दुर्गावती / कैमूर ,रिपोर्ट-संजय मल्होत्रा: बिहार राज्य के कैमूर जनपद के दुर्गावती थाना क्षेत्र अंतर्गत यूपी बिहार सीमा पर खजुरा गांव के समीप कोरोना वायरस वैश्विक महामारी को लेकर शासन-प्रशासन द्वारा प्रवासी मजदूरों की जांच व रजिस्ट्रेशन करने हेतु कैंप लगाया गया है. जिसमें नियोजित शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है. लॉकडाउन के दौरान अपने ड्यूटी पर तैनात मजिस्ट्रेट के रूप में उत्क्रमित मध्य विद्यालय डिडखिली के शिक्षक गौतम कुमार एवं मध्य विद्यालय कस्थरी के शिक्षक सुनील कुमार ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी लाक डाउन के दौरान अपना ड्यूटी निभा रहे थे. बीते बुधवार के रात्रि करीब 12: 50 बजे निरीक्षण करने पहुंचे एएसडीएम सुजीत कुमार प्रशिक्षु मोहनिया ने मास्टर को झपकी आते देख मारने लगे और भद्दी-भद्दी गालियां दी. आरोप है कि जब सुजीत कुमार निरीक्षण करने आए तब झपकी आते देखकर गाली गलौज देते हुए शिक्षक के ऊपर कुर्सी फेंक दिया. इस मामले में नियोजित शिक्षक महासंघ के जिला अध्यक्ष रमेश सिंह, सचिव सतीश कुमार चौबे, संयोजक रामानंद राम, शैलेंद्र कुमार सिंह, सुनील कुमार सिंह पप्पू पासवान अखिलेश कुमार सिंह, राकेश रोशन, काशी प्रसाद, महेंद्र गुरु, संजय कुमार सिंह, अखिलेश प्रसाद आदि शिक्षकों ने आक्रोश व्यक्त किया है. . कोरोना आपात सेवा कैंप यूपी बिहार बॉर्डर पर पहुंचकर कैंप प्रभारी को लिखित आवेदन दिया और कैमूर जिला पदाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को लिखित आवेदन देकर
24 घंटे के अंदर कानूनी कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी. कहा- अगर कार्रवाई नहीं हुई तो
सभी शिक्षक कोरोना के वैश्विक महामारी में ड्यूटी को बंद कर विद्यालय जाने को बाध्य हो जाएंगे.
साथ ही शिक्षकों ने बताया कि शिक्षक ही एक ऐसा कर्मी है जिन्हें सरकार कहीं भी ड्यूटी लगा देती है. सरकार के जितने भी कार्य हैं, जैसे जनगणना, पशु जनगणना, चुनावी ड्यूटी हो या लॉक डाउन वैश्विक महामारी की ड्यूटी सभी आदेशों का पालन किया जाता है.
उसके बावजूद भी शिक्षक विद्यालय को जाते समय सिर्फ 10 मिनत देर होने पर शिक्षकों का वेतन समय पर नहीं मिलता है. शिक्षकों को डराया धमकाया व उत्पीड़न किया जाता है.
जनपद के पदाधिकारियों द्वारा मास्टरों को सस्पेंड करने का धमकी दिया जाता है. इस संबंध में पूछे जाने पर प्रशिक्षु एसडीएम संजीत कुमार ने बताया रात्रि के दौरान निरीक्षण करने के क्रम में सो रहे शिक्षकों के बगल के कुर्सी पर डंडे से ठोका गया ताकि शिक्षक अपने नींद से उठ जाए. शिक्षकों के साथ कोई मारपीट नहीं हुई है शिक्षकों द्वारा लगाया गया आरोप बेबुनियाद है. कोरोना जैसे वैश्विक महामारी में सही ढंग से ड्यूटी करने के लिए तथा निगरानी करने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति हुई है. जिसका मैं पालन कर रहा था. और शिक्षक एक पढ़ा लिखा समाज है जिसे नियमों का पालन करना चाहिए और ऐसा घिनौना आरोप लगाने से पहले बार-बार सोचना चाहिए.