धानापुर में रामलीला चबूतरे पर सुप्रसिद्ध रामलीला में कैकेई कोप भवन का मंचन हुआ। मंचन के सातवें दिन माता जगदम्बा की आरती के साथ ही मंचन में राजा दशरथ ने वशिष्ठ मुनि से अपने मन के बात को बताते हुए कहा की अब राम को राजा बना देना चाहिए |
धानापुर में रामलीला चबूतरे पर सुप्रसिद्ध रामलीला में कैकेई कोप भवन का मंचन हुआ |
धानापुर / चंदौली / दीपक रस्तोगी । धानापुर मे रामलीला चबूतरे पर सुप्रसिद्ध रामलीला मे कैकेई कोप भवन का मंचन हुआ।मंचन के सातवे दिवस मे माता जगदम्बा की आरती के साथ ही मंचन मे राजा दशरथ ने वशिष्ठ मुनि से अपने मन के बात को बताते हुए कहा की अब राम को राजा बना देना चाहिए और इसकी जिम्मेदारी भी आपको हम सौपते है,इधर प्रजा को राम को राजा बनाये जाने की सुचना मिलते ही ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ती है जगह जगह नगर को सजाया जाता है प्रजा नाचने गाने लगती है \
तभी नगर से होते हुए रानी कैकेई की दासी महंतरा गुजरती है प्रजा को इतना ख़ुश और नगर सजा हुआ देखकर संसय वस प्रजा के इतना ख़ुशी का कारण जानती है, भागते हुए महल मे आती है आते ही रानी कैकेई कक्ष मे प्रवेश करती है
इधर भगवान नारायण माता सरस्वती का आवाहन करके अपने मंसा से अवगत कराते हुए कहते है आप जाकर रानी कैकेई के जीहवा पर वास कर नियति मे सहयोग करे माता सरस्वती नारायण की मंसा जानकर अंतरध्यान हो जाती है
इधर महल मे महंतरा के उकसाने पर राजा दसरथ के दिए हुए दो वचन का कैकेई को स्मरण दिलाते हुए उसे मागने को कहती है रानी भी उसकी बातो मे आकर कोपभवन मे चली जाती है,
राजा दशरथ को रानी के कोप भवन मे जाने की बात पता चलती है तो वह कोपभवन मे जाते है रानी से यहां रहने का कारण जानते है तो बहुत ही व्यथित होते है और रानी के रघुकुल को मिथ्या वचन वाला कहने पर राजा दसरथ कहते है -
रघु कुल रित सदा चलि आई
प्राण जाइ पर वचन न जाइ
पहले मे रानी युवराज भरत के लिए राज गद्दी मांगती है जिसको राजा अपने पहले वचन मे मान लेते है पर दूसरे वचन मे ज़ब रानी राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास मांगती है तो राजा बीलखकर रानी के चरणों मे ये कहते हुये गिर जाते है की इस वचन के बदले कोई और वचन हमसे ले ले पर विधाता ने खुद ही यह सब खेल पहले से रचा था,,
लीला आगे बढ़ती है,, राम के वन गमन के साथ ही आज की लीला यहीं सम्पन्न होती है,,
कैकेई, महंतरा और दशरथ के मंचन को खूब सराहा गया दर्शकों ने कलाकारों के उत्साह वर्धन के लिए नगद पुरस्कार भी दिए और ताली भी खूब बजाई,,
राम (शिवांश) लक्ष्मण (देवांश) दशरथ (शिव कुमार) विस्वामित्र (मुलायम) सरस्वती (शशांक) कैकेई (अमन) सुमंत (सुभम) आदि कलाकार (जुगुनू,जिगर,दुर्गेश)
उपस्थिति एवं रामायणी
सनत कुमार, अरबिंद मिश्र, वशिष्ट दुबे, रामलाल सेठ, बिपिन रस्तोगी, सुरेन्द्र सेठ, सतीश सेठ, रामलाल सेठ, श्रीराम सिँह, कृष्णा मिश्रा (डब्लू ), अच्युतानंद,मुरहु सेठ, गौरी,भैयालाल, सतीश, अर्जुन, प्रेम इत्यादि लोग मौजूद रहे।