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जब सरकार बड़े घरानों के कर्जे को माफ कर सकती है तो तब स्वयं सहायता समूह की कर्जदार महिलाओं के लोन को क्यूं नहीं माफ किया जा सकता है
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अजय राय फोटो:pnp |
चकिया/चन्दौली: स्वयं सहायता समूहों के छोटे कर्जों के ब्याज माफ करने व करोना के समय कर्ज वसूली पर रोक लगाने की मांग आई पी एफ नेता अजय राय ने की है.
श्री राय ने कहा कि चन्दौली जनपद की तमाम सहायता समूह बैंक से कर्ज ली हैं. वह सभी महिलाएं जो माइक्रो फाइनेन्स कम्पनियों से छोटे-छोटे रोजगार करने के लिए लोन ले रखा है, वह सभी परेशान हैं.
उनको कर्ज के ब्याज को देने के लिए गहने व घर की कीमती समान तक बंधक रखना पड़ रहा हैं.
उन्होंने कहा कि बड़े लोगों के कर्जों को सरकार माफ कर बेल आउट पैकेज दे रही हैं लेकिन छोटे कर्जदारों पर क्यों नहीं उनके कर्जा माफ़ करने के लिए पैकेज लेकर आ रही है.
आईपीएफ नेता ने कहा कि माइक्रो फाइनेन्स कंपनियों व प्राइवेट बैंकों द्वारा ग्रामीण महिलाओं को दिया जाने वाला कर्ज आज पूरी तरह उनके लिए उनके लिए गले का फंदा बन गया है, जिसके चक्र से महिलायें बाहर ही नहीं निकल पा रही हैं. ब्याज की दर इतनी अधिक है कि कई जगह वह मूलधन के बराबर हो गई है.
यह सूदखोरी का नया रूप है. यदि केंद्र की सरकार बड़े काॅरपोरेट घरानों के अरबों का कर्ज माफ कर सकती है और बेल आउट पैकेज दे सकती है तो छोटे कर्जदारों के कर्ज माफ क्यों नहीं किया जा सकता है.
सभी छोटे कर्जों की वसूली पर 31 मार्च 2021 तक रोक लगाने, स्वयं सहायता समूह से जुड़ी सभी महिलाओं के सामूहिक कर्ज माफ करने और एक लाख रुपये तक के निजी कर्ज चाहे वो सरकारी हो या माइक्रो फाइनेंस संस्थानों अथवा निजी बैंकों से लिए गए हों.
उन्होंने लॉकडाउन के दौर के सभी किस्त माफ करने, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार और उनके उत्पादों की खरीद सुनिश्चित करने, एक लाख रुपये तक के कर्ज को ब्याज मुक्त बनाने, शिक्षा लोन को ब्याज मुक्त करने, सामूहिक कर्ज के नियमन के लिए राज्य स्तर पर एक ऑथोरिटी बनाने,
स्वरोजगार के लिए 10 लाख रुपये तक के कर्ज पर 0.4 प्रतिशत ब्याज दर निर्धारित करने, जिस छोटे कर्ज का ब्याज मूलधन के बराबर या उससे अधिक दे दिया गया हो उस कर्ज को समाप्त करने आदि मांग को लेकर सरकार ज्ञापन सौंपा जायेगा.