Good News: चन्दौली में मनरेगा के तहत बेरोजगारों को मिलने लगा रोजगार, शुरू हुई बाहा की खुदाई

Good News: चन्दौली में मनरेगा के तहत बेरोजगारों को मिलने लगा रोजगार, शुरू हुई बाहा की खुदाई

●महिलाएं भी कर रहीं मजदूरी,                    सर
कार को दे रहीं दुआएं, आलमपुर गांव में तेजी से हो रहा काम
                                                             चन्दौली, पूर्वांचल न्यूज प्रिंट: 
लंबे समय से बंद पड़े मनरेगा के कार्यों को शुरू होते ही लॉक डाउन में बेरोजगार पड़े मजदूरों को रोजगार मिलने से उनके चेहरे पर खुशी साफ झलक रही है. कमोबेश यही हालात बुधवार को आलमपुर गांव में बाहर खुदाई के दौरान दर्जनों की संख्या में लगे मजदूर बयां कर रहे थे.
शासन द्वारा घर बैठे मजदूरों को रोजगार देने के उद्देश्य प्रत्येक गांव में मनरेगा के तहत कार्य कराए जाने की स्वीकृति ग्राम प्रधानों को दी जा रही है.  बुधवार को आलमपुर गांव सभा में ग्राम प्रधान श्याम नारायण यादव व ग्राम विकास अधिकारी राम सिंह की देखरेख में बाहा खुदाई का कार्य शुरू कराया गया, जिसमें लगभग डेढ़ सौ मजदूर पहले ही दिन काम में लगे हुए थे. मजदूरों को गांव में ही रोजगार मिलने से उनके चेहरे पर साफ खुशी झलक रही थी, यही नहीं महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर  मजदूरी कर रही हैं.
ताकि उनको इस दुःख की घड़ी में दो जून की रोटी के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े. ग्राम प्रधान श्याम नारायण यादव ने बताया कि गांव में मनरेगा का कार्य शुरू करते ही मजदूरों की तादाद इतनी बढ़ गई है. यहां युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है। यहां मनरेगा के तहत कार्य कर रही लीलावती देवी ने बताया कि लॉक डाउन में हम सभी लोग घर बैठ हुए थे.इस स्थिति में घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गयाथा. लेकिन गांव में कार्य होते ही लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है वहीं कृष्णावती देवी ने बताया कि लगभग एक महीने से लॉक डाउन होने से घर के बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. इस स्थिति के बावजूद भी सरकार द्वारा इस तरह का हम लोगों को रोजगार देने का काम कर रही है जो काबिले तारीफ है. रामावती देवी बताती है कि गांव में ही काम मिलने से हम लोगों को बाहर जाने की जरूरत नहीं है. ग्राम प्रधान ने हम लोगों को गांव में ही रोजगार देकर दुःख दर्द बांटने का काम किया है. पुष्पा देवी ने बताया कि जाब कार्ड होने के बावजूद भी बहुत दिनों से मनरेगा का कार्य ठप पड़ा हुआ था. जिसके कारण हम लोगों के घरों के पुरुष बाहर जाकर कार्य करने को मजबूर थे.लेकिन गांव में ही काम मिलने के कारण हम महिलाएं भी इसमें हाथ बंटाने लगीं हैं.