●Purvanchal News In Hindi
पूरे चंदौली जनपद में तहसील नौगढ़ सहित अन्य जगहों के परिषदीय स्कूलों को चमकाने के लिए कंपोजिट ग्रांट मद की धनराशि गटकने वाले प्रधानाध्यापकों की अब खैर नहीं है, कराए गए कार्यों का सत्यापन डीएम की टीम करने जा रही है.
●जिला स्तरीय टीम गठित करने के निर्देश अब करेगी जांच, लापरवाही बर्दाश्त नहीं
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फोटो: डीएम चन्दौली नवनीत सिंह चहल |
नौगढ़/चन्दौली: पूरे जनपद सहित तहसील नौगढ़ के परिषदीय स्कूलों को चमकाने के लिए कंपोजिट ग्रांट मद की धनराशि गटकने वाले प्रधानाध्यापकों की अब खैर नहीं है.
स्कूलों की मरम्मत से लेकर चहारदीवारी तक के कार्य कराने तथा उक्त कार्यों की सूचना प्रेरणा एप के माध्यम से अपलोड करने को भी कहा गया था।
बता दें कि कंपोजिट ग्रांट के मद से स्कूलों की रंगाई पुताई, शौचालय ,पेयजल व्यवस्था मरम्मत, विद्युत वायरिंग , ब्लैक बोर्ड तथा चहारदीवारी का भी निर्माण कराने को कहा गया है।
वित्तीय वर्ष 2018-19 तथा वित्तीय वर्ष 2019-20 स्कूलों को भेजी गई कंपोजिट ग्रांट की धनराशि के बंदरबांट किए जाने की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल ने कराए गए कार्यों सत्यापन के लिए जिला स्तरीय अधिकारियों की टीम बनाने का निर्देश दिया है।
नामित अधिकारी न्याय पंचायत स्तर के विद्यालयों के कार्यों का सत्यापन करेंगे ।
मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल तथा शिकायतकर्ता के अनुसार जिला अधिकारी को बताया गया है कि नौगढ़ में अभी तक विद्यालयों की रंगाई पुताई का कार्य नहीं कराया गया है तथा कंपोजिट ग्रांट से मिली धनराशि को प्रधानाध्यापक गटक गए हैं ।
हालांकि कार्रवाई के डर से खंड शिक्षा अधिकारी अरविंद यादव ने आनन-फानन में प्रधानाध्यापकों की बैठक बुलाकर कंपोजिट ग्रांट की शत- प्रतिशत धनराशि के उपयोग करने हेतु 30 दिसंबर तक का समय दिया है और कहां कि इसके उपरांत निरीक्षण में कार्य अधूरा मिलने पर सख्त कार्यवाही जाएगी
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सांकेतिक तस्वीर, फोटो |
क्या होता है कम्पोजिट ग्रांट मद ?
- सर्व शिक्षा अभियान के तहत एक ऐसा मद जिसका पूरा विवरण प्रति वर्ष जनवरी माह में शासन को उपलब्ध करा जाता है. जिसकी कभी भी जांच हो सकती है.
- इस मद में 25 हजार से एक लाख रुपये के ऊपर सरकार से राशि आवंटित होती है. बजट को मदवार खर्च करने की बाध्यता है.
- मद खर्च करने के साथ उसका हिसाब अलग-अलग रजिस्टर पर दर्ज होता है.
- यह राशि स्कूल प्रबंध समिति के खाते में जाती है. मद के खर्च में अनियमितता पर हेड मास्टर पर पहले गाज गिरती है.
- ग्रांट कम्पोजिट मद के खर्च की जांच जिला स्तरीय टीम करती है. जिसमें खंड शिक्षा अधिकारी, एबीआरसी व स्कूल के हेड मास्टर रखें जाते हैं.
- जनवरी माह में इस मद की जांच शासन स्तर से होता है.
source: अशोक कुमार जायसवाल