स्नेह प्रभा ने पत्र के माध्यम से धान के प्रमुख रोग जीवाणु झुलसा व तना का झुलसा के उपचार हेतु किसानों को यह जानकारी दी है.
पूर्वांचल न्यूज़ प्रिंट /ब्यूरो चीफ दिवाकर राय चंदौली |
जिला कृषि रक्षा अधिकारी स्नेह प्रभा ने पत्र के माध्यम से यह अवगत कराया कि फसल सुरक्षा अंतर्गत धान के प्रमुख रोग के बारे में जानकारी दिया है।
1- जीवाणु झुलसा रोग-
पत्तियों पर लहरदार पीले-सफेद या सुनहरे पीले रंग की सीमांत परिगलन,
पत्तियों का सिरे से पीछे की ओर सूखना और मुड़ जाना, बीच की पसली को बरकरार रखना इसके
प्रमुख लक्षण हैं। सुबह-सुबह नयी घावों पर दूधिया या अपारदर्शी ओस की बूंद जैसा दिखने वाला
जीवाणु रिसाव दिखता है। गंभीर रूप से संक्रमित पत्तियाँ जल्दी सूख जाती हैं।
प्रबन्धन/उपचारः-
- यदि किसान भाई प्रारंभ में ही स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट + टेट्रासाइक्लिन की 4-0
ग्राम मात्रा को 25 किग्रा. बीज की दर से बीज शोधन कर देने से 70% रोग से बचने की संभावना
बढ़ जाती है। अतः इससे बचने के लिए बीज शोधन की सलाह दी जाती है।
- स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट + टेट्रासाइक्लिन 30 ग्राम एवं कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 1.25 किग्रा प्रति हेक्टेयर
का छिड़काव करें।
- गर्भावस्था के दौरान म्यूरेट ऑफ पोटाश 6 ग्राम / लीटर, जिंक उर्वरक 4 ग्राम / लीटर और
एलेमेंटल सल्फर 6 ग्राम / लीटर का छिड़काव कर सकते हैं। यदि लक्षण स्वाभाविक रूप से या
हवा - बारिश के मौसम के बाद दिखाई देते हैं, तो 7 दिन के अंतराल के साथ उसी घोल का दो बार
छिड़काव करें।
- नाइट्रोजन उर्वरक का कम उपयोग करे जरूरी होने पे विभाजित खुराक मे इसे दें। खेत से खेत
की सिंचाई न होने दे।
2-शीथ ब्लाइट (तना का झुलसा)-
चावल का शीथ ब्लाइट एक फंगल रोग है जो उच्च आर्द्रता, गर्म
तापमान और घने पौधों वाले खेतों में फैलता है. इसके लक्षणों में पत्तियों पर भूरे धब्बे बनते हैं जो
बड़े होकर लंबे बैंड बनाते हैं, जिससे पौधे सूख जाते हैं और उपज कम हो जाती है।
प्रबन्धन / उपचारः-
- . गर्मी की गहरी जुताई अवश्य करना चाहिए ।
- . स्यूडोमोनास फ्लूरोसेन्स / ट्राइकोडर्मा 10ग्राम / किलो बीज की मात्रा से बीज शोधन करना चाहिए।
- एक हेक्टएर बिचड़ो के लिए बिचड़ो को 100 लीटर पानी मे 2.5 किलो स्यूडोमोनास फ्लूरोसेन्स/ट्राइकोडर्मा की मात्रा मिलाकर बिचड़ो 30 मिनट तक रखे फिर रोपाई करनीचाहिए था ।
- . उर्वरक के अत्याधिक उपयोग से बचे। पौध से पौध के बीच की दूरी का ख्याल रखे ।
- खरपतवार को हटा दें । कार्बनिक पोषक तत्वों को मिट्टी मे मिलाये ।
- संक्रमित खेत से अच्छे खेत मे पानी के बहाव को रोके ।
- . प्रोपिकोनाजोल 25% EC या अजोक्सीस्ट्रोम्बीन 7.1% + प्रोपिकोनाजोल 11.9% SE की 500 ग्राम
- मात्रा को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर एक हेक्टएर मे छिड़काव करे।