मजदूर किसान मंच के तत्वावधान में 4 अक्टूबर को दिल्ली में आयोजित किसानों के सम्मेलन में एक बार फिर रणनीति में कई प्रस्ताव पास होंगे।
मजदूर किसान मंच केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए काले कृषि कानूनों के विरुद्ध जारी किसान आंदोलन का अभिन्न अंग है। हिस्सेदार के बतौर मजदूर किसान मंच इस आंदोलन को मजबूत करने और इसका विस्तार समाज के सभी तबकों विशेषकर भूमिहीन मजदूरों, गरीब और सीमांत किसानों, दलितों, आदिवासियों और अति पिछड़े वर्गों तक करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इन तबकों के आंदोलन के मुद्दों को सामने लाने और चर्चित बनाने के लिए 4 अक्तूबर, 2021 को 10 बजे से 6 बजे तक एक दिवसीय सम्मेलन कान्सटीट्यूशन क्लब, नई दिल्ली में बुलाया गया है।
मजदूर किसान मंच उतर प्रदेश के कार्य समिति सदस्य अजय राय कहते हैं कि इस सम्मेलन का एजेंडा अग्रलिखित है।
1. ग्रामसभा की ऊसर, परती, मठ व ट्रस्ट की जमीन भूमिहीन गरीबों में वितरित की जाए। सभी गरीबों और आवास विहीनों को आवासीय जमीन दी जाए।
2. जंगल की अतिरिक्त (खाली) भूमि को गरीबों को आवंटित किया जाए और अनुसूचित जनजाति तथा अन्य परम्परागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यता) कानून 2006 के तहत आदिवासियों और अन्य परम्परागत वन निवासियों के अधिकार की रक्षा की जाए।
3. मनरेगा में कम से कम 200 दिन का रोजगार दिया जाए। इसी प्रकार की व्यवस्था शहरी क्षेत्रों में भी की जाए।
4. दलितों तथा आदिवासियों के विकास एवं आर्थिक सशक्तिकरण के लिए वर्तमान राष्ट्रीय अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम में पर्याप्त बजट देना सुनिश्चित किया जाए।
5. सहकारी समितियों और सहकारी बैंकों का पुनर्गठन किया जाए, सहकारी समितियों में गरीब, सीमांत और छोटे मध्यम किसानों के प्रतिनिधित्व के लिए पचास प्रतिशत आरक्षण का विशेष प्रावधान किया जाए।
6. उन आदिवासी जातियों जैसे उत्तर प्रदेश की आदिवासी कोल जाति को, जिन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं मिला है, की पहचान कर यह दर्जा तत्काल दिया जाए।
7. दलितों तथा आदिवासियों के बच्चों को मैट्रिक पूर्व तथा मैट्रिक के बाद छात्रवृति की धनराशि बढ़ाई जाए तथा पात्रता के लिए परिवार की आय सीमा बढ़ाई जाए। आदिवासी बच्चों के लिए आश्रम पद्धति विद्यालयों की संख्या बढ़ाई जाए तथा उन्हें सुचारु रूप से चलाया जाए। इनकी आबादी वाले जिन क्षेत्रों में विद्यालय नहीं हैं उन्हें चिन्हित कर समयबद्ध योजना के अंतर्गत स्थापित किया जाए।
8. सरकार द्वारा उच्च तकनीकी शिक्षा की फीस में बहुत अधिक बढ़ोतरी की गई है जिससे दलितों, आदिवासियों तथा गरीब वर्गों के बच्चों के लिए उच्च तकनीकी शिक्षा में प्रवेश पाना असंभव हो गया है। इस बढ़ोतरी को तुरंत वापस लिया जाए ताकि इन वर्गों के बच्चे भी उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर सकें।
9. दलित एवं आदिवासी बच्चों विशेषकर लड़कियों की उच्च शिक्षा के लिए रहने, खाने और अन्य सुविधाओं की सरकारी तौर पर व्यवस्था की जाए।
10. दलितों, आदिवासियों एवं अन्य गरीब तबकों को उचित स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के साथ वर्तमान अस्पतालों की व्यवस्था को सुविधा सम्पन्न किया जाए।
11. 2021 की जनगणना में जाति जनगणना कराई जाए और आरक्षण का विस्तार निजी क्षेत्र तक किया जाए।
12. वर्तमान में सरकार ने बहुत से दलित, आदिवासी एवं मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाले दलित/आदिवासी एवं अन्य कार्यकर्ताओं को विभिन्न काले कानूनों के अंतर्गत जेल में डाल रखा है। इस लोकतांत्रिक अधिकारों की गारंटी के लिए यूएपीए, यूपीकोका, रासुका जैसे काले कानूनों को खत्म किया जाए और साथ ही राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा किया जाए।