी रखने का आह्वान किया।
आल इंडिया एनपीएस एम्प्लॉय फेडरेशन के अध्यक्ष और कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डा. मनजीत सिंह पटेल ने कहा यूनिफाइड पेंशन स्कीम का प्रस्ताव सरकार द्वारा नई पेंशन स्कीम के विरुद्ध चल रहे आंदोलन को रोकने का प्रयास मात्र है।
डा. पटेल ने कहा कि पिछले 24 अगस्त को केंद्र सरकार द्वार यूनिफाइड पेंशन स्कीम अर्थात यूपीएस का दिया गया प्रस्ताव एक छलावा है। कहा कि 25 वर्ष से अधिक समय तक नौकरी करने वालों के लिए तो यूपीएस अच्छा है किंतु इससे कम अवधि की नौकरी वालों के लिए खराब है। सरकार इस नीति से कर्मचारियों को दो खेमों में बांट कर एक बड़ी संख्या में लोगों को आंदोलन से बाहर करना चाहती है।
यूपीएस में 25 वर्ष तक को नौकरी के मानदंड को पूरी पेंशन के साथ 20 साल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम के बहाल होने तक कर्मचारियों का आंदोलन जारी रहेगा। डा. पटेल ने लोगों को समझाने के लिए दर्जनों उदाहरण भी दिए।
आईआरएमओपीएस के संयोजक संतोष पांडे उर्फ चुलबुल ने कहा कि हमारा आंदोलन गैर राजनीतिक तथा कर्मचारी हितों के लिए है। कहा कि हम यूपीएस को ओपीएस तक पहुंचाने के लिए संघर्षरत रहेंगे। इग्नू स्टाफ एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. संजीव वर्मा ने कहा कि एनपीएस, यूपीएस और पुरानी पेंशन के बीच मूलभूत अंतर लोगों की समझ में आ चुका है।
डा. वर्मा ने कहा कि सरकार की कर्मचारी विरोधी नीति को किसी भी हाल में लागू नहीं होने दिया जाएगा। नवीन बोकाडिया ने आठ दिनों पहले आई यूपीएस को उल्टी पुल्टी स्कीम की संज्ञा देते हुए कहा कि आगरा इसके विरोध का इतिहास बनेगा।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अपने हितों के प्रति सभी को सजग होने की जरूरत है, तभी लड़ाई का परिणाम सामने आ सकेगा। महेंद्र तिवारी ने कहा कि हमारा किसी से कोई विरोध नहीं है, ओपीएस के समर्थन में शांतिपूर्ण आंदोलन है जो सरकार से लेकर रहेंगे। तरुण भोला ने कहा कि यूपीएस और एनपीएस दोनों ही कर्मचारी हित में नहीं हैं, जिनका विरोध जारी रहेगा।
अल्फ्रेड डेनियल ने कहा कि एनपीएस अच्छा नही है यह सरकार ने यूपीएस का प्रस्ताव लाकर खुद बता दिया है। हमारा आंदोलन जारी रहेगा तो सरकार ओपीएस लाने को विवश हो जाएगी। उन्होंने यूपीएस गो बैक और एनपीएस गो बैक के नारे भी लगवाए।
इस अवसर पर जवाहर सिंह यादव, दीपक जाटव, मनोज यादव, अमरेंद्र कुशवाहा, संतोष पटेल, नेत्रपाल सिंह, पंकज श्रीवास्तव, अरुण शर्मा, राममोहन यादव, शिवशंकर, राममोहन सहित दर्जनों लोगों ने विचार व्यक्त किए।संचालन सीपी सिंह ने किया।