कोरोना वायरस मानव जाति पर अब तक का सबसे गंभीर खतरा: दीपक पाण्डेय

कोरोना वायरस मानव जाति पर अब तक का सबसे गंभीर खतरा: दीपक पाण्डेय



दुर्गावती / कैमूर,रिपोर्ट, संजय मल्होत्रा:  चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना का कहार देखते ही देखते दुनिया भर के सभी देशों तक पहुंच गया है.                                                           कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या दुनिया में 53 ,11, 089 लाख तक पहुंच गई हैं। कोरोना वायरस संक्रमण महामारी में संक्रमित लोगों का आंकड़ा लगातार बढ़ते ही जा रहा है.
 विगत 24 मार्च को रात 12:00 बजे से पूरे देश में लॉक डाउन कर दिया गया है.
 हालांकि, जनता कर्फ्यू की सफलता देखते हैं कई राज्य में 22 मार्च को ही लॉक डाउन और कर्फ्यू लागू कर दिया गया था.
 लेकिन भारत में बढ़ रहे खतरे को देखते हुए देशभर में लॉक डाउन कर दिया गया है.
 यही कारण है कि केंद्र सरकार सहित तमाम राज्य सरकारें तीसरे से लेकर चौथे चरण में पहुंचने से कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए कोरोला जोधा पुलिस प्रशासन वह मेडिकल टीम ने कमर कस ली .
बता दें कि आमतौर पर जब भी कोई प्राकृतिक संकट पैदा होता है.
 तो कुछ देशों अथवा राज्यों तक सीमित रह जाता है.
 लेकिन कोरोना वायरस भारत का संकट जिसने पूरे विश्व की मानव जाति को संकट में डाल दिया है. देश के प्रत्येक नागरिक को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि करोना के खतरे को हल्के में लेना देश के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है.
 दरअसल अभी तक कोरोना वायरस से बचने के लिए कोई निश्चित उपाय नहीं है.
 और ना ही इसके कोई वैक्सीन बन पाई है ऐसी स्थिति में भारत में कोरोना वैश्विक महामारी से  घर आते खतरे को देखते हुए हर किसी की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है.                                              क्योंकि भारत जैसे सवा अरब से ज्यादा आबादी वाले विकास के लिए प्रयत्नशील देश पर  का संकट कोई सामान्य बात नहीं है.
 बिहार युवा विकास मंच के जिला अध्यक्ष दीपक पांडे ने बताया कि करोना वायरस के खतरे को देखते हैं.                                                  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार राष्ट्र के नाम संदेश में देशवासियों से बचाव के लिए संयम बर

बरतने का आह्वान किया और घरों से बाहर नहीं निकलने की अपील की है.                                        जिला अध्यक्ष ने कहां की अभी तक के आंकड़े देखें तो करो कोरोना  संक्रमण के बाद भी दुनिया भर में हजारों मरीज ठीक हो चुके हैं.
 हाल ही में एम्स द्वारा जारी जागरूकता दिशानिर्देश पुस्तिका में स्पष्ट किया गया है कि संक्रमित मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ती है जिनमें से कुछ को गहन चिकित्सा निगरानी में रखना पड़ता है जबकि मरीज घर में आकर खुद ही ठीक हो जाते हैं.
इस पु
स्तिका में बताया गया है कि लोगों को संक्रमण बीमारी से घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि सतर्क रहने और भीड़भाड़ से बचने तथा सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों का पालन करने की जरूरत है.