Purvanchal News Print, लखनऊ. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल यादव और सुभासपा के नेता ओमप्रकाश राजभर श्रम कानून संशोधन को लेकर भड़क गए हैं. द्वय नेताओं ने कहा कि इस कोरोना संक्रमण में मजदूर भूख, गरीबी और बीमारी को लेकर परेशान है, ऐसे में योगी सरकार श्रमिकों के अधिकारों में कटौती करके उनके साथ अमानवीय व अलोकतांत्रिक व्यवहार कर रही है, ये मजदूर इन्हें कभी भी माफ नहीं करेंगे. ट्विटर पर ट्वीट कर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए शिवपाल यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अध्यादेश के जरिए मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करने वाले यूपी श्रम अधिनियमों में बदलाव अमानवीय व अलोकतांत्रिक है. क्योंकि यह बदलाव तीन वर्ष तक प्रभावी रहेंगे, ऐसे में लंबी अवधि तक उन मजदूरों का शोषण संभव है. उन्होंने कहा कि आज मजदूर अपनी आजीविका को लेकर अनिश्चितता, भय और भूख के मंझधार में फंसा है.
आगे शिवपाल यादव ने ट्वीट कर कहा कि प्रदेश सरकार से मांग किया कि अध्यादेश के माध्यम से श्रम कानूनों में किए गए अलोकतांत्रिक व अमानवीय बदलावों को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए. मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करने वाले ‘श्रम-क़ानून’ के अधिकांश प्रावधानों को 3 साल के लिए स्थगित कर दिया गया है. क्या आपदा की कीमत केवल मजदूर ही चुकायेंगे?
देश के विभिन्न शहरों में रह रहे प्रदेश के अधिकांश मजदूरों व कामगारों को आश्वासन के बावजूद आधा या पूरा पारिश्रमिक नहीं प्राप्त हुआ है. ऐसे में लाचार श्रम कानूनों को और मजबीत6 करने की जरूरत थी. सरकार ने उल्टे इसे और कमजोर कर दिया. वहीं सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने भी अपने ट्वीट में कहा है कि बीजेपी सरकार मजदूर विरोधी है. श्रमिक कानूनों में बदलाव करके उनके भविष्य और जीवन के साथ खिलवाड़ करने का काम कर रही है.
श्रमिकों को एक बार फिर गुलामी और शोषण की ओर ढ़केलने का कार्य कर रही है. मजदूर इस समय कठिन दौर से गुजर रहे हैं, सरकार उनको गुलाम बनाना चाहती है, अब भाजपा का पतन निश्चित है. गौरतलब है कि राज्य में नए निवेश और पूर्व में स्थापित औद्योगिक प्रतिष्ठानों व कारखानों के लिए श्रम नियमों में 1000 दिनों के लिए अस्थायी छूट दे दी गई है.