क्रय केंद्रों पर फंसा सरकारी पेंच खतौनी न निकलने से कैसे बेंचे गेंहू, किसान नेता ने कहा-आधार नम्बर से हो पंजीकरण

क्रय केंद्रों पर फंसा सरकारी पेंच खतौनी न निकलने से कैसे बेंचे गेंहू, किसान नेता ने कहा-आधार नम्बर से हो पंजीकरण

          Lucknow, पूर्वांचल न्यूज प्रिन्ट। लॉक डाउन में जब खतौनी नहीं निकल पायेगा तो किसानों का कैसे होगा पंजीकरण और जब पंजीकरण नहीं होगा तो किसान गेंहूँ की बिक्री सरकारी क्रय केंद्र पर नहीं कर पाएंगे। ऐसा लगता है कि सरकार बिना होम वर्क किए ही किसानों के लिए राहत देने की घोषणा कर दी है, जो ये  केवल कागजी दिखता है। स्वराज अभियान के नेता व मजदूर किसान मंच के प्रभारी अजय राय ने जब किसानों से गेहूं खरीद में हो रही समस्याओं के बाबत जानकारी ली तो सरकारी दावे की पोल खुल गई। उसमें पेंच ही पेंच नजर आया।किसान नेता अजय राय कहते हैं कि 15 अप्रैल से उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रचार प्रसार कर गेहूँ क्रय केन्द्र खोल दिया है। और चन्दौली जनपद में 40 क्रय केन्द्र खोलकर किसानों की गेहूं खरीदने की शत-प्रतिशत घोषणा भी कर दी गई है लेकिन समस्या यह है कि गेहूँ लेकर किसान केन्द्रों तक पहुँच नहीं पायेगा क्योंकि किसानों का पंजीकरण नहीं हो पा रहा है। लॉक डाउन के चलते साइबर कैफे, सुविधा केन्द्र इत्यादि बंद होने के कारण नहीं हो पा रहा है क्योंकि किसान अपनी खतौनी  ही निकलवा कर पंजीयन नहीं करा पा रहा हैं। जबकि शासन- प्रशासन की इस समस्या के उपर ध्यान ही नहीं है। भले ही
मुख्यमंत्री ने खरीद करने वाले एजेंसियों और कृषि विभाग को ग्राम पंचायत स्तर तक जाकर खरीदने को कहा हो  लेकिन जनपद स्तर के अधिकारी, कृषि निदेशक द्वारा जारी आदेश को अस्पष्ट बता रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथका आदेश इस प्रकार अनुपालनों में फंस चुका है। किसान भी कटाई, मड़ाई को लेकर मजदूर की कमी की समस्या से त्रस्त हैं।पिछले कई वर्षों से हार्वेस्टर के प्रयोग से कटाई होता रहा है। जबकि इस बार लाकडाउन के चलते काफी संख्या में पंजाब से हार्वेस्टिंग मशीन भी नहीं आ  पाए हैं। इसलिए किसानों को गेंहूँ कटाई के लिए हार्वेस्टर मशीन नहीं मिल पा रहा हैं और जो क्षेत्र में उपलब्ध हैं, उसका रेट ज्यादा हैं। वहीं दूसरी तरफ मौसम की बेरूखी ने किसानों की और चिन्तित कर दिया हैं! 
किसान नेता ने किसानों की इस समस्या देखतें हुए किसानों के पंजीकरण में खतौनी की अनिवार्यता खत्म कर आधार नम्बर के आधार पर  किसानों की फसल की खरीद हो और तत्काल भुगतान भी किया जाए।