कोरोना संकट ने समाज में परोपकार दया, करुणा और आत्मीयता का भाव जागृत किया: लेक्चरर दीपक पांडेय
Harvansh Patel6/11/2020 02:55:00 pm
By-Sanjay Malhotra
दुर्गावती: जनपद के ग्राम जनार्दन पुर निवासी समाजसेवी कैमूर जिलाअध्यक्ष सह शिक्षक दीपक पाण्डेय लेक्चरर कहते हैं कि आज संपूर्ण विश्व को कोरोना नामक वायरस ने हरा रखा है.
कोरोना वायरस ने यह अनुभव करा दिया कि आज का मानव और उसके वैज्ञानिक अनुसंधान भले ही विश्व के रहस्य को समझ ले, और पृथ्वी के अंतरिक्ष तक के ग्रह, उपग्रहों तक पहुंचने का प्रयास कर लें. लेकिन पृथ्वी के एक वायरस ने संपूर्ण विकास को चुनौती दे दी है. उसके सामने मानव जाति असहाय और लाचार बनकर खड़ा है.आज कोरोना वायरस ने हमें आत्मचिंतन करने का अवसर दे दिया है.
आज नहीं तो कल हम इस परिस्थिति से उबर ही जाएंगे,परंतु आज की परिस्थितियों ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है. आखिरकार हम किस ओर बढ़ते जा रहे. हम धीरे-धीरे परिवार भाव को विस्मृत कर रहे थे. वृद्ध माता-पिता, वृद्ध आश्रम की ओर जा रहे थे. एकांकी परिवार भाव ने मानव संबंधों पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया था. परंतु लॉक डाउन ने हमें अनुभव कराया कि जहां संयुक्त परिवार है. वहां एकांकीपन, अवसाद बेचैनी कम है. आज छोटे-बड़े पुरुष घर में एक साथ उठते बैठते हैं और आपस में हंसते बोलते हैं तो समय का ध्यान नहीं रहता यह सुख दुर्लभ भी हो गया था. समाज में आज परोपकार दया, करुणा और आत्मीयता का भाव सहज जागृत हो रहे हैं. विभिन्न रूचियों को संतुष्ट करने के स्थान पर यह जीवनयापन का साधन बन गया है. जीवन की बेचैन प्रतिस्पर्धा से व्यक्ति मुक्त अनुभव कर रहा है." कैमूर जिला अध्यक्ष लेक्चरर दीपक पांडे कहते हैं कि जब भी खबरें देखता और पढ़ता था, तो बहुत आहत होता था. आखिर क्यों हम इंसानियत भूलते जा रहे हैं. परंतु इस कोरोना काल में हमें एक छोटी सी किरण नजर आई कि आज भी इंसानियत जिंदा है.
आज भी लोग एक दूसरे की मदद के लिए परस्पर तैयार खड़े हैं. कुछ असामाजिक एवं चुनिंदा लोगों की वजह से हम यह नहीं कह सकते कि मानवता नहीं बची है.
इस दुनिया में इस संकट में भारत के मूल स्वभाव के दर्शन कराए हैं. देश के सक्षम व्यक्तियों ने असहाय निर्धन वर्ग के लिए भोजन वस्त्र चिकित्सा आदि की उदारता पूर्वक व्यवस्था की है.
"श्री पाण्डेय ने कहा कि इस महामारी का शुभ संदेश यही है कि हम अपने वास्तविक जीवन को पहचाने हर पल, कल की चिंता में स्वार्थी ना बने आगे बढ़कर जरूरतमंदों की मदद करें लोगों के बीच सामाजिक दूरी रखें और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहें ताकि हम स्वस्थ रहें व सुरक्षित रह सके."