केंद्र सरकार पूजीपतियों के कर्ज माफ कर सकती है, तो किसानों को कर्ज में राहत क्यूं नहीं दे रही :अजय राय

केंद्र सरकार पूजीपतियों के कर्ज माफ कर सकती है, तो किसानों को कर्ज में राहत क्यूं नहीं दे रही :अजय राय



पशुपालन, सब्जियों और फल उत्पादन करने वाले किसानके बाजार उपलब्ध न होने से हो रहें हैं तबाह, सरकार से राहत की कर रहें हैं मांग. उनकी इन मांगों को अनसुना करके देश आगे नहीं बढ़ सकता है◆

Purvanchal News Print, चन्दौली: देश महामारी से लड़ रहा है तथा इस लड़ाई में देश का किसान पहले मोर्चे पर खड़ा है, उन्हीं की बदौलत सरकारें आम आदमी को खाद्यान्न मुफ्त या फिर सस्ती दर पर आवंटन कर पा रही हैं. लेकिन खेती घाटे का सौदा होकर रह गया है.                    आमदनी तो दूर, किसानों को फसलों की लागत तक नहीं मिल रही है. इससे किसानों का खेती से मोहभंग हो रहा है. किसान अपने बच्चों को खेती न करने की सींख देकर दूसरे कारोबार में लगाने पर जोर देने लगे हैं. पचास बीघे के बड़े किसान से ज्यादा बेहतर स्थिति परचून की दुकान चलाने वाले व्यापारी और सरकारी चपरासी की है. किसान हक की लड़ाई कृषि को बचाने के लिए लड़ रहा है. यदि सरकार ने खेती को लाभकारी बनाने वाली नीतियां लागू नहीं की तो खेती करने के लिए किसान नहीं मिलेंगे. पशुपालन करने वाले किसान भी काफी परेशान हैं क्योंकि इनके दूध उत्पादन का कोई भी मूल्य नहीं मिल रहा हैं. बैंक से कर्ज लेकर पशुपालन करने वाले किसान तो परेशान हैं. किसानों के कर्ज की किस्त बढ़ता जा रहा हैं और रोजगार चौपट हो गया है. लॉक डाउन के कारण कच्ची सब्जियों का बाजार खत्म हो चुका है. कम्पनियों के द्वारा दूध उत्पादन नहीं खरीदा जा रहा है. फल का बाजार नहीं मिल पा रहा है.चन्दौली जनपद के कलानी गांव के पशुपालन करने वाले किसान नारद पटेल कहते हैं किसानों के दूध का भाव सही नहीं मिल रहा है.                                                    दूधिया बाजार बंद होने के कारण दूध नहीं ले रहे हैं. और जो ले भी रहें है वे किसानों का ही शोषण कर रहें हैं. बरसात व ओलावृष्टि ने किसानों की कमर को तोड़ कर रख दिया हैं.  इन सभी किसानों के लिए कर्जमाफी की मांग उठनी चाहिए. स्वराज अभियान के नेता अजय राय कहते हैं कि किसानों को कर्ज में राहत देने की जरूरत है. इस मांग को उठाते हुए कहा कि जब सरकार बड़े बड़े कारपोरेट घरानों की कर्ज तकरीबन 66,607 करोड़ रूपये माफ कर सकतीं है तो किसानों के कर्जमाफी क्यों नहीं कर सकती है. किसानों को भी फसल बेचने का अधिकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मिलना चाहिए और जो लोग किसानों की फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर नहीं खरीदते हैं, उसको दण्डित किया जाए.