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बिहार/ दुर्गावती (कैमूर): बिहार में बसपा का किसी दल से गठबंधन नहीं होगा. वह अपने दम पर 243 सीटों पर लड़ेगी चुनाव. सूत्रों के मुताबिक बिहार विधान सभा चुनाव के लिए आगामी 15 सितंबर तक पार्टी टिकट की घोषणा कर सकती है.
आलम यह है कि वर्तमान समय में क्षेत्र में हाथी छाप का सिंबल मुझे मिला है व मुझे मिला है, कहते हुए रामगढ़ विधानसभा में कई लोग दौड़ते नजर आ रहे हैं.
भावी प्रत्याशियों के बीच ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि क्षेत्र की जनता लखनऊ से हाथी आने का इंतजार कर रही है. और ऊहा पोह की स्थिति बनी हुई है.
रामगढ़ विधानसभा में लोग चौक-चौराहे पर आकलन लगाते हुए नजर आ रहे हैं. जहां एक दूसरे को समझाने में बसपा के प्रचार में लगे हुए नेताओं के बीच अफरा तफरी मची हुई है.
वही प्रत्याशी अपने-अपने टिकट लेने का दावा ठोकते नजर आ रहे हैं. दुर्गावती में कई प्रत्याशी ऐसे भी हैं जो कभी बाबासाहेब के प्रतिमा के पास नहीं जाते थे लेकिन आज वह भी टिकट लेने की होड़ में बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते नजर आ रहे हैं.
हाथी की रेस में कौन होगा, यहां की जनता उम्मीदवार को लेकर पेसो पेश में पड़ी हुई है. दर्जनों दिग्गज प्रत्याशी के रूप में हाथी के सवारी के लिए दौड़ में लगे हुए हैं.
बसपा की राजनीतिक पृष्ठभूमि में देखा जाए तो कैमूर जिला अंतर्गत चैनपुर विधानसभा, भभुआ विधानसभा, मोहनिया विधानसभा और रामगढ़ विधानसभा , इस तरह कुल चार विधानसभा क्षेत्र है.
जिस पर अभी भाजपा का कब्जा है, इन चारों सीटों पर पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा का अच्छा खासा प्रदर्शन रहा है इन सीटों पर बसपा मात्र 200 वोट से पीछे रही.
चैनपुर के प्रत्याशी और 2000 वोट से रामगढ़ के प्रत्याशी और बाकी दो विधानसभा में पार्टी तीसरे नंबर पर रही.
अब देखना यह है कि पार्टी के प्रभारी आलाकमान पुनः पुराने प्रत्याशी को टिकट देते हैं या अन्य नए उम्मीदवार को टिकट मिलता है.
बिहार के राजनीतिक क्षेत्र में शीर्ष स्थान पर चर्चा के सुर्खियों में कैमूर जिला का नाम प्रथम स्थान पर रहा है और रामगढ़ विधानसभा एक नंबर पर आज भी माना जाता है जिस पर पूरे बिहार के दिग्गज नेताओं की नजर टिकी हुई है.
बसपा के बिहार प्रभारी रामजी गौतम से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि टिकट अंडर प्रोसेस चल रहा है, उम्मीद है 15 सितंबर को बिहार में टिकट की घोषणा का लिस्ट प्रकाशित किया जाएगा.
कभी कैमूर जिला के 3 सीटों पर बसपा का दबदबा रहा, लेकिन विधायकों को पार्टी छोड़ भाग जाने के बाद शीर्ष नेता यहां के मूल कार्यकर्ताओं को नहीं पहचान सके.
जिनके कारण आज पार्टी पुरानी साख वापस लाने में जद्दोजहद कर रही है. लेकिन क्षेत्रीय चर्चाओं में जनता ने बताया कि यदि पार्टी पुराने कार्यकर्ताओं को जो जमीन से जुड़े हैं, उनको नहीं स्थान देती है तो पुनः मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.
News Source: संजय मल्होत्र