- गरीब कल्याण रोजगार अभियान का बजट 50 हजार करोड़ रुपए रखा गया. कामगारों को स्किल के हिसाब से 25 काम दिए जाएंगे.
- गरीब कल्याण रोजगार अभियान 125 दिनों का होगा, इसे देश के 116 जिलों में चलाया जाएगा, इससे 25 हजार से ज्यादा प्रवासी कामगारों को फायदा मिलेगा
- दिल्ली से लौटीं स्मिता कुमारी ने प्रधानमंत्री को बताया कि दिल्ली में फैक्ट्री में काम करती थी, अब गांव में शहद बनाने का काम शुरू करना चाहती हूं.
नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुआत कर दी. बिहार के खगड़िया जिले के तेलिहार गांव से योजना की घोषणा की गई. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि लद्दाख में हमारे वीरों ने जो बलिदान दिया, उस पर सेना को तो गर्व है ही. पराक्रम बिहार रेजीमेंट ने किया है, इसलिए हर बिहारी को इस पर गर्व होता है. जिन वीरों ने देश के लिए बलिदान दिया है, उन्हें नमन करता हूं. उनके परिवारों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि देश उनके साथ है, हम कभी भी इस बलिदान को भूलेंगे नहीं.
गांवों ने शहर को सिखाया: जब कोरोना महामारी का संकट बढ़ना शुरू हुआ तो आप सभी लोग राज्य और केंद्र सरकार की चिंताओं में बने हुए थे. हमने अपने श्रमिक भाई बहनों के लिए स्पेशल ट्रेन भी चलाईं. कोरोना का इतना बड़ा संकट, जिसके कारण दुनिया सहम गई, लेकिन आप डटकर ठहर गए. भारत के गांवों ने कोरोना का जिस तरह मुकाबला किया है उसने शहरों को भी सबक दिया है. कोरोना संक्रमण को आप सब ग्रामवासियों ने बहुत ही प्रभावी तरीके से रोका है. गांवों की जनसंख्या 80-85 करोड़ हैं, जो पूरे यूरोप,अमेरिका, रूस और ऑस्ट्रेलिया सेज्यादा है. इस जनसंख्या का कोरोना से मुकाबला करना बहुत बड़ी बात है. पंचायत तक हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं, चिकित्सा सुविधाएं, वेलनेस सेंटर स्वच्छता अभियान की अहम भूमिका रही है.
नई मशीन से हर दिन कोरोना के 1500 टेस्ट:
मुझे बताया गया है कि परसों से पटना में कोरोना टेस्टिंग की बड़ी आधुनिक टेस्टिंग मशीन शुरू होने वाली है. इस मशीन से हर दिन करीब 1500 टेस्ट संभव होंगे. आज गरीब के कल्याण के लिए उसके रोजगार के लिए बहुत बड़ा अभियान शुरू हुआ है. यह हमारे श्रमिक भाई-बहनों के लिए गांव में रहने वाले नौजवानों को समर्पित हैं. इनमें वे लोग शामिल होंगे जो लॉकडाउन में अपने गांव लौटे हैं.
बिहार लौटे मजदूरों से बात भी किया :
मोदी ने दिल्ली से लौटीं स्मिता कुमारी से बात किया.स्मिता ने बताया कि गांव में इंटर तक पढ़ाई की है. लॉकडाउन के समय दिल्ली में थे, वहां फैक्ट्री में काम करते थे, स्पेशल ट्रेन से गांव लौटे हैं. जब मोदी ने पूछा कि लौटने में कोई दिक्कत नहीं हुई? मेरे लिए शिकायत तो नहीं है? कोई तो होगी, आप बताती नहीं हो? लगता होगा दिल्ली में अच्छे थे, मोदी जी ने ऐसा कर दिया कि हमें घर आना पड़ा. स्मिता ने कहा कि मैं गांव में शहद बनाने का काम शुरू करने की सोच रही हूं.
उन्होंने जनार्दन शर्मा किया तो उन्होंने बताया कि गुड़गांव में 12 साल से चुनाई का काम करते थे कोरोना महामारी हो गई, इसलिए घर लौट आए है. स्पेशल ट्रेन से घर लौटे और ट्रेन में भी दूर-दूर बैठे, सभी ने मास्क लगाए थे.
गरीब कल्याण रोजगार अभियान क्या है ?
इस अभियान का मुख्य मकसद कामगारों को उनकी रुचि और कौशल के तहत रोजगार - स्वरोजगार उपलब्ध कराना है जिनमें बिहार में सबसे ज्यादा 32 जिले शामिल हैं.
इस अभियान के तहत सरकार ने 6 राज्यों के 116 जिलों को चुना गया है. इनमें करीब 88 लाख प्रवासी मजदूर अन्य राज्यों से लौटे हैं. इन सभी 116 जिलों में बिहार में 32, उत्तर प्रदेश में 31, मध्य प्रदेश में 24, राजस्थान में 22, ओडिशा में 4 और झारखंड में 3 जिले शामिल हैं. 125 दिन रोजगार मिलेगा
ये 116 वे जिले हैं, जहां 25 हजार से ज्यादा प्रवासी मजदूर वापस आए हैं. गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत साल में 125 दिनों तक रोजगार उपलब्ध कराने की योजना है.
अभियान का बजट 50 हजार करोड़
केंद्र सरकार ने गरीब कल्याण रोजगार अभियान में बजट 50 हजार करोड़ रुपए रखा है. कामगारों को स्किल के हिसाब से 25 काम दिए जाएंगे. इनमें सड़क, ग्रामीण आवास, बागवानी, पौधारोपण, जल संरक्षण और सिंचाई, आंगनवाड़ी, पंचायत भवन और जल जीवन मिशन जैसे काम शामिल हैं. इस अभियान को लागू करने से पहले सरकार ने स्किल मैपिंग की है.
किस राज्य में कितने प्रवासी मजदूर लौटे:
उत्तर प्रदेश: 35 लाख से ज्यादा
मध्यप्रदेश: 25 लाख से ज्यादा
बिहार: 15 लाख से ज्यादा
झारखंड: 2 लाख से ज्यादा
राजस्थान: 10 लाख से ज्यादा
ओडिशा: एक लाख से ज्यादा.