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●इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के कार्यकर्ताओं ने वीर अब्दुल हमीद की जयंती पर आयोजित की गोष्ठी
पूर्वांचल/ताराजीवनपुर (चन्दौली): जनपद के अलीनगर इलाके में तारापुर स्थित प्राथमिक विद्यालय पर इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के कार्यकर्ताओं ने वीर अब्दुल हमीद का जयंती पर एक गोष्ठी का आयोजन किया. उनके तैल चित्र पर माल्यार्पण पर श्रद्धांजलि दी गई.
गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि वीर अब्दुल हमीद ने शहीद होकर भी अपने मेडल का वादा को निभाया था
मीम जिला सचिव सोहेल खान ने कहा कि गाजीपुर जिले धामुपुर गांव के एक मामूली परिवार में पहली जुलाई 1933 को जन्मे वीर अब्दुल हमीद के विरगता को शब्दों में नहीं पिरोई जा सकती 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान वीर अब्दुल हमीद ने न सिर्फ पाकिस्तानी दुश्मनों के दांत खट्टे किए बल्कि पाक के सात पैटर्न टैंको के परखच्चे उड़ा दिए.
इसी दौरान वह दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो गए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से युद्ध के दौरान घर से निकलते ही वीर अब्दुल हमीद के साथ अपशगुन हुआ था, जाते वक्त उनके पिता ने उनको रोका लेकिन वह रुके नहीं.
उन्होंने उस दौरान अपने पत्नी से सिर्फ इतना कहा था कि तुम बच्चों का ख्याल रखना अल्लाह ने चाहा तो जल्द मुलाकात होगी.
अब्दुल हमीद के पिता अपने क्षेत्र के पहलवानों में गिने जाते थे लेकिन वह आजीविका के लिए सिलाई का काम करते थे. बेहद तंगी के हालात में पहलवान मोहम्मद उस्मान खलीफा अपने बड़े बेटे वीर अब्दुल हमीद को किसी तरह पांचवी तक पढ़ाया.
हमीद ने 27 दिसंबर 1954 को भारतीय सेना में सैनिक के रूप में देश की सेवा शुरू कर दी पहली बार 1962 में उन्होंने भारत चीन युद्ध में भी अपनी वीरता दिखाई गोलियों से घायल होने के बावजूद घुटनों और कोहोनियो के बल पर चलते हुए हमीद ने चीन द्वारा कब्जा कर लिए गए 14 15 किलोमीटर एरिया को क्रॉस करते हुए भारत चीन के ओरिजिनल बॉर्डर पर तिरंगा लहराया था.
इस दौरान गोष्ठी में मौजूद इंजीनियर बिस्मिल्लाह, अम्मान सिद्दीकी, सनेष कुमार. पीयूष पांडे. वसीम हाशमी, अंगद कुमार, मेराज आलम, शशांक शर्मा, शब्बीर मलिक. साबिर कासमी. सूरत सिंह, रोहित मास्टर, चित्रांश, उमेश पांडे, शरद यादव. सुनौवर अली आदि लोग मौजूद रहे.
Source : भूपेन्द्र कुमार