Purvanchal News Print चन्दौली: जहां लोग कोरोना संक्रमण से जान बचाने में जुटे हुए हैं वहीं कर्ज बांटने वाली माइक्रो फाइनेंस कंपनी के उत्पीड़न से कर्ज की क़िस्त चुकाने को लेकर गहने व साइकिल बेचने को मजबूर हो गए हैं. ये फाइनेंस कम्पनियां महिलाओं को व्यापार करने के जो पैसा दी है, उसे वसूलने के लिए घरों का चक्कर काटना शुरू कर दी है. माइक्रो फानेन्स के कर्मचारियों द्वारा कई जगह कर्ज वसूली के लिए यह भी कहतें हुएं सुना गया कि गहना बेचो ,चाहे साइकिल, बेचो चाहे राशन हमें चाहिए बैंक का किस्त दीजिए. ये फाईनेंस कम्पनियां आरबीआई के निर्देशों को ठेंगा दिखाते हुए कर्जदारों से जबरन वसूली में जुटी हुई हैं कुछ फाइनेंस कंपनियां और कर्मचारियों द्वारा कहा जा रहा कि वसूली के लिए ऊपर से दबाव हैं.
दिल्ली में बैठी केंद्र सरकार हो या उत्तर प्रदेश के लखनऊ में बैठे योगी सरकार इन दिनों लॉक डाउन में भी सभी के निर्देशों को ठेंगा दिखाने का काम फाइनेंस कम्पनियां कर रही है . उन्हें आरबीआई की भी परवाह नहीं है, जिसके देखरेख व निर्देश पर फाईनेंस का काम करती हैं. चन्दौली जनपद के गाँव-गाँव में जरूरत मद महिलाओं को समुह बनाकर ऋण देने का काम करने वाले माइक्रो फाईनेन्स के वसूली करने वाले कर्मचारियों के द्वारा कहां जा रहा है कि कुछ भी करो और हमें कर्ज की अदायगी चाहिए. चकिया के विभिन्न गांव में पैसा देकर प्रति सप्ताह में ब्याज के साथ वसूली किया जाता है. उसी क्रम में शुक्रवार को भी उक्त बैंक के कर्मी गाँव गाँव घर घर पहुंचे रहे हैं और अपने पैसे की मांग करने में लगे, लेकिन देश में लॉक डाउन के चलते मजदूर कुछ काम करना तो दूर लोग घरों से भी नहीं निकल पा रहे हैं. जिससे खाने-पीने की भी बहुत किल्लत है. जिससे गरीबो के सामने भुखमरी स्थिति उत्पन्न हो गई है. ग्रामीण मजदूरों ने बताया कि वैश्विक महामारी के खत्म हो जाने के बाद जब जीवन सामान्य पटरी पर आ जाएगा तो मजदूरी करके कंपनी का पैसा दे देंगे. देश की तमाम कंपनियां अपने कर्मचारियों को राहत दे रही हैं और सरकार को चंदा. ऐसी हालात में तो कंपनी को लॉक डाउन पीरियड के तमाम किस्त को माफ कर देना चाहिए. कर्जदारों का कहना था कि इस परेशानी सारे करह माफ कर देना चाहिए. लॉक डाउन के बाद अतिरिक्त लोन दिया जाए जिससे उस पैसे से कमा कर कंपनी के दोनों पैसे को भर सकेंगे. साथ ही साप्ताहिक लोन वसूली तत्काल बंद किया जाय एवं कंपनी के द्वारा बनाए जा रहे दबाव और वसूली के लिए बंद किया जाय. यदि हम लोग घर राशन ही बेच देंगे तो रहेंगे कहां और खाएंगे क्या. देश की ऐसी विषम परिस्थिति में गरीबों के मदद करने के लिए कंपनियों को आगे आना चाहिए तभी जाकर गरीब मजदूर कंपनी के कर्ज की अदायगी कर सकेंगे. वैसे आरबीआई ने कहा है कि कोई बैंक कर्जदारों पर लोन व वसूली का दबाव नहीं डालेगा. और तीन माह तक वसूली व क़िस्त जमा करने का दबाव नहीं देंगे. फिर यहां गरीबों को मानसिक तौर पर फाइनेंस कम्पनियां प्रताड़ित कर रही हैं. इन पर कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है.