कभी वह समय था जब मायावती इससे दूर रहती थीं। आज जिस भी व्यक्ति की मीडिया व सोशल मीडिया में अच्छी पकड़ होगी उसे प्राथमिकता के आधार पर टिकट दिया जाएगा।
सोशल मीडिया फोटो, pnp |
पूर्व में कभी मीडिया से बहुत अधिक थी दूरी
कभी मीडिया से दूरी रखने वाली मायावती के लिए इस बार मीडिया फ्रेंडली नेता ही उपयुक्त प्रत्याशी लग रहे हैं। जिसका मीडिया व सोशल मीडिया मैनेजमेंट ठीक है , जो सोशल मीडिया पर लगातार एक्टिव रह रहा है। जिसकी ग्राउंड में अच्छी पहचान के साथ-साथ इंटरनेट पर भी लोगों के साथ बेहतर संवाद बनाने के रिकार्ड अच्छे हैं। वही प्रत्याशी मायावती की परीक्षा में पास हो रहा है।
बसपा में हुए इस बड़े बदलाव के पीछे कई बार से पार्टी का सत्ता में न आना भी माना जा रहा है, विधायकों की कम हो रही संख्या, लोकसभा चुनावों में होने वाली हार सहित भाजपा की सोशल मीडिया टीम को मजबूती माना गया है।
अब गांव-गांव और घर घर सोशल मीडिया की पहुंच ने बसपा सुप्रीमो मायावती को रास्ता बदलने पड़ मजबूर कर दिया है । उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहते हुए भी उन्होंने कभी सोशल मीडिया या प्रिंट मीडिया को खास तवज्जो नहीं दिया था। उनका मानना था कि उनका वोटर गांवों से जुड़ा हुआ है, जो मीडिया या सोशल मीडिया से दूर रहकर उन्हें वोट करता है। लेकिन, 2012 के विधानसभा चुनावों में सपा से बुरी तरह हार, उड़के बाद फिर 2014 में लोकसभा के दौरान भाजपा से मिली हार और 2017 के विधानसभा चुनावों में भी भाजपा से पराजय के बाद उनका ध्यान सोशल मीडिया की ओर जाना स्वाभाविक था। इसके बाद ही उन्होंने अपना ऑफिसियल ट्विटर हैंडल शुरू किया।
साल 2019 के लोकसभा चुनावों में सपा गठबंधन के बावजूद मायावती यूपी में हार गई। भाजपा से मिली इस करारी हार का सारा दोष भी सोशल मीडिया पर मढ़ दिया था। लेकिन बाद में मायावती को महसूस हुआ कि सोशल मीडिया की पहुंच गांव-गांव में हो गयी है, जहां से बहुजन समाज के लोग भी गुमराह हो जा रहे हैं। इसी के बाद उन्होंने मीडिया की ओर रुख किया।
बसपा से टिकट के दावेदारों से पूछा जा रहा यह सवाल?
● विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति क्या है?
● समाज के लिए क्या काम किया, उदाहरण सहित बतलाना होगा।
● क्षेत्र में किस पार्टी की ओर से क्या हो रहा है, दूसरे दलों की क्या रिपोर्ट है?
● आपका कैसे लोगों के बीच बेहतर संबंध है? वे आप को कितना पसंद करते हैं।
● डिजिटल माध्यम से कैसे पहुंचेंगे लोगों तक, क्या होगी आपकी रणनीति ?
● भाजपा के खिलाफ चुनाव प्रचार की क्या है तैयारी ? उससे कैसे निपटेंगे।
● क्षेत्र में काम करने का क्या हैं, राजनीतिक तरीका? आदि सवालों के जवाब देने पड़ रहे हैं।