मोदी सरकार कारपोरेट खेती के लिये बदलती जा रही कानून और नीति : अजय राय

मोदी सरकार कारपोरेट खेती के लिये बदलती जा रही कानून और नीति : अजय राय



                                              ◆ मजदूर किसान मंच केंद्र सरकार के किसान विरोधी नीतियों का करेगा भंडाफोड़ 


Purvanchal News Print                                                                लखनऊ: कारपोरेट कंपनियां खेती, उद्योग और व्यापार पर कब्जा कर मुनाफा लूटना चाहती हैं, इसलिए मोदी सरकार किसानों के हितों की अनदेखी करते हुए कारपोरेट खेती के लिए नियम व कानून बदल रही है. उक्त बातें आज मोदी सरकार की किसान विरोधी नीति का भंडाफोड़ करते हुए स्वराज अभियान के नेता व मजदूर किसान मंच के प्रभारी अजय राय ने कहा.

उन्होंने बताया कि कारपोरेट घरानों के हित के लिए योजनाबद्ध तरीके से ग्रामोद्योग को खत्म किया जा रहा है. धीरे -धीरे जल, जमीन, खनिज पर मालिकाना हक उनको दिया जा रहा है. खेती और व्यापार को उनके हवाले किया जा रहा है.             
                                                     मोदी के सरकार द्वारा जल, जंगल, जमीन, खनिज आदि प्राकृतिक संसाधनों पर कारपोरेट्स को मालिकाना हक देने के लिये नीति और कानूनों में बदलाव की प्रक्रिया जारी है. बैंक, बीमा कंपनियां, रेल और सभी सार्वजनिक क्षेत्रों को देशी- विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हवाले किया जा रहा है. अब यह सरकार खेती और व्यापार को कारपोरेट्स को सौंपने के लिये नीतियां और कानूनों में बदलाव करने का काम कर रहे हैं.                                      किसान नेता ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिये किसानों की संख्या आधी करना और धीरे धीरे खेती में केवल 20 प्रतिशत किसान रखकर बाकी किसानों को खेती से बाहर करना केंद्र सरकार और नीति आयोग की घोषित नीति की चाल है.     

                                                   यह बीस फीसदी किसान कारपोरेट किसान होंगे, जो कंपनी खेती या करार खेती के माध्यम से खेती करेंगे. सरकार मानती है कि छोटे जोत रखनेवाले किसान पूंजी, यंत्र ज्ञान के अभाव के कारण अधिक उत्पादन की चुनौती को स्वीकार नहीं कर पाते हैं. इसलिये उन्हे खेती से हटाना जरुरी है. 

   उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की कृषि नीति कारपोरेट खेती की दिशा में आगे बढ रही है.अब करार खेती या कारपोरेट खेती के माध्यम से कंपनियां खेती करेगी. रासायनिक खेती, जैविक खेती में बीज, खाद, कीटनाशक, यंत्र और तंत्रज्ञान आदि इनपुट पर कंपनियों ने पहले ही नियंत्रण प्राप्त किया है.                                                                   यह कारपोरेट कंपनियां अब खेती का मालिक बनकर या करार खेती के माध्यम से खेती करेंगी. मंडियों के अंदर और बाहर एक देश एक बाजार में कृषि उत्पाद खरीदा जायेगा. फसलों का उत्पादन, भांडारण, प्रक्रिया उत्पाद, घरेलू बाजार और विश्व बाजार में खरीद, बिक्री, आयात, निर्यात सभी काम यह बहुराष्ट्रीय कंपनियां करेगी. 

  श्री राय ने कहा कि देश के किसानों को केंद्र सरकार द्वारा भारत की खेती को कारपोरेट्स के हवाले करने के नीति और कानूनों का विरोध करने के लिये संगठित होकर संघर्ष करना होगा. हमें किसानों के लिये न्याय और आजादी के लिये मिलकर संघर्ष करना पड़ेगा.