◆ फलदार व औषधीय पेड़ लगाने की व्यवस्था बनें, गांवों में लगे पौधों की रक्षा की जबाबदेही तय हो ◆ रोपित पौधों पर श्वेत पत्र जारी करे योगी सरकार, लूट पर रोक लगाए प्रशासन
चकिया/चन्दौली: वन की रक्षा करने का दायित्व वनाश्रित की सहकारी समितियों को यदि सरकार दे तो नौगढ़ व चकिया के वन गांवों में प्राकृतिक सम्पदा की बढोत्तरी होगी. जंगल सुरक्षित होगा और साथ ही कृषि योग्य जमीन पर बेहतर खेती होना तय है. इसके उलट जंगल की जमीन पर पुश्तैनी कब्जे से वनाश्रितों की बेदखली नौगढ़ व चकिया के वन गांवों की शांति को भंग करेगी, इसलिए नौगढ़ की शांति व जंगल की जमीन पर अधिकार का आंदोलन स्वराज अभियान व आईपीएफ लड़ेगा. ये बातें आईपीएफ के नेता व मजदूर किसान मंच के जिला प्रभारी अजय राय व संयोजक रामेश्वर प्रसाद ने कही.
द्वय नेताओं ने कहा कि यह आंदोलन नौगढ़ मे कानून का राज की स्थापना के लिए है. यहां वन विभाग गैरकानूनी बेदखली कर रहा है वनाधिकार कानून के प्रावधानों के अनुसार बिना दावा निस्तारण के बेदखली नहीं की जा सकती है. इस सम्बन्ध में हाईकोर्ट ने आदेश भी दिया है वाबजूद इसके नौगढ़ व चकिया वन गांवों में खेती योग्य जमीनी मे गढ्ढा व ट्रैंच खोद दिए गये. प्रशासन को इस गैर कानूनी बेदखली पर तत्काल रोक लगाकर कानून व न्यायालय का सम्मान बचना चाहिए. यदि प्रशासन ने वनाधिकार के तहत जमीन पर अधिकार नहीं दिया तो स्वराज्य अभियान न्यायालय में अवमानना का मुकदमा दायर करेगा.
इन वक्तओं ने कहा कि नौगढ़ व चकिया के कई गाँव में विकास मदों मे आये धन की जबरदस्त लूट हो रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि कागज पर ही प्रधान मंत्री आवास व शौचालय बन रहे है. स्वच्छता अभियान के नाम पर कागज में ही कई गाँव को ओडीएफ घोषित किया गया और जो कुछ आवास व शौचालय बन भी रहे है, उसमें भारी कमीशन खोरी हो रही है. सांसद व विधायक निधि का जमीनी स्तर पर उनके काम का कोई अता-पता नही हैं. सड़कों की भी निर्माण में मानकों की अनदेखी हो रहीं हैं. कोरोना महामारी के समय भी आदिवासियों व गरीबों के राशनकार्ड नहीं बना है. मनरेगा के काम में भी भारी धांधली हो रही हैं. प्रशासन भले ही मनरेगा के तहत काम देने का दावा करें लेकिन औसत बहुत कम ही दिन मजदूरों को काम मिला हैं. ज्यादातर प्रवासी मजदूरों को अभी तक राशन किट व खाते में एक हजार रुपए नहीं मिला हैं.
द्वय नेताओं ने कहा कि पौधरोपण करने के पूर्व रामनगर प्रभागीय वन अधिकारी एक श्वेतपत्र जारी करते की पिछले साल कितनी जमीन पर कहीं-कहीं किस कार्यदायी संस्था द्वारा कितना पौधारोपन हुआ तथा उस पर कितना खर्च हुआ और वहीं अभी कितना पौधा सुरक्षित हैं क्योकि पौधरोपण के नाम पर काफी धन खर्च किया जाता है और पौधों के ऱख-ऱखाव सुरक्षा के नाम पर केवल खानापूर्ती होती हैं. वहीं फलदार व औषधीय पौधों को लगाने पर जोर हो और गांव- गांव में हो रहें पौधारोपण की रक्षा करने की जबाबदेही तय हो. रिपोर्ट: श्रीराम तिवारी