निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों का आंदोलन न्यायोचित: अजय राय

निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों का आंदोलन न्यायोचित: अजय राय

 निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों के आंदोलन को आईपीएफ  ने समर्थन दिया है और आंदोलन को न्यायोचित बताया है।

हाईलाइट्स

●आईपीएफ ने दिया बिजली कर्मचारियों के आंदोलन को समर्थन

● पावर सेक्टर के निजीकरण से बिजली की दरों में बेइंतहा होगी बढ़ोतरी 

● यह निजीकरण की कार्यवाही राष्ट्र हित के विरुद्ध

●कर्मचारियों का आंदोलन न्यायोचित और देशहित में

  

चन्दौली/लखनऊ।  निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों के आंदोलन को आईपीएफ ने समर्थन दिया हैं और आंदोलन को न्यायचित बताया है।

 बिजली कर्मचारियों के आंदोलन के बारे में आईपीएफ नेता अजय राय ने कहा कि पावर सेक्टर के निजीकरण से बिजली की दरों में बेइंतहा बढ़ोतरी होगी। 

उन्होंने कहा कि बिजली बोर्डों के विखंडन के बाद भारी घाटे की प्रमुख वजह अंबानी जैसे कारपोरेट्स की बिजली कंपनियों को लूट व मुनाफाखोरी है। 

 आगरा के टोरंट से लेकर निजीकरण के सभी प्रयोग विफल रहे हैं लेकिन सरकार निजीकरण पर आमादा है। दरअसल कारपोरेट बिजली कंपनियों को भारी छूट और सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियों को बर्बाद करने की नीति लागू की गई। 

स्टैंडर्ड बिडिंग मसौदा से सार्वजनिक विद्युत वितरण कंपनियों को कारपोरेट बिजली कंपनियों के हवाले करने का एक तरह का दस्तावेज है जिससे न सिर्फ कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ जायेगी बल्कि बिजली की दरों में बेतहाशा बढ़ोतरी तय है। 

विद्युत संशोधन विधेयक-2020 के मसौदे के कानून बनने से ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण की प्रक्रिया और तेज होगी और पब्लिक सेक्टर के डिस्कॉम को एक तरह से मुफ्त में ही कारपोरेट कंपनियों के हैंडओवर कर दिया जायेगा। 

दरअसल निजीकरण की कार्यवाही राष्ट्र हित के विरुद्ध है, इसलिए आईपीएफ निजीकरण विरोधी मजदूरों के आंदोलन का पुरजोर समर्थन करता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि निजीकरण के प्रक्रिया को तत्काल रोका जाये।  

उन्होंने कहा कि निजीकरण की कार्यवाही जनविरोधी है और कर्मचारियों का आंदोलन न्यायोचित और देशहित में है।