चन्दौली: धान के कटोरे में क्रय केंद्रों पर खरीद का दावा, पर जमीनी हकीकत कुछ और !

चन्दौली: धान के कटोरे में क्रय केंद्रों पर खरीद का दावा, पर जमीनी हकीकत कुछ और !

 Hindi Samachar-चंदौली

जनपद में धान खरीद का सरकार व जिला प्रशासन लाख दावा कर ले लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। जिले में कुल 50 क्रय केंद्रों को मंजूरी दी गई है। सात प्राइवेट एजेंसियों के केंद्र 46 गावों में खुलें है।विपणन शाखा के नौ, नेफेड और पीसीएफ के दस-दस केंद्र शामिल हैं। इस बार सात केंद्र चंदौली नवीन मंडी में खुलें हैं।

एक नजर- सरकारी रिकार्ड 

चन्दौली। जनपद में धान खरीद का सरकार व जिला प्रशासन लाख दावा कर ले लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। जिले में कुल 50 क्रय केंद्रों को मंजूरी दी गई है। सात प्राइवेट एजेंसियों के केंद्र 46 गावों में खुलें है। इसमें विपणन शाखा के नौ, नेफेड और पीसीयू के दस-दस केंद्र शामिल है। इस बार सात केंद्र चंदौली नवीन मंडी में खुलें हैं। यहां जिले के किसी भी गांव के किसान आकर अपना धान बिक्री कर सकते हैं। 

इस बार धान खरीद का लक्ष्य 1.83 लाख एमटी है। कई विपणन केंद्रों का आकड़ों को देखे तो कुल नौ केन्द्रो पर 273 किसानों का धान खरीदा गया हैं और उसमें भी कई किसानों का भुगतान बाकी है। 

सरकारी धान खरीद क्रय केन्द्र पर कागज पओर ही किसानों की धान खरीद दिखाकर बिचौलियों व सत्ता में पहुँच रखने वाले सक्रिय हैं। इनके धान की खरीद हो रही हैं।

 वहीं कुछ धान क्रय केन्द्रों पर बैनर टांग कर सिर्फ धान खरीद का दावा किया जा रहा है,  लेकिन सरकार की किसानों की धान खरीद की क्रय केन्द्र पर गारंटी का दावा का पोल तब खुल जा रही है, जब केन्द्र प्रभारियों की मनमानी के कारण किसान धान बिचौलियों को  बेचने को मजबूर हो रहें हैं। वही किसानों की तरफ से जानकारी के बावजूद भी विभागीय अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं ।  

चंदौली जनपद को धान का कटोरा कहा जाता है। लेकिन विडम्बना है कि सत्ता की किसानों की अनदेखी कहे या जिला प्रशासन की लापरवाही हर क्रय केन्द्र पर सत्ता में पहुँच रखने वाले किसान व बिचौलियों का ही धान की खरीद हो रही है। आम किसान ऑनलाइन रजिस्टे्रशन कराने के बाद भी धान को बेच नहीं पा रहे है।

चन्दौली जनपद में हर क्रय केन्द्र पर बैनर टांग कर धान खरीद का दावा देखते बन रहा है। जबकि न तो समय से केन्द्रों पर विपणन अधिकारी रहते हैं और न तो क्रेन्द्र प्रभारी। पल्लेदार ,बोरा का अभाव व धान रखने की जगह की दिक्कत दिखाकर आम किसानों को टरका दिया जा रहा है।

 धान क्रय केन्द्रों पर धान खरीद की शिकायतों को शीध्र दूर कर किसानों की धान अधिक से अधिक खरीदने का केवल अधिकारी के द्वारा आश्वासन मिल रहा है। जबकि किसानों की धान खरीद की भुगतान में लेट लतीफी भी किसानों के लिए नुकसानदेह है। बही सरकार जहाँ बहुत बढ़ा कर

अभी हाल ही में मोदी जी ने वाराणसी दौरे के समय अपनी सरकार द्वारा लाए कृषि कानूनों पर बात रखते हुए वाराणसी से अलग होकर बने चंदौली जिले के किसानों द्वारा काला चावल प्रजाति के चावल की खेती के अनुभव बताते हुए कहा कि इसके निर्यात से चंदौली के किसान मालामाल हो गए।

 पूरी दुनिया में चन्दौली के काले चावल की धूम मचेगी और यहां से बड़े पैमाने पर चावल निर्यात होगा। धान के कटोरे में किसानों के सीजनल धान खरीद ही पीएम मोदी के दावे को जमीनी हकीकत पर खारिज कर दे रही है। जिस चंदौली जनपद के किसानों के विकास के कसीदे जा रहे रहे हैं, वहां सामान्य चावल पैदा करने वाले किसानों को भी चावल बेचने के लिए मार्केट नहीं हैं। 

जिन किसानों ने अमेरिका के हाइब्रिड धान का बीज लेकर खेती करने वाले  भी अपना धान को बहुत कम कीमत पर बेचना को मजबूर हों। जहां धान क्रय केन्द्र भी केवल शोपीस हैं, वहां किसानों की धान की खरीद नहीं हो पा रहीं हैं। कुछ दिनों पहलें गाँवो में यह हालात था कि किसान पांच किलो धान बेचकर एक किलों आलू खरीद रहें थे, जबकि चन्दौली जनपद नीति आयोग के अनुसार देश के सर्वाधिक पिछड़े जनपदों में एक है। 

लेकिन सरकार ने इस जनपद को अति पिछड़ा जिला ही नहीं घोषित किया, नतीजा यह हुआ कि प्रधानमंत्री समग्र विकास योजना के विशेष पैकेज का लाभ नहीं मिल पाया।

 ताज्जुब तब हुआ जब इस सवाल पर एआईपीएफ व मजदूर किसान मंच को छोड़ किसी भी पार्टी और जनप्रतिनिधियों ने अपनी आवाज उठाने की जरूरत नहीं समझी। यहां तक कि जनपद प्रभारी मंत्री के साथ अधिकारियों का बैठक भी केवल कागजी और कोरम पूर्ति बनता दिख रहा है।