Purvanchal News Print, नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने श्रम कानून की अधिकांश प्रावधान को 3 साल तक के लिए स्थगित किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि 12 घंटे तक काम लेने की शोषणकारी व्यवस्था को पुनः लागू किए जाने से मजदूर दुखी हैं. यह व्यवस्था देश में लागू करना दुःखद और दुर्भाग्यपूर्ण है. अगर योगी सरकार को श्रम कानून में बदलाव करना था तो उसे मजदूरों के हित में किया जाना चाहिए था. सुश्री मायावती ने बाबा डॉक्टर भीमराव अ
आंबेडकर ने श्रमिकों के लिए 8 घंटा से ज्यादा काम लेने पर श्रमिकों को ओवरटाइम की व्यवस्था किया है. भाजपा सरकार इसे बदल कर देश के उसी शोषणकारी युग की ओर धकेलने को उचित नहीं कहा जा सकता है. मालूम हो कि योगी सरकार ने श्रम कानूनों में दिए गए अधिकारों को 3 साल के लिए कटौती करते हुए नया अध्यादेश लाई है. कहा गया है कि लॉकडाउन के कारण प्रदेश में औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियां बहुत ज्यादा प्रभावित हुई हैं. सभी उद्योग बंद रहे. ऐसे में औद्योगिक क्षेत्र की ग्रोथ को प्रोत्साहित करना बहुत महत्वपूर्ण है. मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से यह भी कहा गया है कि नया अध्यादेश मौजूदा उद्योगों, विनिर्माण इकाइयों और नई फर्मों पर भी लागू होगा. हालांकि, कुछ श्रम कानूनों को इस अध्यादेश की परिधि से बाहर रखा गया है. इनमें बॉन्डेड लेबर सिस्टम (उन्मूलन) अधिनियम 1976, कर्मचारी मुआवजा अधिनियम 1923, भवन और अन्य निर्माण श्रमिक अधिनियम 1996 के तहत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण के उपाय और मजदूरी का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने संबंधी मजदूरी अधिनियम 1936 अपने मूल स्वरूप में ही लागू रहेंगे. कर्मचारी मुआवजा अधिनियम में कार्य के दौरान किसी तरह की दुर्घटना का शिकार होकर दिव्यांग होने की स्थिति में मुआवजे का प्रावधान करता है.