वीगन डाइट का चलन काफी बढ़ रहा है। पहले की तुलना में अब बहुत से लोग शाकाहारी आहार का पालन करते हैं, लेकिन यह आहार गर्भावस्था के दौरान कुछ समस्याएं पैदा कर सकता है।
मुख्य बातें
शाकाहारी आहार से गर्भावस्था के दौरान प्रीक्लेम्पसिया का खतरा बढ़ जाता है।
सर्वाहारी आहार का पालन करने वाली महिलाओं से पैदा हुए नवजात शिशुओं में जन्म के समय कम वजन की समस्या कम थी।
गर्भावस्था के दौरान सभी पोषक तत्वों का सही मात्रा में होना जरूरी है।
लाइफस्टाइल रिपोर्ट, पूर्वांचल न्यूज़ प्रिंट। हाल ही में, कई लोगों ने शाकाहारी आहार का पालन करना शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया पर पशु अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाले प्रभावशाली लोगों ने भी शाकाहारी आहार को प्रोत्साहित किया, जिसके बाद कई लोगों ने इस आहार को अपनाना शुरू कर दिया।
हालाँकि पौधे-आधारित आहार का पालन करने के कई फायदे हैं, यह आहार आपके दिल और दिमाग को स्वस्थ रखने में बहुत मददगार हो सकता है, लेकिन एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि शाकाहारी आहार से नुकसान हो सकता है।
अध्ययन में क्या पाया गया?
एक्टा ऑब्स्टेट्रिकिया ई गाइनकोलॉजिका स्कैंडिनेविका जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन से पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान शाकाहारी आहार का पालन करने वाली महिलाओं से पैदा हुए नवजात शिशुओं का वजन, सर्वाहारी आहार का पालन करने वाली महिलाओं से पैदा हुए बच्चों की तुलना में औसतन 240 ग्राम था। और कम।
इसके अतिरिक्त, शाकाहारी महिलाओं में भी प्रीक्लेम्पसिया का खतरा अधिक था। लगभग 11% शाकाहारी गर्भवती महिलाओं को प्रीक्लेम्पसिया था, जबकि दूसरी ओर, सर्वाहारी आहार का पालन करने वाली लगभग 3% महिलाओं को प्रीक्लेम्पसिया था।
प्रीक्लेम्पसिया क्या है? (What is preeclampsia?)
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, प्री-एक्लेमप्सिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें डेनमार्क से हाल ही में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ था जिसमें शाकाहारी आहार से होने वाली समस्याओं का अध्ययन किया गया था। जानिए इस स्टडी में क्या पाया गया।
20 वें हफ्ते के बाद हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने लगती है। यह कंडिशन मां और बच्चे, दोनों के लिए काफी घातक साबित हो सकती है। इसका इलाज करवाना बेहद जरूरी होता है। यह गर्भवति महिला के हृदय और शरीर के अन्य दूसरे अंगों को प्रभावित कर सकती है। इस वजह से प्लासेंटा में ब्लड सप्लाई में कमी, किडनी और लिवर डैमेज जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
किन्हें शामिल किया गया स्टडी में?
इस स्टडी के लिए रिसर्चर्स ने 1996 से लेकर 2002 के बीच रही 66,000 गर्भवती महिलाओं के डाटा का विश्लेषण किया। इन महिलाओं में लगभग 98 प्रतिशत महिलाएं ओमनिवोर डाइट फॉलो करती थी, कुछ शाकाहारी थीं, जो कभी-कभी चिकन और फिश खाती थीं, 0.3 प्रतिशत लैक्टो/ओवो-शाकाहारी थीं और 0.03 प्रतिशत वीगन थीं। इन सभी महिलाओं में वीगन महिलाओं में प्रोटीन और मैक्रोन्यूट्रिएंट्स के इंटेक की मात्रा सबसे कम थी, जो इन कॉम्प्लिकेशन्स की वजह बन सकता है।
कैसे करें बचाव?
इस स्टडी से यह समझा जा सकता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान सभी पोषक तत्वों का सही मात्रा में शरीर में मौजूद होना और अधिक आवश्यक हो जाता है। किसी भी पोषक तत्व की कमी प्रेग्नेंसी के दौरान कॉम्प्लिकेशन की वजह बन सकती है। इसलिए डाइट में सब्जियां, फल, साबुत अनाज, डेरी, हेल्दी फैट्स आदि को शामिल करना चाहिए। प्रीनेटल विटामिन, विटामिन-डी, आयरन, आयोडिन और फॉलिक एसिड को डाइट में शामिल करना जरूर है। वही, अधिक शुगर, नमक और सेचुरेटेड फैट की मात्रा को कम करना जरूरी होता है।