रामलीला चबूतरे पर नवे दिवस राम और अंगद मिलन व साथ ही लंका दहन का मंचन हुआ | लीला मे श्रीराम जी हनुमान के सहयोग से अंगद से मित्रता करते हुए सहयोग करने का वचन देते है।जिस पर अंगद भी पूरा सहयोग का वचन देते है |
चंदौली , धानापुर / दीपक रस्तोगी । रामलीला चबूतरे पर नवे दिवस राम और अंगद मिलन व साथ ही लंका दहन का मंचन हुआ। लीला मे श्रीराम जी हनुमान के सहयोग से अंगद से मित्रता करते हुए सहयोग करने का वचन देते है।जिसपर अंगद भी पूरा सहयोग का वचन देते है।
इधर वानर सेना माता सीता का पता लगाने मे जुट जाते अंततः हनुमान जी लंका जाते है वहा माता सीता से मिलते है और उनकी दी हुई मुद्रीका देते हुए कुछ खाने की इच्छा प्रकट करते है और खूब उत्पात भी मचाते है तो रावण के सैनिक हनुमान को पकड़ कर रावण के सामने प्रस्तुत करते तो,,हनुमान को दंड देने के लिए रावण जब उनके प्राण हरने की बात कहता है तो विभीषण बजरंग बली के प्राण बचाने के लिए सुझाव देते हैं कि कपि की ममता पूंछ पर, सबको देऊ समझाय, तैल बौर पट बांधकर पावक दियो लगाय।
वे कहते हैं बंदर को अपनी पूंछ अति प्रिय है। अगर उन्हें दंड देना ही है तो उसकी पूंछ में आग लगा दी जाए। जैसे ही रावण हनुमान की पूंछ में आग लगाता है, वे उस पूंछ से पूरी लंका को जला देते हैं। धानापुर रामलीला समिति के स्थानीय कलाकारों द्वारा रामलीला में लंका दहन के प्रसंग का बेहतर मंचन किया गया।
इस दौरान रामलीला में लंका दहन के साथ ही हनुमान बने पात्र ने रावण की सेना को खूब छकाया। उछलकूद करते हुए हनुमान ने सभी की जमकर तालियां बटोरीं। इस कला से तमाम दर्शक मनमुग्ध हो उठे।