यूपी-बिहार सीमा पर अप्रवासी मजदूरों के आने का क्रम थमा, राजनीति चर्चाओं का दौर शुरू

यूपी-बिहार सीमा पर अप्रवासी मजदूरों के आने का क्रम थमा, राजनीति चर्चाओं का दौर शुरू

  दुर्गावती, रिपोर्ट- संजय मल्होत्रा: उत्तर प्रदेश-बिहार की सीमा पर नेशनल हाईवे-टू से आने वाले अप्रवासी मजदूरों के आवागमन का सिलसिला थम चुका है. इक्का-दुक्का छोड़कर अब नहीं दिखाई दे रहा मजदूरों का हुजूम. बॉर्डर पर कर्मचारियों की सहायता से मजदूरों को उनके गृह जनपद भेजा जा रहा है.     यह अधिकारियों के आदेश आने के बाद कभी भी बंद हो सकता है. लेकिन जिले का सबसे चर्चित रामगढ़ विधानसभा में आपने किस्मत आजमाने के जुगाड़ में लगे प्रत्याशियों के रूप में समाज सेवकों की समीक्षा चौक चौराहे पर होनी शुरू हो चुकी है.                                    समाज सेवा के माध्यम से विधानसभा का सफर तय कर वाले कोई गांव में राशन बांटा तो कोई रोड पर भोजन कराया और कोई पार्टी का बैनर लगा भोजनालय ही खोल डाला. चाय की दुकानों पर बैठे लोग उन प्रत्याशियों की सूची तैयार करने में जुटे हैं, जो किसी भी जुगाड़ से टिकट पाने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं. चुनावी वर्ष में जिनका समाज में कोई योगदान नहीं रहा वैसे भी प्रत्याशी अपना किस्मत आजमाने के फेरे में पड़े हैं. कोई पार्टी को विरासत के रूप में लाभ चाहता है तो कहीं कोई दूसरे दल से आकर टिकट लेने के लिए दिन-रात एड़ी चोटी एक किए हुए है.       ऐसे भी समाजसेवी नेता रहे हैं, जो गांव में दीन हीन दुखियों की मदद, गरीबों के बेटी की शादी, गरीब बच्चों की पढ़ाई तो, किसी गरीब को प्रखंड के प्रमुख जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी मदद कर बैठाने का काम किया है. कितने गरीबों की बीमारी में मदद भी की है.                      यही नहीं जिले में अपनी पार्टी का जनाधार बढ़ाने में तन-मन-धन से सहयोग दिए हैं. जिनकी भी चर्चाएं चौक-चौराहे पर सुनने को मिल रही है. और वैसे भी राजनेता जो सेवा करके अपनी मंजिल तक पहुंचे हैं और उनके ही कार्यकाल में सरकार की योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं. जिसका दोषी मानते हुए चौराहे पर चर्चाओं के माध्यम से सुनने को मिल रहा है. जनता फूल बरसा फेसबुक पर फोटो डाल है. क्या फेसबुकिया नेता अपने मंसूबों को अंजाम तक पहुंचा पाएंगे.                      इसकी भी चर्चा कर रही है. साथ ही जनता यह भी चर्चा कर रही है कि सरकार की योजनाओं में होने वाले भ्रष्टाचार, किसानों को उचित दाम दिलाने, शौचालय में जिन लोगों का भुगतान नहीं हुआ है किसान कार्ड से जिसका पैसा नहीं आया है. अधिकारी उसे रिजेक्ट करते हैं या जिन किसानों का किसान क्रेडिट कार्ड नहीं बनता है.                                                           सात निश्चय में जल नल हरियाली जैसे मुख्य मुद्दे पर सेवा के वैशाखी से पार करने वाले नेता कभी आवाज उठाए हैं या नहीं. यह भी एक चर्चा का विषय है. जनता का मानना है कि यदि विधानसभा में चुनाव लड़ने वाले नेता क्षेत्रीय समस्याओं और भ्रष्टाचार शिक्षा, इंदिरा आवास में धांधली, मनरेगा और ग्राम पंचायतों में लूट जैसे ज्वलंत मुद्दों को उठाते तो उन्हें बहुत बड़ा जनाधार मिलता. और विधानसभा पहुंचने से उनको कोई रोक नहीं पाता.                  लेकिन ऐसी आवाज उठाना कहीं न कहीं से मुनासिब नहीं समझते हैं  ये नेता तथा समाजसेवी  जिससे भ्रष्टाचारी अधिकारी, मुखिया पंचायत सेवक निर्भीक होकर जनता को लूट रहे हैं. यही नहीं नेशनल हाईवे पर आए दिन बालू लदे ओवरलोडेड वाहनों के कारण कितने मरीज यात्री जिल्लत झेलते और मर भी जाते हैं.                              लेकिन इस ज्वलंत मुद्दे पर भी आवाज उठाने वाला कोई समाजसेवी है और न कोई नेता दिखाई दे रहा है.                     इन नेताओं का एक ही रूप देखने को मिलता है. कोई मर जाए मुकाम दे देना, कभी-कभार अपने कार्यकर्ताओं को इकट्ठा कर लिट्टी चोखा की पार्टी कर देना या बाहरी सेवा का आडंबर दिखा देना. क्या इस तरह की राजनीति करने वाले लोगों को जनता विधानसभा पहुंचाएगी.   यही देखने का समय आ रहा है. राजनीतिक रास्ते चाहे जो भी अपनाया जा रहा है नेताओं और समाजसेवियों के द्वारा उससे जनता का भला कम भ्रष्टाचारियों का बोलबाला ज्यादा है. और जनता शोषण का शिकार हो रही है.                                                    इस तरह इन नेताओं और समाजसेवी द्वारा दिखावटी राजनीति को  रामगढ़ विधानसभा की जनता को बारीकी से सोचने और अध्ययन करने लगी है ताकि क्षेत्रीय जनता,मजदूर,किसान व नौजवान का भविष्य सुरक्षित रह सके.