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फ़ाइल फोटो:प्रतीकात्मक |
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बढ़ रहे अपराधियों का दबाव महसूस करने के बाद डीजीपी आफिस नींद से जाग गया है. अब उन पर सख्ती करने में कोई ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है. इस संबंध में सभी सीनियर अधिकारियों को जारी जरूरी दिशा निर्देश में कहा गया है कि अपहरण की सूचना पर जिला पुलिस तुरंत टीम का गठन करे और जरूरत के मुताबिक एसटीएफ को भी लगाया जाए. पूरे मामले की समीक्षा हर क्षण करना सीनियर अफसरों के लिए अनिवार्य बनाया जाए.
इन दिनों आलम यह है कि उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ रही Kidnapping व Ransom की घटनाओं पर DGP Office अब सख्त नजर आ रहा है. डीजीपी मुख्यालय की तरफ से यूपी के सभी जिले के सीनियर अफसरों के लिए दिशा-निर्देश जारी किया गया है. जिसमें कहा गया है कि अपहरण की सूचना पर जिला पुलिस तुरंत टीम का गठन करे और जरूरत के मुताबिक तुरंत एसटीएफ को भी लगाया जाए. पूरे मामले की समीक्षा लगातार सीनियर अफसर करते रहें. इतना ही नहीं सीनियर अफसर खुद घटनास्थल का निरीक्षण करें और जरूरत पड़े तो आरोपियों की ब्रेन मैपिंग व पॉलीग्राफ़ टेस्ट भी कराया जाए. ताकि सही अपराधी को पकड़ा जा सके.
सूत्रों ने बताया कि डीजीपी मुख्यालय द्वारा जारी दिशा निर्देश में स्पष्ट कहा गया है कि अपराध की सूचना मिलते ही घटना स्थल पर थाना प्रभारी, क्षेत्राधिकारी के साथ-साथ पुलिस कप्तान भी मौके पर पहुंचे. इतना ही नहीं शिकायतकर्ता के आरोपों से अगर यह स्पष्ट होता है कि अपहरण किसी अपराध के उद्देश्य से किया गया है तो तुरंत मुकदमा पंजीकृत किया जाए. दिशा निर्देश में कहा गया है कि फिरौती के लिए अपहरण की घटना पर अविलंब आईपीसी की धरा 364A के तहत मुकदमा पंजीकृत कर टीमों का गठन किया जाए. इसमें किसी भी प्रकार की शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
जारी दिशा निर्देश में कहा गया है कि अपहरण की घटना होने के 24 घंटे के अन्दर अपहृत की फोटो को तमाम जिलों के साथ अन्य राज्यों में भेजकर उसकी जानकारी हासिल की जाए. साथ ही अगर जरुरत पड़े तो एसटीएफ को लगाकर अपहृत की बरामदगी सुनिश्चित की जाए. यूपी में पिछले कुछ दिनों से एक के बाद एक अपहरण की घटनाएं सामने आने के बाद विपक्ष योगी सरकार पर हमलावर हो गया है. कानपुर में लैब टेक्नीशियन संजीत यादव व धर्मकांटा मैनेजर ब्रजेश पाल की अपहरण के बाद फिरौती के लिए हत्या कर दी गई. इसके अलावा गोरखपुर में भी एक छात्र की एक करोड़ की फिरौती के लिए उसकी हत्या कर दी गई. इन तीनों ही मामलों में यूपी पुलिस की जमकर किरकिरी हुई. हालांकि गोंडा में अपहृत व्यापारी के बेटे की बरामदगी पुलिस ने सकुशल सुनिश्चित करवाई थी. फिर भी पुलिस को लेकर लोगों के बीच असंतोष व्याप्त है.