सरकारी व निजी अस्पतालों में ओपीडी चालू न करना समझ से परे : अजय राय
Harvansh Patel6/11/2020 11:56:00 pm
◆ अस्पतालों की ओपीडी खोलने की उठायी मांग, भाजपा की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलेगा स्वराज अभियान
चन्दौली: भाजपा सरकार कोरोना महामारी के समय हर मोर्चे पर असफल होने के बाद भी अपनी सरकार की उपलब्धी बताने के लिए जनता के बीच जनसम्पर्क अभियान में उतर गई है . जबकि जमीनी हकीकत कुछ और है. अभी मात्र एक क्षेत्र स्वास्थ्य की स्थिति का आंकलन की जाए तो सरकार असफल नजर आ रही है. चकिया विधानसभा क्षेत्र में सरकार की विफलताओं का पर्दाफाश अभियान चलाते हुए स्वराज अभियान के नेता अजय राय ने कहा कि कोरोना महामारी के समय भाजपा सरकार का सबसे क्रूरतम वाला चेहरा उभर कर सामने आया है. जबकि सरकार कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए सफल तैयारियां की ढोल पिट रही है. इस मामले में भाजपा की स्थिति को सबसे खराब कहा जा सकता है. अगर स्वास्थ्य क्षेत्र में तैयारियां पर बात करें तो सरकार का दावा चाहें जो कुछ भी हो लेकिन जमीनी हकीकत सरकारी आंकड़ों के विपरीत हैं.
कुछ उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में 4442 अस्पताल और 39104 बेड, शहरी क्षेत्र में 193 अस्पताल व 37156 बेड उपलब्ध हैं. मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एण्ड फैमिली वेलफेयर के 31 मार्च 2017 के डेटाअनुसार इस तरह उत्तर प्रदेश में 2904 आबादी पर एक बेड उपलब्ध हैं. प्रदेश में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर सामान्य परिस्थितियों में भी ठीक नहीं है.आज गंभीर बीमारियों के लिए कोविड-19 महामारी की वजह से सरकारी और निजी अस्पतालों में ओपीडी बंद हैं. नतीजा कोरोना संक्रमण के साथ अन्य दूसरी बिमारियों से भी लोगों की मौत हो रहीं हैं. ताज्जुब तो तब है जब कोविड -19 के खतरे की आशंका के बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार ने फरवरी में 2020-21 के पारित बजट में गत वर्ष के सापेक्ष मामूली बढ़त कर 5•3 फ़ीसदी से 5•5 किया , जिसमें हेल्थ व फैमली दोनों शामिल हैं. कोविड महामारी से निपटने लिए अतिरिक्त बजट सरकार ने नहीं दिया. नतीजतन चिकित्सक, हेल्थ वर्कर्स सेनीटाईजर,मशीन से लेकर और गुणवत्ता युक्त पीपीआई किट की कमी रही. चन्दौली जनपद में भी स्वास्थ्य क्षेत्रों में सुविधाओं का घोर अभाव हैं, पहले यहाँ कोरोना महामारी से पीड़ित की जांच की सुविधाओं का अभाव है. यहां मात्र सरकारी अस्पतालों में तीन वेंटिलेटर तथा कुछ आइसोलेशन वार्ड व कोरोना वार्ड हैं. जिसमें भी स्वास्थ्य सुरक्षा सम्बंधित व्यवस्था का अभाव है. सरकारी हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को कोविड महामारी के लिए आरक्षित कर दिया है गंभीर ब व संक्रामक बीमारियों के प्रकोप से निपटने के लिए सरकार के पास क्या वैकल्पिक व्यवस्था है, यह सबसे बड़ा सवाल है. सरकार ने लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया है यही है स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार की उपलब्धि जिसे जनता के बीच उजागर किया जायेगा.