होलिका दहन से पहले दंडी देवी की पूजा की जाती है। होलिका की पूजा गुलाल, अबीर, फूल, नारियल, मिठाई और कच्चे धागे से की जाती है |
लखनऊ/ Purvanchal news Print | होलिका दहन से पहले दंडी देवी की पूजा की जाती है। होलिका की पूजा गुलाल, अबीर, फूल, नारियल, मिठाई और कच्चे धागे से की जाती है। होलिका पूजा के बाद होलिका दहन किया जाता है।
होली पर नये अनाज और उपलों की बलि दी जाती है तथा होलिका दहन के बाद भुने हुए गन्ने खाये जाते हैं। होलिका दहन के समय गेहूं और जौ की बालियों को भूनकर 'होल' प्रसाद के रूप में खाया जाता है। कुछ लोग जली हुई लकड़ी के टुकड़े घर भी ले जाते हैं। होलिका दहन के बाद उसकी राख का तिलक लगाना और शरीर पर मलना भी शुभ माना जाता है।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि मान्यता है कि वर्ष भर स्वस्थ रहने के लिए पीली सरसों को पीसकर सरसों के तेल में लेप बनाकर पूरे शरीर पर लगाने के बाद उस लेप को उतारकर गाय के गोबर के साथ होलिका पर जलाने से स्वास्थ्य लाभ होता है।Google में खोजने के लिए यहां क्लिक करें अथवा purvanchalnewsprint.co.in लिख कर सर्च करें |
होलिका दहन के दौरान किए जाने वाले कुछ उपाय-
1. स्वास्थ्य लाभ के लिए होलिका दहन के समय अपने सिर से काले तिल, हरी इलायची और कपूर उतारकर होली की अग्नि में डाल दें।
2. धन प्राप्ति के लिए होली की अग्नि में चंदन डालें और धन प्राप्ति की प्रार्थना करें।
3. कार्य या व्यापार के लिए एक मुट्ठी पीली सरसों अग्नि पर रखें और उस पर तीन बार पट्टी बांधकर प्रार्थना करें।
4. विवाह के लिए होलिका दहन पर हवन सामग्री और घी डालें।
5. बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए काली सरसों के दाने अपने सिर से 7 बार उतार कर आग में डाल दें।