◆ प्रवासी मजदूरों को नहीं मिला शासनादेश के अनुसार राशन किट व पैसा, मनमाना की गई घटतौली व कटौती Purvanchal News Print लखनऊ/नई दिल्ली : पूर्वी उत्तर प्रदेश के चन्दौली जनपद में शासनादेश के विपरीत प्रवासी श्रमिकों की शिकायत है कि राशन किट में कटौती की जा रही हैं. राशन किट में घोटाला किये जाने का आरोप आईपीएफ के प्रदेश प्रवक्ता व स्वराज अभियान के नेता अजय राय ने लगाया है. इसकी शिकायत दर्ज कराते हुए उप जिला मजिस्ट्रेट चकिया को एक ज्ञापन सौंपा और तत्काल जांच कर उचित कार्रवाई किये जाने की मांग की है.
ज्ञातव्य हो कि कोविड महामारी के दृष्टिगत लॉकडाउन के कारण उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए प्रवासी श्रमिकों के राशन में कटौती करना अक्षम अपराध है. सरकार ने इस स्थिति से निपटने हेतु सभी प्रवासी श्रमिकों चाहे वह होम क्वारंटीन या सरकार द्वारा बनाए और अस्थायी क्वारंटीन केंद्र में रहने वाले हों, उनको सरकार के आदेश के अनुसार 15 दिन का राशन किट दिए जाने का प्रावधान बनाया गया है.
उसके लिए राजस्व विभाग के शासनादेश संख्या -258 1-11 -2020 दिनांक 13 अप्रैल 2020 तथा चिकित्सा विभाग के शासनादेश संख्या 1031/ पांच -5 - 2020 दिनांक 1 मई 2020 का संदर्भ जिसमें राजस्व विभाग द्वारा उक्त शासनादेश के क्रम में यह निर्देश दिए गए थे कि लॉक डाउन के दौरान प्रदेश के अन्य जनपदों तथा दूसरे प्रदेशों से आने वाले प्रवासी श्रमिकों /व्यक्तियों को अस्थाई आश्रम स्थल में क्वॉरेंटाइन अवधि पूर्ण होने के पश्चात उन्हें उनके घरों हेतु अवमुक्त किए जाने के समय 15 दिनों का राशन किट के रूप में वितरित किया जाएगा. जिसमें 10 किलो आटा ,10 किलोग्राम चावल, 5 किलोग्राम आलू , 2 किलोग्राम भुना चना, 2 किलोग्राम अरहर की दाल, 500 ग्राम नमक, ढाई सौ ग्राम मरचा, 250 ग्राम हल्दी, 250 ग्राम धनिया, एक लीटर सरसों या रिफाइंड तेल एक किट में व्यवस्थित खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी. जिसका अधिकतम मूल्य ₹1250 रहेगा तथा सभी प्रवासी श्रमिकों को ₹1000 उनके खाते में दिए जाएंगे. इस खाद्य सामग्री को तुरंत दिया जाए, लेकिन कड़वी सच्चाई यह है कि उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में चन्दौली जनपद में इसका पूर्ण रूप से पालन नहीं हुआ और बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया है. इसमें कटौती की गई. यहां चन्दौली में जब चकिया तहसील के कई प्रवासी श्रमिकों से जानकारी ली गई तो यह शिकायत सामने आई कि उन्हें दिए जाने वाली सामग्री शासन के आदेश के बाद भी कम दिया गया है. जबकि उनमें से मात्रा भी कम है और कुछ सामग्री गायब भी है. अब सवाल यह है कि यह किसके इशारे पर ऐसा किया गया है. राशन किट में क्यूं कटौती की गई और जिले के आला अफसर क्यों चुप हैं. मजदूर किसान मंच व आईपीएफ के प्रदेश प्रवक्ता श्री राय ने गुरुवार को उपजिलाधिकारी चकिया से भेंट कर मांग किया कि सभी प्रवासी श्रमिकों जो अस्थाई होम या सरकारी आश्रम स्थलों में क्वारंटीन अवधि पूर्ण कर लिए हैं उन्हें राशन किट दिया जाए. कोविड-19 के दृष्टिगत लॉकडाउन के कारण उत्पन्न स्थिति से निपटने हेतु प्रवासी श्रमिकों को राशन किट सरकार के शासनादेश प्रति के अनुसार दिया जाए तथा अब तक हुए घोटाले की जांच हो. इसके लिए दोषी सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, ऐसा नहीं किये जाने पर आंदोलन किया जाएगा.
उसके लिए राजस्व विभाग के शासनादेश संख्या -258 1-11 -2020 दिनांक 13 अप्रैल 2020 तथा चिकित्सा विभाग के शासनादेश संख्या 1031/ पांच -5 - 2020 दिनांक 1 मई 2020 का संदर्भ जिसमें राजस्व विभाग द्वारा उक्त शासनादेश के क्रम में यह निर्देश दिए गए थे कि लॉक डाउन के दौरान प्रदेश के अन्य जनपदों तथा दूसरे प्रदेशों से आने वाले प्रवासी श्रमिकों /व्यक्तियों को अस्थाई आश्रम स्थल में क्वॉरेंटाइन अवधि पूर्ण होने के पश्चात उन्हें उनके घरों हेतु अवमुक्त किए जाने के समय 15 दिनों का राशन किट के रूप में वितरित किया जाएगा. जिसमें 10 किलो आटा ,10 किलोग्राम चावल, 5 किलोग्राम आलू , 2 किलोग्राम भुना चना, 2 किलोग्राम अरहर की दाल, 500 ग्राम नमक, ढाई सौ ग्राम मरचा, 250 ग्राम हल्दी, 250 ग्राम धनिया, एक लीटर सरसों या रिफाइंड तेल एक किट में व्यवस्थित खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी. जिसका अधिकतम मूल्य ₹1250 रहेगा तथा सभी प्रवासी श्रमिकों को ₹1000 उनके खाते में दिए जाएंगे. इस खाद्य सामग्री को तुरंत दिया जाए, लेकिन कड़वी सच्चाई यह है कि उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में चन्दौली जनपद में इसका पूर्ण रूप से पालन नहीं हुआ और बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया है. इसमें कटौती की गई. यहां चन्दौली में जब चकिया तहसील के कई प्रवासी श्रमिकों से जानकारी ली गई तो यह शिकायत सामने आई कि उन्हें दिए जाने वाली सामग्री शासन के आदेश के बाद भी कम दिया गया है. जबकि उनमें से मात्रा भी कम है और कुछ सामग्री गायब भी है. अब सवाल यह है कि यह किसके इशारे पर ऐसा किया गया है. राशन किट में क्यूं कटौती की गई और जिले के आला अफसर क्यों चुप हैं. मजदूर किसान मंच व आईपीएफ के प्रदेश प्रवक्ता श्री राय ने गुरुवार को उपजिलाधिकारी चकिया से भेंट कर मांग किया कि सभी प्रवासी श्रमिकों जो अस्थाई होम या सरकारी आश्रम स्थलों में क्वारंटीन अवधि पूर्ण कर लिए हैं उन्हें राशन किट दिया जाए. कोविड-19 के दृष्टिगत लॉकडाउन के कारण उत्पन्न स्थिति से निपटने हेतु प्रवासी श्रमिकों को राशन किट सरकार के शासनादेश प्रति के अनुसार दिया जाए तथा अब तक हुए घोटाले की जांच हो. इसके लिए दोषी सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, ऐसा नहीं किये जाने पर आंदोलन किया जाएगा.